भारत में आयुर्वेदिक औषधीयों में एक जाना माना नाम हींग भी हैं। इसका इस्तेमाल आप कई समस्याओं के दूर करने में के लिए भी कर सकते हैं। हींग का इस्तेमाल खाना बनाने के लिए किया जाता हैं। हींग में प्रोटीन, फाइबर, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, फास्फोरस, लौह, हैं। जिसके बेहद स्वास्थ्य लाभ का हैं जैसे एंटी-वायरल, एंटी-बायोटिक, एंटी-ऑक्सिडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, मूत्रवर्धक और एंटी-कार्सिनोजेनिक गुण होते हैं, तो चलिए जानते हैं हींग के फायदे और नुकसान के बारे में।
- पेट की समस्या – हींग पेट की समस्या का इलाज करने के लिए सबसे बेस्ट मानी जाती हैं। इसमें एंटी-ऑक्सिडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीफ्लैटुलेंट पाई जाती हैं, जो हमारे पेट से सम्बंधित कई समस्याओं जैसे कि पेट में कीड़े होना, गैस बनना, अपच होना, पेट का फूलना और इर्रिटेबल आंत्र सिंड्रोम आदि परेशानियों को दूर करने में मदद करती हैं। ये भोजन को पचाने में काफी उपयोग माना जाता हैं।
- कैंसर का इलाज – हींग एक शक्तिशाली एंटी-ऑक्सीडेंट हैं जो शरीर में फ्री-रेडिकल क्षति से बचाने में मदद करत हैं। एक रिसर्च के मुताबिक, हींग एंटी-कार्सिनोजेनिक गुण घातक कोशिकाओं के विकास को उसके विकास को रोकने की क्षमता हैं।
- सांस के लिए – अस्थमा, ब्रोकाइटिस, सूखी खांसी, काली खांसी और सर्दी जैसी समस्याओं से सांस लेने में दिक्कत होती हैं और हींग इसके लिए भी बेहद उपयोगी हैं। साथ ही सांस उत्तेजक के रूप में भी कार्य करती हैं जो सीने में पीड़ा उत्पन्न कर रही कन्जेशन से राहन प्रदान करती हैं और ये कफ का निष्कासन करने में बहुत फायदेमंद हैं।
- बच्चों के लिए – नवजात शिशुओं में शूल दर्द या पेट दर्द बहुत ही आम समस्या हैं। हींग लाइनिंग मयूकस मेम्ब्रेन को शांत करके बच्चे को शूल दर्द से राहत दिलाने में मदद करती हैं। पेट में दर्द का इलाज करने के लिए हींग का उपयोग करने से पहले इस बात को सुनिश्चित करें कि, कहीं आपकी बच्च गैंस से पीड़ित तो नहीं हैं या फिर उसे कुछ और समस्या तो नहीं हैं। अगर आपके बच्चे का पेट टाइट और फूला हुआ लग रहा हैं तो वह गैस से परेशान हो सकता हैं।
- कान और सरदर्द – ज्यादातर होने वाले सरदर्द या माइग्रेन की वजह से आपके सिर दर्द होने पर हींग निश्चित रूप से आपकी समस्या हल हो सकती हैं। एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों की वजह से हींग सिर में रक्त वाहिकाओं की सूजन को कम करने में मदद कर सकती हैं, जो बदले में सिरदर्द को कम करती हैं।
- कीड़े के काटने पर – हींग मधुमक्खियों और ततैया जैसे कीट के काटने और डंक के उपचार में भी बहुत फायदेमंद हैं। हींग दर्द और सूजन से कम करके राहत दिलाती हैं और जहरीले प्रभाव को भी कम करने में मदद करता हैं। हींग पाउडर और पानी की मदद से एक पेस्ट तैयार कर लें और इस लेप के रूप में दर्द या सूजन के क्षेत्र में लगाएं। इसे सूखने पर फिर पानी की मदद से पेस्ट को धो लें।
- नपुंसकता – हींग का इस्तेमाल पुरूषों के लिए नपुंसकता या स्तंभन दोष का इलाज के लिए भी किया जाता हैं। एक-चौथाई हींग के चम्मच को घी में फ्राई कर लें। फ्राई करने क पश्चात गैंस बंद कर दें और उसमें बरगद के पेड़ के ताजे लेटेक्स का आधा चम्मच और थोड़ा-सा शहद मिलाएं, रोजाना सुबह 40 दिन के लिए एक बार इस मिश्रण का सेवन करें।
- दांत दर्द के लिए – हींग दांत दर्द और उनमें हुए इंफेक्शन को कम करने में मदद करता हैं। ये मसूडों से रक्त निकालने और दंत क्षय के उपचार में भी सहायता करने में मदद करता हैं।
हींग के नुकसान –
- हींग के अत्यधिक सेवन से आपके होंठों में सूजन आ सकती हैं।
- अधिक हींग से गैस या दस्त जैसी समस्याओं या आपके पेट में जलन महसूस हो सकती हैं।
- बहुत से लोगों में हींग के सवन से त्वचा पर रैशेस भी होने लगते है।
- यह जड़ी-बूटी का ज्यादा सेवन से सिर दर्द और चक्कर का कारक भी बन सकता हैं।
- जो लोग उच्च या निम्न रक्चचाप से पीड़ित हैं तो उन्हें हींग का सेवन नहीं करना चाहिए।
- गर्भवती और स्तनपान करने वाली महिलाओं को हींग का सेवन नहीं करना चाहिए।
आयुर्वेदिक उपचार
भारत के प्रसिद्ध किडनी उपचार केंद्र कर्मा आयुर्वेदा, जो 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया था और आज इस अस्पताल के नेतृत्व में डॉ. पुनीत धवन हैं। कर्मा आयुर्वेदा कई सालों में आयुर्वेदिक दवाओं के साथ किडनी रोगियों का इलाज कर रहे हैं। साथ ही डॉ. पुनीत धवन अपने सभी मरीजों के इलाज के लिए प्राकृतिक और जैविक तरीकों पर विश्वास करते हैं। कर्मा आयुर्वेदा एशिया के सबसे अच्छे स्वास्थ्य क्लिनिक में से एक हैं। डॉ. पुनीत ने 35 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज करके उन्हें रोग से मुक्त किया जाता हैं।
आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल करके दवा बनाई जाती हैं जिसमें किडनी रोगियों का इलाज किया जाता हैं। आयुर्वेदिक दवाओं से रोग को जड़ से खत्म हो जाते हैं। साथ ही आयुर्वेदिक दवाओं में वरूण, कासनी, गोखुर, पुनर्नवा और शिरीष जैसी जड़ी-बूटियां शामिल हैं जो रोग को जड़ से खत्म कर देती हैं। किडनी की सभी बीमारियों के लिए आयुर्वेदिक किडनी उपचार सबसे ज्यादा फायदेमंद साबित हुआ हैं। आयुर्वेद ने दुनिया भर की मानव जाति के संपूर्ण, शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास किया हैं। आज चिकित्सा की अनुपम और अभिन्न शाखा हैं, एक संपूर्ण प्राकृतिक प्रणाली है जो आपके शरीर का सही संतुलन प्राप्त करने के लिए वात, पित्त और कफ को नियंत्रित करती हैं। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति लंबे जीवन का विज्ञान हैं और दुनिया में स्वास्थ्य की देखभाल की सबसे पुरानी प्रणाली हैं।