कर्मा आयुर्वेदा किडनी पेशेंट – प्रताप शंकर

अल्कोहोल और किडनी रोग

dr.Puneet
+91
OR CALL
9971829191

रोगी प्रताप शंकर जो लखनऊ के रहने वाले हैं। वह किडनी डिजीज से पीड़ित थे। इस समस्या से उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था जैसे- चलने-फिरने में दिक्कत, क्रिएटिनिन का लगातार बढ़ना आदि। डॉक्टर ने उन्हें डायलिसिस के लिए बोल दिया था।

आयुर्वेदिक उपचार के बाद

कर्मा आयुर्वेदा से आयुर्वेदिक उपचार प्राप्त करने के बाद अब रोगी में काफी सुधार हैं। रोगी पहले अच्छे चल-फिर सकता हैं, अब खुश रहता हैं और क्रिएटिनिन भी पहले कम हो गया। रोगी का पहले क्रिएटिनिन लेवल 7 से 4.06 तक पंहुच गया। मात्र कुछ ही महीनों में ऐसा संभव हो पाया हैं। साथ ही वह डायलिसिस से भी मुक्त हो गए हैं।

विश्लेषण:

कर्मा आयुर्वेदा ने हजारों बार ये सिद्ध कर दिया हैं कि किडनी को पुनर्जीवित किया जा सकता हैं और क्रिएटिनिन को कम किया जा सकता हैं। ऐसा सिर्फ डॉ. पुनीत धवन द्वारा दी गई आयुर्वेदिक दवा और उचित डाइट चार्ट की सलाह से हो पाया हैं।

क्रिएटिनिन क्या हैं?

क्रिएटिनिन खून में पाए जाने वाला रासायनिक अपशिष्ट पदार्थ है जो मांसपेशियों का उपयोग करने या ऊतकों के टूटने के कारण उत्पन्न होते हैं। इसे बहुत अधिक प्रोटीन सेवन से कम मात्रा में उत्पन्न किया जा सकता हैं। ये मांसपेशियों द्वारा क्रिएटिन की उर्जा के रूप में उपयोग करने के दौरान अपशिष्ट के रूप में प्राप्त होता हैं। ये खून के माध्यम से पूरे शरीर में गति करता हैं और किडनी के द्वारा पेशाबमार्ग से बाहर निकाल दिया जाता हैं। किडनी खून में उपस्थित क्रिएटिनिन को फिल्टर अवशेष के रूप में अलग कर देते हैं। ये यूरिमिया नामक समस्या का करना बनता है, जो जीवन के लिए बहुत बड़ा खतरा हैं। यूरिमिया खून में अपशिष्ट उत्पादों के असामान्य रूप से उच्च स्तर पाए जाने की स्थिति हैं। ये किडनी रोग के अंतिम स्टेज की ओर संकेत करती हैं।

कर्मा आयुर्वेदा से आयुर्वेदिक उपचार

भारत का सर्वश्रेष्ट किडनी उपचार केंद्र कर्मा आयुर्वेदा हैं। ये 1937 से किडनी रोगियों का इलाज करते आ रहे हैं और आज इसके नेतृत्व में डॉ. पुनीत धवन हैं। आयुर्वेद में डायलिसिस और किडनी प्रत्यारोपण के बिना किडनी का इलाज करते हैं। आयुर्वेद में किडनी समस्याओं को ठीक करने के परिणाम सफल रहा हैं। डॉ. पुनीत ने सफलतापूर्वक 35 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज किया हैं। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता हैं जिससे हमारे शरीर में कोई दुष्प्रभाव नहीं होता हैं।

लेख प्रकाशित