कर्मा आयुर्वेदा किडनी पेशेंट - श्री एस. मजूमदार

अल्कोहोल और किडनी रोग

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रोगी का नाम श्री एस. मजूमदार हैं जो उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। वह किडनी डिजीज से पीड़ित थे और रोगी किडनी रोग में बहुत-सी समस्याओं से जूझ रहे था।

इलाज से पहले

  • काम करने का मन ना करना
  • भरपूर नींद आना
  • कमजोरी महसूस होना

आयुर्वेदिक इलाज के बाद

आयुर्वेदिक इलाज से पहले रोगी को किडनी की बीमारी से काफी दर्द का सामना करना पड़ रहा था। जिससे उनका क्रिएटिनिन लेवल दिन-प्रतिदिन बढ़ता चला जा रहा हैं, लेकिन कर्मा आयुर्वेदा से कुछ ही महीने इलाज करवाने के बाद ही रोगी में बहुत से सुधार देखने को मिले और उनका क्रिएटिनिन लेवल 4.9 mg/dL से 3.60 mg/dL तक पहुंच गया। साथ ही एस. मजूमदार शारीरिक तौर पर फिट महसूस कर रहे हैं।

विश्लेषण:

कर्मा आयुर्वेदा ने एक बार फिर किडनी रोग से पीड़ित मरीज को इस रोग से मुक्त किया हैं। डॉ. पुनीत धवन ने से सिर्फ ओर सिर्फ आयुर्वेदिक उपचार और डाइट चार्ट की सलाह से कर दिखाया हैं। कर्मा आयुर्वेदा में पूरे आयुर्वेदिक प्राकृतिक उपचार के साथ किडनी रोगियों का इलाज करते हैं।

किडनी डिजीज का आयुर्वेदिक उपचार

मानव शरीर में किडनी का महत्वपूर्ण कार्य हैं, लेकिन किडनी की बीमारी दुनिया भर में लोगों को अपनी चपेट में ले रही हैं और बहुत से लोग इस बीमारी की वजह से अपनी जानगवा बैठते हैं। किडनी रोग सिर्फ गलत जीवनशैली और गलत खान-पान की वजह से होता हैँ। किडनी शरीर से रक्त में एकत्रित हुई गंदगी को हटाने और पानी व मिनरल्स के संतुलन को बनाए रखने का काम करती हैं। साथ ही शरीर के इस काम में अक्षमता ही किडनी फेल्योर कहलाती हैं, जो एक गंभीर बीमारी हैं। डायबिटीज के दुष्टपरिणाम के चलते किडनी की खराबी आम बात होती जा रही हैं। ये लगभग 20 से 30% मधुमेह रोगियों में किडनी की खराबी अर्थात डायबिटीज नेफ्रोपैथी हो जाती हैं।

कर्मा आयुर्वेदा में किडनी रोगियों का इलाज किया जाता हैं। ये एकमात्र आयुर्वेदिक किडनी संस्थान हैं जो सभी किडनी रोगियों को डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट से दूर रखता हैं। कर्मा आयुर्वेदा 1937 में स्थापित किया गया था और आज इसके नेतृत्व में डॉ. पुनीत धवन हैं। जिसने 30 हजार से ज्यादा किडनी के मरीजों का इलाज किया हैं।

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