कद्दू कैसे बचता है किडनी और उसकी संबंधित बिमारियों से

अल्कोहोल और किडनी रोग

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कद्दू कैसे बचता है किडनी और उसकी संबंधित बिमारियों से

जानिए कैसे हे कद्दू एक पोषक तत्व:

कद्दू बहुत से पोषक तत्वों से भरपूर है। यह अपने पोषक तत्वों के कारण एक आयुर्वेदिक औषधि के समान है। कद्दू में कार्बोहाइड्रेट, आयरन, ज़िंक, प्रोटीन, कैलोरी, फाइबर, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फोलेट, फास्फोरस, सोडियम, विटामिन के, और विटामिन सी जैसे पोषक तत्व मिलते हैं। कद्दू के पत्ते, फूल, तना और जड़ को आयुर्वेदिक औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है। आप कद्दू को सलाद, सूप, सब्जी, जूस से लेकर मिठाई के रूप में इसका सेवन कर सकते हैं। आप चाहें कद्दू का सेवन किसी भी रूप में करे, इसके पोषक तत्वों में कोई बदलाव नहीं आता है।

कद्दू किडनी को कैसे स्वस्थ रखता हे

कद्दू आपको कई रोगों से बचा कर रखता है। यह किडनी रोगियों के लिए उत्तम भोजन है। कद्दू आपको किडनी से जुड़ी कई बीमारियों से छुटकारा दिलाने में मदद करता है। यह आपको कुछ ऐसे रोगों से बचा कर रखता है, जिनसे किडनी खराब होने का खतरा रहता है। कद्दू आपको निम्नलिखित रोगों से मुक्त कर आपकी किडनी को स्वस्थ रखता है -

मधुमेह –

अगर आप मधुमेह जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं, तो आपको अपने भोजन में कद्दू को जरुर शामिल करना चाहिए। कद्दू में बहुत से ऐसे पोषक तत्व होते हैं, जो आपके रक्त में मौजूद शर्करा की मात्रा को घटाने का काम करते हैं। कद्दू में मौजूद खनिज उत्पाद रक्त शर्करा में अवशोषित हो जाते हैं। ऐसा होने से रक्त में शर्करा का स्तर तब तक गिरता है, जब तक की वह अपने नियंत्रित स्तर में न आ जाए। कद्दू में फाइबर भी काफी अच्छी मात्रा में मिलता है, जो वसा को कम कर इन्सुलिन के निर्माण में मदद करता है। इन्सुलिन रक्त शर्करा को कम करने में सहायता करता है। मधुमेह किडनी खराब होने का बड़ा कारण है।

वजन  बढ़ना –

कद्दू आपका बढ़ा हुआ वजन कम करने में मदद करता है। तीन ग्राम कद्दू में एक ग्राम से ज्यादा फाइबर होता है, जो वजन कम करने में सहायता करता है। फाइबर पेट में जमा अतिरिक्त वसा को कम कर और पाचन को दुरुस्त कर बढ़े हुए वजन को घटाता है। वजन कम करने के लिए आप कद्दू के जूस और सूप का सेवन जरूर करे। तेजी से वजन कम करने के लिए आप सेवन हल्के व्यायाम या योग के बाद खाली पेट कद्दू के जूस का सेवन कर सकते हैं। बड़ा हुआ वजन कई बिमारियों को जन्म देता है, जिसमे किडनी की बिमारियों आम है।

उच्च रक्तचाप –

कद्दू उच्च रक्तचाप की समस्या से छुटकारा दिलाने में मदद करता है। इसमें पोटेशियम, फाइबर और विटामिन सी जैसे पोषक तत्व पाए जाते है। यह सभी पोषक तत्व उच्च रक्तचाप को काबू करने में सहायता करते हैं। कद्दू में पोटेशियम बहुत कम मात्रा में होता है, यह रक्त वाहिकाओं को शांत कर सोडियम को कम करता है। विटामिन सी रक्त संचार को ठीक करने में मददगार है और फाइबर वसा को कम करता है। इन तीनों के मेल से उच्च रक्तचाप की समस्या से जल्द राहत मिलने लगती है। लगातार उच्च रक्तचाप की समस्या होने से किडनी पर दबाव पड़ता है, जिससे किडनी खराब होने का खतरा भी रहता है।

पाचन ठीक रखता हे –

कद्दू आपके पाचन तन्त्र को ठीक करने में भी मददगार है। इसमें फाइबर के साथ कई अन्य पोषक तत्व मिलते हैं, जो आपके पाचन को सुधारने में मदद करते है। खराब पाचन तन्त्र कई बीमारियों को जन्म देता है। अगर आप खराब पाचन की समस्या से जूझ रहे हैं तो आपको अपने आहार में कद्दू को जरुर शामिल करना चाहिए। इसमें मौजूद घुलनशील फाइबर आहार को ठीक से पचाने और वसा को कम करने में सहायक है। खराब पाचन किडनी की बीमारी के खतरे को बढ़ा सकता है।

किडनी खराब होने के लक्षण :-

किडनी खराब होने पर रोगी के शरीर में निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं, जिनकी पहचान कर आप समय रहते किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार शुरू कर सकते है –

  • पेट में दर्द
  • जी मचलना
  • उलटी आना
  • तेज़ बुखार होना
  • बार बार पेशाब आना
  • पेशाब की कम मात्रा आना
  • पेशाब में खून आना
  • झागदार पेशाब आना
  • सूजन
  • हड्डियों में कमजोरी और दर्द
  • सांस लेने में दिक्कत
  • वजन घटना
  • नींद की कमी
  • खुजली होना
  • मांसपेशियों में ऐंठन
  • कम दबाव के साथ पेशाब आना
  • दबाव होने पर भी पेशाब ना आना

कैसे कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का उपचार होता हे

जानिए...

आयुर्वेद की मदद से किडनी फेल्योर की जानलेवा बीमारी से जल्द ही छुटकारा पाया जा सकता है। आयुर्वेद में इस रोग को हमेशा के लिए खत्म करने की ताक़त मौजूद है। जबकि अंग्रेजी दवाओं में बीमारी से कुछ समय के लिए राहत भर ही मिलती है। लेकिन आयुर्वेद में बीमारी को हमेशा के लिए खत्म किया जाता है। आज के समय में "कर्मा आयुर्वेदा" प्राचीन आयुर्वेद के जरिए "किडनी फेल्योर" जैसी गंभीर बीमारी का सफल इलाज कर रहा है। कर्मा आयुर्वेद पूर्णतः प्राचीन भारतीय आयुर्वेद के सहारे से किडनी फेल्योर का उपचार करता है।

वैसे तो आपके आस-पास भी काफी आयुर्वेदिक उपचार केंद्र होंगे लेकिन कर्मा आयुर्वेद ऐसा क्या खास है? आपको बता दें की कर्मा आयुर्वेदा साल 1937 से किडनी रोगियों का इलाज करते आ रहे हैं। वर्ष 1937 में धवन परिवार द्वारा कर्मा आयुर्वेद की स्थापना की गयी थी। वर्तमान समय में डॉ. पुनीत धवन कर्मा आयुर्वेद को संभाल रहे हैं। डॉ. पुनीत धवन ने  केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। जिससे हमारे शरीर में कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। साथ ही आपको बता दें कि डॉ. पुनीत धवन ने 35 हजार से भी ज्यादा किडनी मरीजों को रोग से मुक्त किया है। वो भी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना।

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