किडनी शरीर का महत्वपूर्ण अंग है। वह शरीर से खराब मैटाबॉलिक्स व अतिरिक्त तरल पदार्थ को फिल्टर करके साफ करता हैं। किडनी विषैले तत्व को ब्लेडर तक पहुंचाता है व इसके बाद ही वह विषैले तत्व पेशाब के द्वारा बाहर निकलता है। किडनी फेलियर (विफलता) एक ऐसी स्थिति है, जिसमें किडनी ब्लड से गंदगी को फिल्टर करने की अपनी क्षमता खो देता हैं। कई कारक हैं जो कि किडनी के खराब होने की संभावना जताई जाती है। जैसे कि लंबे समय तक किसी दवाई का सेवन, विषाक्त वातावरण, तीव्र व पुराना किडनी रोग और किडनी की खराबी। “किडनी श्रिंगकेज आयुर्वेदिक उपचार”
भारत में आयुर्वेदिक किडनी श्रिंगकेज उपचार
किडनी श्रिंगकेज तब होता है जब कुछ बीमारियों के कारण किडनी पहले से ही खराब हो जाती हैं। इस स्तर पर किडनी या तो डायलिसिस या निर्धारित दवाओं पर जीवित हैं। ऐसे कई कारण होते हैं जो हार्ट अटैक, डायबीटिज, और हाई बलड प्रैशर और लीवर फेलियर जैसी किडनी श्रिंगकिज के कारण हो सकते हैं।
ज्यादातर लोग डायलिसिस के लिए भारत में किडनी श्रिंगकिज उपचार का विकल्प चुनते हैं। डायलिसिस एक कृत्रिम उपचार होता है जो मशीन का उपयोग करके खून को फिल्टर और साफ करता है। डायलिसिस शरीर को सामान्य रूप से चलने में मदद करता है। हालांकि, यह किडनी श्रिंगकिज या अन्य किडनी संबंधित समस्याओं का इलाज नहीं है। डायलिसिस के अलावा, रोगियों को कैल्शियम की खुराक या एरिथ्रोपोइटिन इंजेक्शन के साथ भी निर्धारित किया जाता है। यह मूल रूप से एक हार्मोन है जो एक व्यक्ति में सामान्य रक्त स्तर रखता है। “किडनी श्रिंगकेज आयुर्वेदिक उपचार”
डायलिसिस का जीवन-बचत उपचार हो सकता है लेकिन इसके साथ इसमें कई जोखिम (रिस्क) भी शामिल हैं। इसमें शामिल जोखिम (रिस्क) हैं:
पेट की मांसपेशी का कमजोर होना
- असामान्य वजन
- लो ब्लड प्रैशर
- ऐनिमिया
- मांसपेशियों में ऐंठन
- ठीक से नींद ना आना
- सूखी और खुजली वाली त्वचा
- डिप्रेशन “किडनी श्रिंगकेज आयुर्वेदिक उपचार”
उच्च रक्त पोटेशियम का स्तर
यदि उपर्युक्त लक्षण लंबे समय तक रहता है। तब डायलिसिस को रोकना और अन्य विकल्प चुनना चाहिए। भारत में आयुर्वेदिक किडनी श्रिंगकेज उपचार का सबसे अच्छा विकल्प है। आयुर्वेद में, किडनी की विफलता पर प्राकृतिक जड़ी बूटियों और प्राचीन तकनीकों के साथ इलाज किया जाता है। आयुर्वेदिक दवाओं के निर्माण में प्रयुक्त सबसे आम जड़ी बूटियों में पुनर्नवा, गोखुर, वरुण, शिरीष, शिगेरू आदि शामिल हैं। आयुर्वेद में इस्तेमाल किए जाने वाले ये जड़ी-बूटियों का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है। आयुर्वेदिक दवाओं के साथ सही डाइट को लेना भी जरूरी है, ताकि स्वास्थ्य ठीक रहे। “किडनी श्रिंगकेज आयुर्वेदिक उपचार”
दरअसल आहार सीधे किडने को प्रभावित करता है क्योंकि वे पाचन के बाद शरीर की गंदगी को फिल्टर करता हैं। किडनी को मजबूत बनाने के लिए ताजा सब्जियों और फलों जैसे कुछ भोजन का सेवन करना महत्वपूर्ण है। दूसरी ओर, उच्च प्रोटीन, सोडियम और फास्फोरस भोजन को पूरी तरह से बचा जाना चाहिए। नियमित व्यायाम, स्वस्थ आहार और आयुर्वेदिक दवाएं किडनी को फिर से जीवंत करने में मदद कर सकती हैं। “किडनी श्रिंगकेज आयुर्वेदिक उपचार”