आयुर्वेदिक औषधि गोखरू द्वारा किडनी फेल्योर का उपचार

अल्कोहोल और किडनी रोग

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गोखरू एक ऐसी जड़ी-बूटी है जो स्वास्थ्य के लिए उपयोगी  हैं। इसका वैज्ञानिक नाम ट्रिबुलस टेरेस्ट्रिस हैं। गोखरू का इस्तेमाल प्राचीन काल से ही कई बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता हैं। गोखरू का सेवन रोगों के उपचार के अलावा बॉडी बिल्डिंग, यूरो-जेनिटल सिस्टम की बीमारों को ठीक करने के लिए उपयोग होता हैं। गोखरू के फूल पीले रंग के होते हैं यह मुख्य रूप से राजस्थान और हरियाणा के सूखे इलाकों में पाया जाता हैं। नागफनी की तरह इसके फल पर कांटे लगे होते हैं यानि गोखरू का फल कंटीला होता हैं। साथ ही गोखरू सीने में दर्द को कम करने, एक्जिमा के इलाज के लिए, प्रोस्टेट के आकार को सही करने से सेक्सुल डिसऑर्डर को ठीक करने के लिए, इंफर्टीलिट को दूर करने और कई अन्य तरह की बीमारियों को ठीक करने के लिए उपयोग में लाया जाता हैं। आगे हम गोखरू के फायदे और नुकसान के बारे में जानते हैं।

गोखरू के लाभ

इस सेवन अकेले करें या  किसी सप्लीमेंट के साथ मिलाकर करें। यह शरीर को एक्टिव बनाता हैं और ऊर्जा बढाने में मदद करता हैं, इसलिए अपना प्रदर्शन खेलों में अच्छा बनाने के लिए गोखरू का सेवन किया जाता हैं। एथलीट्स और खिलाडी प्रर्दशन में सुधार के लिए गोखरू का सेवन कर सकते हैं।

  • सीने में दर्द – गोखरू का एक्सट्रेट सीने के दर्द को कम करता हैं। ह्रदयशूल एक बीमारी हैं जिसके कारण सीने में दर्द पैदा हो जाता हैं गोखरू का सेवन ह्रदयशूल के उपचार के लिए करना लाभकारी होता हैं, लेकिन इसका सेवन वैद्य के परामर्श के अनुसार ही करना चाहिए।
  • किडनी का स्वस्थ रखना – गोखरू बंद किडनी को चालू करती हैं किडनी स्टोन के टूकड़े पेशान के रास्ते बाहर निकाल देती हैं। क्रिएटिनिन और यूरिया के लेवल को बहुत जल्दी कम करती हैं। पेशाब में जलन हो पेशाब नहीं होता हैं इसके लिए भी यह काम करता हैं।
  • एक्जिमा – एक्जिमा त्वचा से संबंधित एक बीमारी होती हैं जिसे ठीक करने के लिए भी गोखरू का सेवन किया जाता हैं। यह त्वचा के लाल पड़ने और स्किन ब्रेकआउट को ठीक करने में मदद करने में मदद करता हैं। इसका इस्तेमाल डॉक्टर के अनुसार करें।
  • इरेक्टाइल डिसफंक्शन – यौन स्वास्थ्य अच्छा न होने से कई लोगों के जीवन तबाह हो जाते हैं, इसलिए गोखरू एक रामबाण जड़ी-बूटी हैं जो यौन स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता हैं। कई रिसर्च बताते हैं कि 3 महीने तक गोखरू का सेवन करने से इरेक्टाइल डिसफंक्शन की समस्या काफी हद तक निजात मिलता हैं। गोखरू का सेवन कामवासना और संतुष्टी बढ़ाता हैं साथ ही यह इरेक्शन को भी बढ़ाता हैं।
  • इंफर्टीलिटी का ठीक होना – गोखरू पुरुषों में सेक्स पवार बढ़ाता हैं। कई अध्ययन बताते हैं कि गोखरू का सेवन सिर्फ 60 दिन में स्पर्म कांउट को बढ़ा देता हैं। जिससे पुरुषों को इंफर्टीलिटी की समस्या से निजात मिलती हैं। 1-2 महीनों में गोखरू का सेवन करने के बाद पुरुषों की सेक्सुअल डिजायर और फर्टीलिटी दोनों बढ़ती हैं। गोखरू का सेवन करने से पुरुषों को बांझपन से छुटकारा मिलता हैं। इसका इस्तेमाल डॉक्टर परामर्श से करें।
  • महिलाओं की यौन समस्याएं ठीक करना - कई सारे शोध और रिसर्च बताते हैं कि सिर्फ पुरुष ही नहीं बल्कि महिलाओं में भी सेक्सुअल प्रॉब्लम ठीक करने में गोखरू का सेवन करना लाभकारी होता हैं। 4 सप्ताह तक गोखरू का सेवन करने से सेक्सुअल डिजायर कामुकता, सेक्स पावर, लुब्रिकेशन और सेक्स करने की ताकत में इजाफा होता हैं। यौन समस्याओं से निजात दिलाने में गोखरू का सेवन करना फायदेमंद होता हैं।
  • प्रोस्टेट का आकार कम करना – गोखरू के सेवन करी पत्ता के साथ 12 सप्ताह करने से पुरूषों के बढ़े हुए प्रोस्टेट का आकार ठीक करने में मदद मिलती हैं। यह पुरुषों में यूरेनरी ट्रैक की कार्यप्रणाली को सुधारता हैं और पेशाब संबंधी समस्याएं दूर करता हैं, इसलिए गोखरू का सेवन करना लाभदायक हैं।

गोखरू से हानि

  • गर्भावस्था में सेवन न करें – गर्भावस्था के दौरान गोखरू का सेवन करने से भ्रूण का पूरा विकास नहीं हो पाता हैं। साथ ही इससे स्तनों में पर्याप्त मात्रा में दूध नहीं आता जिससे स्तनपान संबंधित समस्या पैदा हो जाती हैं, इसलिए गोखरू का सेवन गर्भावस्था में न करें
  • डायबिटीज में न करें सेवन – गोखरू ब्लड शुगर के लेवल को कम कर देता हैं, इसलिए अगर आप पहले से ही डायबिटीज की दवाएं खा रहे हैं तो ये ब्लड शुगर के स्तर को जरूरत से ज्यादा कम कर देता हैं, इसलिए डायबिटीज की समस्या के दौरान गोखरू का सेवन न करें।
  • सर्जरी करवाने के बाद – किसी भी तरह की सर्जरी या मेडिकल ट्रीटमेंट से गुजर रहे हैं तो गोखरू का सेवन न करें। गोखरू का सेवन ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर को कम कर देता हैं जो सर्जरी के दौरान हानिकारक साबित हो सकता हैं, इसलिए सर्जरी करवाने के समय गोखरू का सेवन न करें।

किडनी का आयुर्वेदिक उपचार केंद्र

कर्मा आयुर्वेदा भारत के किडनी उपचार केंद्रो में से एक हैं जो 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया था। आज इस अस्पताल के नेतृत्व में डॉ. पुनीत धवन हैं। कर्मा आयुर्वेदा में सिर्फ आयुर्वेदिक किडनी उपचार पर भरोसा किया जाता हैं। साथ ही डॉ. पुनीत ने 35 हजार से भी ज्यादा किडनी रोगियों का इलाज करके उन्हें रोग मुक्त किया हैं। वो भी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना।

 

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