किडनी की बीमारी बेहद गंभीर समस्या है, लेकिन इसकी सबसे खतरनाक बात ये है कि इसके संकेत अंतिम स्थिति में नजर आते हैं। अधिकांश मामलों में रोगी को जब पता चलता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। साथ ही इस बीमारी में डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट ही एकमात्र विकल्प है। पिछले कुछ वर्षों में किडनी रोगों के मामलों में दोगुना वृद्धि हुई है। बिगड़ती जीवनशैली और अस्वस्थ खान-पान इसकी बड़ी वजह है। शरीर से बेकार और विषैले तत्व निकालने की जिम्मेदार किडनी की है और किडनी को साफ करने की जिम्मेदारी हमारी है, लेकिन हम रोज प्राकृतिक तरीकों को अपनाकर किडनी को स्वस्थ रख सकते हैं।
शरीर से अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने के लिए किडनी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। किडनी शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स को संतुलित रखती है और हार्मोन बनने की प्रक्रिया में भी मदद करती है, इसलिए किडनी को स्वस्थ रखना बेहद जरूरी है। एक स्वस्थ आहार लेने और पर्याप्त पानी पीने से आपकी किडनी ठीक रहती है। वैसे कुछ लोगों को किडनी खराबी और किडनी फेल्योर अलग-अलग समझते हैं, तो उन्हें हम बता दें कि किडनी खराबी का अर्थ ही किडनी फेल्योर होता है। आइए तो आज हम बात करते हैं कि, किडनी फेल्योर के बारे में।
किडनी फेल्योर क्या है?
हमारे शरीर में किडनी संतुलन बनाए रखने के कई कार्यों को करती है। वह अपशिष्ट उत्पादों को फिल्टर करके पेशाब के द्वारा बाहर निकालती है। वह शरीर में पानी की मात्रा, सोडियम, पोटेशियम और कैल्शियम की मात्रा को संतुलित करती है। किडनी अतिरिक्त अम्ल और क्षार को निकालने में मदद करती है, जिससे शरीर में एसिड और क्षार का संतुलन बना रहता है। साथ ही शरीर में किडनी महत्वपूर्ण रक्त को शुद्धिकरण करना भी है। जब बीमारी की वजह से दोनों किडनी अपना सामान्य कार्य नहीं कर सके, तो किडनी की कार्यक्षमता कम हो जाती है, जिसे किडनी फेल्योर कहा जाता है।
किडनी फेल्योर का पता लगाए इन संकेतो से
किडनी फेल्योर बहुत गंभीर होती है और शुरूआत में संकेतो का पता नहीं चल पता है, लेकिन फिर भी हमारे शरीर में कई ऐसे लक्षण दिखाई देते हैं, जिससे हम किडनी फेल्योर का अंदाजा लगा सकते हैं। तो आइए जानते है किडनी फेल्योर के लक्षणों के बारे में।
- थोड़ी-थोड़ी देर में पेट दर्द होना - अगर पेट में दायीं या बांयी तरफ की ओर बहुत तेज दर्द होता है, तो इसे अनदेखा नहीं करें, क्योंकि ये किडनी की बीमारी का संकेत भी हो सकता है।
- बुखार आना - यदि किसी व्यक्ति को ठंड लगने के साथ-साथ तेज बुखार भी आ रहा है, तो ये किडनी की बीमारी का लक्षण हो सकता है।
- अधिक उल्टी होना – यदि किसी व्यक्ति को पेट दर्द के साथ-साथ बार-बार उल्टियां भी हो रही है, तो ये किडनी फेल्योर होने के संकेत हो सकते हैं। लेकिन पहले आप इसे खुद पहचानने की कोशिश करें और जाने की उल्टी-अपच की वजह से तो नहीं हो रही है। तब आप डॉक्टर से संपर्क करें।
- पेशाब की समस्या होना - कई बार पेशाब का आना, पेशाब में खून आना, यूरिन पास करने में दिक्कत होना या पेशाब करते समय जलन हो रही है तो, ये किडनी की बीमारी के लक्षण हो सकते हैं। आप इस हालात में जानने की कोशिश करें और तुंरत अपना इलाज शुरू कर दें। साथ ही टॉयलेट बाउल में अगर आपको यूरिन करने बाद काफी झाग या बुलबुले जैसा दिखता है, तो सावधान हो जाएं। इस स्थिति में तुरंत अपने डॉक्टर से जांच करवानी चाहिए।
- पूरे शरीर में सूजन आना - किडनी की बीमारी का सबसे बड़ा संकेत शरीर में कई हिस्सों में सूजन का आना है। आप जानते हैं कि, किडनी का काम शरीर से पानी और नमक को बाहर निकालना है और इसमें खराबी आने की वजह शरीर में पानी बढ़ जाता है, जिसकी वजह से शरीर में सूजन आ जाती है। आपको इस स्थिति में फौरन डॉक्टर से जांच करवानी चाहिए।
