एंटीबायोटिक लेने से किडनी कैसे खराब होती है?

अल्कोहोल और किडनी रोग

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एंटीबायोटिक लेने से किडनी कैसे खराब होती है?

बढ़ती उम्र के साथ अक्सर व्यक्तियों को कई शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जैसे – कमर दर्द, घुटनों का दर्द तथा अन्य समस्याएँ। इन सभी शारीरिक समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए लोग अक्सर दवाओं का सेवन करते हैं और समय के साथ कुछ लोग दवाओं के इतने आदि हो चुके होते हैं कि उनको बिना इनके सेवन किये समस्या से राहत ही नहीं मिलती। हमें बिना किसी चिकित्सक की सलाह के किसी भी प्रकार की औषधि का सेवन नहीं करना चाहिए, अब चाहे वो आयुर्वेदिक हो या एलोपैथी। बिना चिकित्सक की सलाह के ली गई दवा के कारण किडनी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। अधिक मात्रा में एंटीबायोटिक दवाओं के सेवन की वजह से किडनी को शरीर में तरल पदार्थ और इलेक्ट्रोलाइट को संतुलित करने के लिए अधिक कार्य करना पड़ता है, जिससे किडनी पर दबाव पड़ता है।

किडनी को नुकसान पहुंचाने वाली दवाओं को नेफ्रोटॉक्सिक दवाओं के नाम से जाना जाता है। नेफ्रोटॉक्सिक दवाएं किडनी में रक्त प्रवाह को बाधित करने के साथ-साथ रक्त शुद्ध करने की प्रक्रिया को भी रोकती है। अगर आप पहले से ही किडनी से जुड़ी समस्या से जूझ रहे हैं, तो आपको इबुप्रोफेन जैसे एंटीबायोटिक्स का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह एंटीबायोटिक किडनी को और अधिक नुकसान पहुंचा सकती है। एंटीबायोटिक दवाएं ना केवल किडनी पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं बल्कि यह शरीर के अन्य अंगों पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती हैं।

कुछ दवाओं या एंटीबायोटिक दवाओं के नकारात्मक प्रभावों के कारण निम्नलिखित जटिलताएं हो सकती हैं: -

  • रक्त में एल्बुमिन के स्तर में वृद्धि
  • क्रिएटिनिन में वृद्धि
  • किडनी की धमनियों का पतला होना
  • किडनी में सूजन
  • शरीर में इलेक्ट्रोलाइट और तरल प्रदार्थ असंतुलन
  • किडनी ट्यूबलर एसिडोसिस
  • क्रोनिक किडनी डिजीज या तेज़ी से किडनी खराब होना
  • एनाल्जेसिक नेफ्रोपैथी
  • लीवर में समस्या
  • खून पतला हो जाना
  • खून के प्रवाह में समस्या होना
  • उच्च रक्तचाप की समस्या आदि।

किन दर्द निवारक दवाओं के सेवन से किडनी प्रभावित होती है?

वैसे तो किसी भी प्रकार की एलोपैथी दवा का अधिक सेवन करने से किडनी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। लेकिन नीचे उल्लेखित की गई कुछ एलोपैथी दवाएं हैं, जिनके लगातार सेवन से किडनी पर नकरात्मक प्रभाव पड़ता है, :-

गैर-स्टेरायडल विरोधी, सूजन-संबंधी दवाएं (Non-steroidal anti-inflammatory drugs)

किटोप्रोफेन, नेप्रोक्सन और इबुप्रोफेन जैसी एलोपैथी दवाएं, किडनी तक पहुँचने वाली रक्त वाहिंकाओं को संकीर्ण कर देती हैं। ऐसा होने से किडनी तक रक्त पहुँचने में समस्या होती है, साथ ही किडनी ऊतक (Tissue) के लिए घातक हो सकती है। किडनी में रक्त न पहुँचने और ऊतकों में आई समस्या के चलते किडनी के नेफ्रोन क्षतिग्रस्त होना शुरू हो जाते हैं।

एंटीबायोटिक्स (Antibiotics)

विभिन्न प्रकार के एंटीबायोटिक्स अलग-अलग तरीकों से किडनी को नुकसान पहुंचा सकते हैं। अमीनोग्लाइकोसाइड्स किडनी की ट्यूबलर कोशिकाओं में विषाक्त तत्वों को पैदा कर सकते हैं, क्योंकि वह विषाक्त पदार्थों के प्रति संवेदनशील होते हैं। इसी तरह, सल्फोनामाइड्स नामक एक अन्य एंटीबायोटिक है जो कि एक प्रकार का नमक है, यह क्रिस्टल का उत्पादन करता है। यह पेशाब के साथ शरीर से बाहर नहीं जाता, जिससे पेशाब के प्रवाह में समस्या हो जाती है। लंबे समय तक यह समस्या होने के कारण किडनी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और किडनी खराब हो जाती है।

