डायलिसिस किडनी की तरह के कार्यों को करने के लिए उपयोग में लाई जाने वाली उपचार प्रक्रिया हैं। ये प्रक्रिया किडनी फेल्योर वाले मरीज मे रक्त को साफ और शुद्ध करने के लिए उपयोग में लाई जाती हैं। डायलिसिस घर और अस्पताल दोनों जगह में से कहीं भी उपयोग में लाई जा सकती हैं, लेकिन इसका प्रयोग अस्पताल में डॉक्टर की देख-रेख में किया जाना सुरक्षित होता हैं। ये प्रक्रिया किडनी फेल्योर वाले मरीज को जीवित रखने, उसके स्वास्थ्य में सुधार करने और विषाक्त तरल पदार्थ को शरीर से बाहर निकालने के लिए आवश्यक होती हैं।
डायलिसिस क्या हैं?
डायलिसिस एक ऐसा उपचार हैं जिसमें किसी विशेष मशीन या उपकरण का उपयोग कर खून को फिल्टर और शुद्ध किया जाता हैं। ये प्रक्रिया तब उपयोग में लाई जाती हैं, जब किसी व्यक्ति की किडनी कार्य करना बंद कर देती हैं या सही तरह से काम नहीं करती हैं। ये प्रक्रिया किडनी फेल्योर के समय तरल पदार्थ और इलेक्ट्रोलाइट्स को संतुलन में रखने में मदद करती हैं। मनुष्य की किडनी शरीर से अपशिष्ट और अतिरिक्त तरल पदार्थ को मूत्राशय के माध्यम से पेशाब के रूप में शरीर से बाहर कर देती हैं। अगर किडनी असफल होती है तो मनुष्य की मृत्यू होने से रोकने के लिए डायलिसिस को किडनी के कार्यों को करने के लिए उपयोग में लाया जाता हैं।
डायलिसिस के प्रकार
डायलिसिस के दो प्रमुख प्रकार हैं।
- हेमोडायलिसिस – ये डायलिसिस का सबसे आम प्रकार हैं। यह प्रक्रिया रक्त से अपशिष्ट और अतिरिक्त तरल पदार्थ को हटाने के लिए कृत्रिम किडनी का उपयोग करती हैं। हेमोडायलिसिस प्रक्रिया के तहत रक्त को शरीर से बाहर निकालकर कृत्रिम किडनी के माध्यम से फिल्टर किया जाता हैं और फिर फिल्टर किए गए रक्त को डायलिसिस मशीन की मदद से शरीर में वापस कर दिया जाता हैं। हेमोडायलिसिस उपचार तीन से पांच घंटे तक किया जाता हैं और एक सप्ताह मेंस तीन बार दुहराया जाता हैं।
- पेरिटोनियल डायलिसिस – पेरिटोनियल डायलिसिस प्रक्रिया में खून को शरीर के अंदर ही साफ किया जाता हैं। इस प्रक्रिया में खून से अपशिष्ट पदार्थ को अवशोषित करने के लिए पेट में एक विशेष प्रकार का द्रव डाला जाता हैं जो पेट की गुहा में छोटी वाहिकाओं के माध्यम से गति करता हैं। ये तरल पदार्थ रक्त से अपशिष्ट को अवशोषित कर सूख जाता हैं पेरिटोनियल डायलिसिस प्रक्रिया को ज्यादातर घर पर अपनाया जा सकता हैं।
डायलिसिस को रोकने का आयुर्वेदिक उपचार
आयुर्वेद चिकित्सा शरीर, मन और आत्मा का एक प्राचनी विज्ञान हैं। आयुर्वेद का उपयोग जड़ी-बूटियों और पूर्व-ऐतिहासिक तकनोकों के साथ किया जाता हैं। विश्व में प्रमुख किडनी सेंटर में से एक कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल हैं। ये 1937 से किडनी रोगियों को 100% प्राकृतिक इलाद कर रहे हैं। यहां हर्बल और प्राकृतिक दवाईयों के द्वारा रोगियों को ठीक किया जाता हैं। यहां सभी तरह की किडनी रोग का प्राकृतिक इलाज किया जाता हैं।