- सांस लेने में तकलीफ - किडनी खराब होने पर शरीर में पानी भरने लगता है और तब यहीं पानी फेफड़ों में भर जाता है, जिसकी वजह से फेफड़े अपना काम ठीक से नहीं कर पाते हैं और व्यक्ति को सांस लेने मे तकलीफ होने लगती है। ऐसा आपको धूम्रपान करने पर भी हो सकता है, लेकिन आप इसे नजरअंदाज न करें, क्योंकि ये किडनी की खराबी का संकेत होता है।
- भूख न लगना - भूख न लगना भी किडनी फेल होने का लक्षण हो सकता है। भूख लगना अगर कम हो गया, तो आप फोरन किडनी की जांच करवाएं।
- नींद पूरी न होना - किडनी फेल होने की स्थिति में लोगों को तेज थकावट महसूस होती है और तब उन्हें अधिक सोने की जरूरत होती है। लेकिन उनको नींद नहीं आती है। इससे रोगी को किडनी फेल होने का खतरा अधिक बढ़ जाता है।
किडनी फेल्योर में करवाएं जांच
- यूरिन जांच - इस जांच के द्वारा यूरिन में एल्बुमिन की जांच की जाती है। एल्बुमिन एक तरह की प्रोटीन होता है, जो किडनी के खराब होने पर यूरिन के रास्ते से शरीर से बाहर निकलने लगता है।
- ब्लड क्रिएटिनिन टेस्ट - क्रिएटिनिन हमारे शरीर के मेटाबॉलिज्म में सहायता करता है। जब किडनियां ठीक से काम नहीं करती है, तो यहीं क्रिएटिनिन मरीज के रक्त में घुलने लगता है। ऐसे में ब्लड में क्रिएटिनिन की जांच करके किडनी डिजीज का पता लगया जाता है।
- ग्लोमेरूलर फिल्ट्रेशन रेट (जीएफआर) - इस टेस्ट के जरिए डॉक्टर इस बात का पता लगते हैं कि, आपकी किडनी कितनी और कैसे काम कर रही है।
- अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैन - इस जांच के द्वारा किडनी या यूरिन की नली की जांच की जाती है। डॉक्टर इन दोनों जांच में अंदरूनी अंग की तस्वीर देखकर रोग का पता लगा पाते हैं। साथ ही किडनी में सिस्ट या ट्यूमर की पहचान भी इन जाचों के द्वारा आसानी से की जा सकती है।
- किडनी बायोप्सी - इस जांच में डॉक्टर किडनी से एक छोटा टिशू का टूकड़ा बाहर निकालते हैं और इस टिशू की जांच से रोग के प्रकार और उसकी स्टेज के बारे में पता लगाते हैं और जांच से यह भी पता चल जाता ही की किडनियां कितनी खराब हो चुकी है।
किडनी फेल्योर से बचने के लिए आयुर्वेदिक उपचार
प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली चिकित्सा की एक रचनात्मक विधि है। आयुर्वेद किडनी की समस्या जिसका लक्ष्य प्राकृतिक प्रचुर मात्रा में उपलब्ध तत्वों में उचिक इस्तेमाल द्वारा रोग का मूल कारण सामाप्त करना है। यह न केवल एक चिकित्सा पद्धति है, बल्कि मानव शरीर में उपस्थित आंतरिक महत्वपूर्ण शक्तियों या प्राकृतिक तत्वों के अनुरूप एक जीवनशैली है। यह जीवन कला तथा विज्ञान में एक संपूर्ण क्रांति है। इस प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति में प्राकृतिक भोजन विशेषकर ताजे फल तथा कच्ची व हल्की पक्की सब्जियां विभिन्न बीमारियों के इलाज में निर्णायक भूमिका निभाती है। प्राकृतिक चिकित्सा निर्धन व्यक्तियों और गरीब देशों के लिए विशेष रूप से वरदान है।
कर्मा आयुर्वेदा दिल्ली के बेस्ट किडनी फेल्योर आयुर्वेदिक उपचार केंद्रो में से एक है, जो सन् 1937 में धवन परिवार द्वारा दिल्ली में स्थापित किया गया था और आज इस अस्पताल का नेतृत्व डॉ. पुनीत धवन कर रहे हैं। यहां आयुर्वेद की मदद से 35 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज करके उन्हें रोग से मुक्त किया है, वो भी बिना किसी किडनी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के। साथ ही यहां आयुर्वेदिक दवाओं के साथ आहार चार्ट और योग का पालन करने सलाह भी दी जाती है। कर्मा आयुर्वेदा का नाम भारत के साथ-साथ एशिया के बेहतरीन आयुर्वेदिक किडनी उपचार केंद्रो में शामिल है।