एचआईवी दवाएं (HIV medicines)

एचआईवी की दो खास दवाएं हैं “विरेड और रेयाट्ज़”, यह दोनों दवाएं किडनी के लिए हानिकारक होती है। यह दोनों दवाइयां किडनी के ट्यूबलर कोशिकाओं में विषाक्त तत्वों के बनने का कारण बन सकती हैं। जिसके चलते किडनी की कार्यक्षमता पर असर पड़ता है।

एंटी-ट्रांसलेशन पोस्ट-ट्रांसलेशन दवाएं (Anti-translation post-translation drugs)

कुछ एंटी-रिजेक्शन दवाएं जैसे साइक्लोस्पोरिन और टैक्रोलिमस किडनी के आसपास रक्त वाहिकाओं को सिकोड़ सकती हैं, जिससे रक्त प्रवाह पूरी तरह नहीं हो पाता और किडनी की कार्यक्षमता कम हो जाती है।

एंटीवायरल ड्रग्स (Antiviral Drugs)

चिकनपॉक्स के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाली एसाइक्लोविर दवाएं आपकी किडनी की सूजन और शरीर में सूजन का कारण बन सकती है। एसाइक्लोविर दवाएं शरीर में क्रिस्टल के उत्पादन के लिए जिम्मेदार होती है जो कि खराब किडनी में स्टोन बना देती है और साथ ही इसके सेवन से किडनी खराब भी हो सकती है।

मूत्रवधक दवाएं (Diuretics medicines)

मूत्रवर्धक दवाएं हमेशा आपके शरीर के लिए अच्छी नहीं होती। मूत्रवर्धक दवाएं आपके शरीर में पानी की कमी, सूजन, रक्त में तरल पदार्थ का निर्माण और कई अन्य जटिलताओं का कारण बन सकती हैं। इनके अलावा यह दवाएं आपके रक्तचाप को बढ़ा या गिरा भी सकती है।

एंटीबायोटिक दवाएं लेते समय किन बातों का ख्याल रखें?

एंटीबायोटिक दवाओं के सेवन के दौरान आपको निम्नलिखित बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए, जिससे आपकी किडनी स्वस्थ बनी रहेगी -

  1. एंटीबायोटिक दवाएं लेते समय लेबल पर ध्यान दें और अपने चिकित्सक द्वारा बताई गयी मात्रा में ही दवाओं का सेवन करें।
  2. यदि संभव हो तो NSAIDs दवाओं के सेवन से बचने का प्रयास करें। किसी नई दवा के सेवन या दीर्घकालिक उपयोग से पहले चिकित्सक की सलाह जरुर लें।
  3. एंटीबायोटिक दवाओं के साथ नियमित रूप से शराब का सेवन करने से बचें। क्योंकि यह शरीर में पानी की कमी का कारण बन सकता है। साथ ही इससे  रक्तचाप बढ़ सकता है और आपको लीवर से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
  4. एंटीबायोटिक्स लेते समय भरपूर पानी लें, क्योंकि इससे टॉक्सिन्स बाहर निकल जाएंगे।
  5. गर्भावस्था के दौरान किडनी की समस्याएं होना आम है। इसके अलावा यदि आप काफी हद तक NSAIDs पर निर्भर हैं, तो समय से पहले बच्चे का जन्म हो सकता है (7वें या 8वें माह में)। इस दौरान गर्भवती महिला की किडनी खराब भी हो सकती है।
  6. अधिक मात्रा में एंटीबायोटिक का सेवन करने से खून पतला होने लगता है, जिससे आपका शरीर कमजोर होना शुरू हो जाता है।

कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार

आयुर्वेदिक उपचार ही ऐसा उपचार है जिसकी मदद से हम किसी भी प्रकार के रोग को जड़ से खत्म कर सकते हैं। कर्मा आयुर्वेदा की स्थापना वर्ष 1937 में हुई थी, तभी से कर्मा आयुर्वेदा आयुर्वेदिक किडनी उपचार करते आ रहा हैं। वर्तमान समय में डॉ. पुनीत धवन इसका नेतृत्व कर रहे हैं, जिन्होंने अभी तक 48 हज़ार से भी ज्यादा किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज किया है। आपको बता दें कि कर्मा आयुर्वेदा में आयुर्वेदिक किडनी डायलिसिस उपचार और किडनी ट्रांसप्लांट के बिना ही किडनी का सफल इलाज किया जाता है।

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