आजकल की जीवनशैली के बीच किडनी की समस्या लोगों में तेजी से बढ़ती जा रही हैं। मानव शरीर में दो किडनी होती हैं, जिसमें सही तरीके से काम न करने पर जीने की संभावना बहुत कम रह जाती हैं। रीढ़ की हड्डी के दोनों सिरों पर बिन के आकार के दो अंग होते हैं जिसे किडनी कहते हैं। शरीर के रक्त का बड़ा हिस्सा किडनी से होकर गुजरता हैं। किडनी मौजूद लाखों नेफ्रोन नलिकाएं खून को छानकर शुद्ध करती हैं। ये रक्त के अशुद्ध भाग को पेशाब के रूप में अलग भेजती हैं।
किडनी रोग की शुरूआती अवस्था में पता नहीं चल पाता और यह इतना खतरनाक होता हैं कि ये बढ़कर किडनी फेल्योर का रूप ले लेती हैं। साथ ही किडनी फेल्योर के लिए दो कारण जरूर होते हैं- डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर, लेकिन ये जरूरी नहीं है कि इन्हीं कारणों से ये समस्या होती हैं डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर के अलावा दिल का रोग भी एक कारण होता हैं। ऐसे में किडनी संबंधी रोग से बचने का उपाय तो अपनाएं ही और कुछ छोटे-छोटे नियम अपनाकर भी किडनी फेल्योर के बचा जा सकता हैं।
ब्लड प्रेशर का ध्यान रखें:
किडनी को सही और सक्रिय रहे, तो ब्लड प्रेशर कम रहता हैं जो किडनी की सेहत बनाए रखता हैं। ब्लड प्रेशर की निगरानी रखें। यह किडनी की क्षति का आम कारण हैं। सामान्य ब्लड प्रेशर 120/80 होता हैं। 128 से 89 को प्रि-हाईपरटेंशन माना जाता हैं और इसमें जीवनशैली और खानपान में बदलाव करना होता हैं। 140/90 से अधिक होने पर डॉक्टर से जांच जरूर करवाएं।
ब्लड शुगर को कंट्रोल में रखें:
ब्लड शुगर को नियमित रूप से नियमित रखें, क्योंकि डायबिटीज वाले लोगों की किडनी खराब होने का खतरा रहता हैं। इसलिए किडनी को सेहतमंद रहे और उनमें कोई परेशानी न हो, तो इस बात का ध्यान रखें कि, आपका ब्लड शुगर सही रहे। वह न कम हो न ही ज्यादा।
खान-पान का ध्यान रखें:
स्वास्थ्य अच्छा रहने के लिए सेहतमंद खाएं और वजन नियंत्रित रखें। अपने खाने में नमक की मात्रा कम रखें। नमक का सेवन घटाएं, प्रतिदिन केवल 5 से 6 ग्राम नमक ही लेना चाहिए। इसके लिए प्रोसेस्ड और रेस्तरां से खाना कम से कम खाएं और खाने में ऊपर नमक न डालें। आप ताज़ा चीजों के साथ खुद खाना बनाएं, तो इससे बचा जा सकता हैं।
उचित तरल पदार्थ लें:
रोज़ डेढ़ से दो लीटर यानी तीन से चार बड़े गिलास पानी पीने चाहिए। ये सेहत के लिए बहुत ही अच्छा माना गया हैं। भरपूर पानी पीने से किडनी से सोडियम, यूरिया औऱ जहरीले तत्व साफ होते हैं। इससे किडनी लंबे रोग पैदा होने का खतरा काफी कम हो जाता हैं, लेकिन जरूरत से ज्यादा तरल भी न लें, क्योंकि इससे प्रतिकूल प्रभाव हो सकता हैं। किडनी की सेहत अच्छी बनाए रखने के लिए शरीर में पानी की उचित मात्रा रखनी होती हैं। इससे किडनी की लंबी बीमारी का खतरा बेहद कम हो जाता हैं।
सभी जांच समय पर करवाएं:
किडनी की क्षतिग्रस्त होने का पता लगाने के लिए पेशाब की जांच और किडनी कैसे काम कर रही हैं। इसके लि खून की जांच की जाती हैं। पेशाब की जांच से एल्बुमिन नामक प्रोटीन का पता चलता हैं जो सेहतमंद किडनी में मौजूद नहीं होती हैं। खून जांच ग्लूमेरूलर फिल्ट्रेशन रेट (जीएफआर) की जांच करता हैं। ये किडनी को फिल्टर करने की क्षमता होती हैं। 60 से कम जीएफआर किडनी के गंभीर रोग का संकेत होता हैं। 15 से कम जीएफआर किडनी के फेल होने का प्रमाम होता हैं।
कन्नौज में किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार
आयुर्वेद एक पुराने उपचार तंत्र किडनी की बीमारी के इलाज के लिए एक शुद्ध प्राकृतिक पद्धति प्रदान करती हैं। ये आयुर्वेदिक दवाओं में प्राकृतिक रूप से विकसित जड़ी-बूटियों को नियोजित करता हैं जो बिना किसी दुष्प्रभाव के किडनी के कार्य को फिर से जीवित करने में मदद करती हैं। ब्लडस्ट्रीम में रूकावटों को सही रीनल डाइट और विशेष दवाओं को साफ किया जाता हैं। आयुर्वेद प्राकृतिक जड़ी-बूटियों में पुनर्नवा, गोखुर, वरूण, कासनी और शिरीष जैसी आयुर्वेदिक दवाओं का इस्तेमाल किया जाता हैं जो किडनी मरीजों को ठीक करने में बहुत सहायता करती हैं।
भारत के प्रसिद्ध किडनी उपचार केंद्रो में से एक हैं कर्मा आयुर्वेदा। ये 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया था और इसके नेतृत्व में डॉ. पुनीत धवन हैं। कर्मा आयुर्वेदा में सिर्फ आयुर्वेदिक उपचार पर भरोसा किया जाता हैं। साथ ही डॉ. पुनीत धवन ने 35 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज करके उन्हें रोग से मुक्त किया हैं। वो भी किसी को डायलिसिस या प्रत्यारोपण की सलाह के बिना।