आयुर्वेद में पुनर्नवा के फायदे और नुकसान

अल्कोहोल और किडनी रोग

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पुनर्नवा का वैज्ञानिक नाम बोरहैविया डिफ्यूजा हैं। हर साल फिर से नया हो जाना पुनर्नवा ग्रीष्म ऋतु में सूख जाता हैं। वर्षा ऋतु आते रहते सोता इसमें शाखाएं फूट पड़ती हैं और यह वापस जीवित अवस्था में आ जाता हैं। पुनर्नवा मुख्य रूप से म्यांमार उत्तर और दक्षिण अमेरिका भारत के कई स्थानों अफ्रीका और चीन में पाया जाता हैं, पुनर्नवा सफेद, लाल और नीले फूलों के रंग के होते हैं। पुनर्नवा अलग-अलग जगहों पर इसे अलग-अलग नाम से जाने जाता हैं।

आयुर्वेदिक पुनर्नवा के फायदे -

  • लीवर के लिए - अगर आपके लीवर में भी सूजन की समस्या हैं, तो पुनर्नवा की जड़ आपके लिए काफी लाभदायक साबित हो सकती हैं। बस 4 ग्राम सहजन की छाल और पुनर्नवा की जड़ को पानी में उबालकर मरीज को देने से मरीज लाभा3न्वित महसूस करता हैं।
  • किडनी की सफाई – किडनी शरीर के महत्वपूर्ण अंगों में से एक हैं। ये हमारे शरीर से विभिन्न अशुद्धियों को साफ करती हैं और इस अंग की सफाई की आवश्यकता होती हैं। पुनर्नवा ही ऐसी जड़ी-बूटी हैं, जो किडनी की सफाई करती हैं। साथ ही किडनी की सफाई की पथरी में भी इसके लाभ देखें गए हैं।
  • जवान बने रहना – पुनर्नवा में फिर से हरा हो जाने का गुण हैं, उसी तरह इसमें ये भी क्षमता हैं कि आपको फिर से जवान बना सकता हैं, इसके लिए पुनर्नवा के ताजे जड़ का रस दो-दो चम्मच दो तीन माह तक नियमित रूप से लें, ऐसा करने से आपके शरीर में ताज़गी तो रहेगी ही और आप जवान भी महसूस करेंगे।
  • प्रोस्टेट – हमारे शरीर में मूत्राशय के नीचे तथा मूल नली के पास एक छोटी सी ग्रंथि होती है। जिसे हम प्रोस्टेट के नाम से जानते हैं। पुरूषों में 50 वर्ष की आयु के बाद प्रोस्टेट में समस्या आमतौर पर होने लगती हैं, इस समस्या से निपटने के लिए पुनर्नवा की जड़ों का चूर्ण बेहद लाभकारी साबित होता हैं।
  • जॉन्डिस – जॉन्डिस को पीलिया के नाम से भी जानते हैं, इसमें शरीर और आंखों की त्वचा का रंग पीला होने लगता हैं, इसके साथ ही पेशाब में पीलापन, बुखार और कमजोरी जैसे लक्षण भी नज़र आने लगते हैं। इस समस्या को दूर करने के लिए पुनर्नवा के पंचांग का उपयोग किया जाता हैं।
  • नींद न आना – नींद न आने की बीमारी आजकल आम होती जा रही हैं। जब आपको नींद नहीं आती तो आप बीमारी से पीड़ित हैं, आपको पुनर्नवा की मदद लेनी चाहिए। पुनर्नवा के 50 से 100 मिलीलीटर काढ़े का उपयोग करने से हमें गहरी नींद आती हैं।
  • गठिया – गठिया एक ऐसी बीमारी है, जिसमें जोड़ो में दर्द की समस्या देखी जाती हैं। इस दर्द से निपटने के लिए आपको 1 ग्राम पुनर्नवा की जड़ के पाउडर को अदरक और कपूर के साथ मिलाकर पीना होता हैं, इससे गठिया में काफी आराम मिलता हैं।
  • आंखों से पानी आना – आंखों में जलन या सूजन होने पर पुनर्नवा की मदद ली जा सकती हैं। इसकी जड़ को शहद या दूध के साथ घिसकर आंखों में लगाने से खुजली, सूजन और समस्याओं से हमें राहत मिलती हैं। कई शोधों तो पुनर्नवा के फायदे मोतियाबिंद में भी देखा गया हैं।
  • अस्थमा – पुनर्नवा की जड़ का पाउडर 500 मिलीग्राम हल्दी पाउडर के साथ मिलाकर दिन में दो गुनगुने पानी के साथ लेने से आप अस्थमा जैसी बीमारी का भी मुकाबला करने में सक्षम हो जाते हैं।
  • त्वचा के लिए – त्वचा में होने वाली विभिन्न समस्याओं से निपटने में भी पुनर्नवा की मदद ली जा सकती है। पुनर्नवा त्वचा की विभिन्न समस्याओं से लड़ने के साथ आपके त्वचा में चमक भी लाने का काम करती हैं।

पुनर्नवा के नुकसान -

गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को इसके प्रयोग से बचना चाहिए, क्योंकि पुनर्नवा एक मूत्रवर्धक के रूप में कार्य करता हैं।

आयुर्वेदिक किडनी उपचार केंद्र

कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल के भारत में 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया था और तब से इस संख्या में वृद्धि होती जा रही हैं। आज इसे धवन परिवार की 5वीं पीढ़ी यानी डॉ. पुनीत धवन चला रहे हैं। हर साल हजारों किडनी रोगियों का इलाज करते हैं। कर्मा आयुर्वेदा सिर्फ आयुर्वेदिक विश्वास करते है। साथ ही डॉ. पुनीत ने 35 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज करके उन्हें रोग से मुक्त किया हैं वो भी डायलिसिस या ट्रांसप्लांट के बिना। यहां किडनी रोगियों को आयुर्वेदिक उपचार के साथ-साथ डाइट चार्ट की सलाह भी दी जाती है। ये 100% नेचुरल है और इन आयुर्वेदिक दवाओं से कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है।

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