रोगी का नाम कृष्ण कुमार अग्रवाल हैं वह मध्यप्रदेश के रहने वाले हैं। कृष्ण कुमार किडनी रोग से जुझ रहे थे और इस बीमारी में उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। जिससे की डॉक्टरों ने फिस्टुला के लिए बोल दिया था।
इलाज से पहले
- कुछ हिस्सों में सूजन
- कमजोरी महसूस होना
- ब्लड प्रेशर का स्तर बढ़ना
- लगातार क्रिएटिनिन का बढ़ना
आयुर्वेदिक इलाज के बाद
कर्मा आयुर्वेदा में डॉ. पुनीत धवन अपने सभी रोगियों की मदद करते हैं जंहा रोगियों को डायलिसिस के लिए बोला जाता हैं वहां डॉ. पुनीत धवन अपने मरीज़ो को डायलिसिस से मुक्त करते हैं। जी हां, रोगी कृष्ण कुमार अग्रवाल ने खुद अनुभव किया हैं। पहले रोगी का क्रिएटिनिन लेवल 8.07mg / dl थी, लेकिन कर्मा आयुर्वेदा इलाज के बाद घटकर 5.40mg / dl हो गया। साथ ही वह शारीरिक तौर पर फिट हैं और डायलिसिस से भी मुक्त हो गए।
किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक इलाज
किडनी शरीर में संतुलन बनाए रखना का काम करती हैं। वह अपशिष्ट उत्पादों को फिल्टर करके पेशाब से बाहर निकालती हैं। वे शरीर में पानी की मात्रा, सोडियम, पोटेशियम और कैल्शियम की मात्रा को संतुलित करती हैं। वह अतिरिक्त अम्ल और क्षार निकालने में मदद करता हैं जिससे शरीर में एसिड और क्षार का संतुलन बना रहता हैं। किडनी का मुख्य कार्य रक्त शुद्धिकरण करना हैं। जब बीमारी के कारण दोनों किडनी अपना सामान्य कार्य नहीं कर सके, तो किडनी की कार्यक्षमता कम हो जाती हैं, जिसे किडनी फेल्योर कहते हैं।
किडनी फेल्योर का इलाज संभव नहीं हैं इसमें रोगियों को डायलिसिस या ट्रांसप्लांट करवाना पड़ता हैं जो इतने महंगे इलाज नहीं करवा पाते हैं उन्हें अपनी जान गवानी पड़ जाती हैं, लेकिन आयुर्वेदक भारत में सालों से चला आ रहा हैं। इसमें प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल करके दवा बनाई जाती हैं।
1937 से कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल में आयुर्वेदिक दवाओं से किडनी रोगियों का इलाज किया जाता हैं। 1937 में स्थापित किया गया था और इसके नेतृत्व में डॉ. पुनीत धवन हैं। कर्मा आयुर्वेदा भारत में सबसे प्रामाणिक आयुर्वेदिक किडनी उपचार केंद्र हैं। वे पूर्ण हर्बल और प्राकृतिक उपचार दवाओं का उपयोग करते हैं जिसमें कोई साइड इफेक्ट नहीं होता हैं। वे तेज़ी से वसूली के लिए अपने मरीजों को एक किडनी आहार चार्ट भी प्रदान करते हैं।