पेशेंट इंद्रप्रकाश सिंह, इलाहाबाद से वह तीव्र किडनी डिजीज से पीड़ित थे। इस वजह से उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता था जैसे:
- चलने में परेशानी होना
- भूख कम लगना
- बार-बार उल्टी होना
साथ ही रोगी के शरीर में क्रिएटिनिन लेवल 6-8mg/dl था। वह हर हफ्ते डायलिसिस भी लिया करते थे। हर जगह से इलाज करके परेशान आ गए थे और इन इलाज से उनके शरीर में कोई सुधार भी नहीं आ रहा था, लेकिन रोगी इंद्रप्रकाश सिंह ने कर्मा आयुर्वेदा से इलाज करवाया। 2 महीने में ही उनके शरीर में सुधार आना शुरू हुआ और उनका क्रिएटिनिन लेवल 5mg/dl हो गया। इतना ही नहीं, वह किडनी डायलिसिस से भी मुक्त हो गए। कर्मा आयुर्वेदा डॉ. पुनीत धवन ने अपनी आयुर्वेदिक दवाओं और उचित डाइट चार्ट की सलाह से बहुत से किडनी रोगियों को ठीक किया है। किडनी रोग की आधिक जानकारी के लिए आप किडनी ट्रीटमेंट इन इंडिया की वेबसाइट से पड़ सकते हैं।
किडनी का कार्य
किडनी मानव शरीर में संतुलन बनाए रखने के कई कार्यों का निष्पादन करती है। वह अपशिष्ट उत्पादों को फिल्टर करके पेशाब से बाहर निकालते हैं और निष्कासन करती है। वे शरीर में पानी की मात्रा, सोडियम, पोटेशियम और कैल्शियम की मात्रा को संतुलित करती हैं। वे अतिरिक्त अम्ल और क्षार निकालने में मदद करती है। जिससे शरीर में एसिड और क्षार का संतुलन बना रहता है। साथ ही शरीर में किडनी का महत्वपूर्ण कार्य शुद्धिकरण का है। जब बीमारी के कारण दोनों किडनी अपना सामान्य कार्य नहीं कर सके, तो किडनी की कार्यक्षमता कम हो जाती है। जिससे हम किडनी फेल्योर कहते हैं। इस समस्या में पीड़ित मरीज़ों को अक्सर इन परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
- घुटनों, पैरों और एड़ियों में सूजन
- सांसों में कमी
- पेशाब आने की मात्रा का कम होना
- पेशाब में रक्त आना
ये लक्षण किडनी की बीमारी बढ़ने का स्पष्ट संकेत है। किडनी फेल्योर के उपचार का उद्देश्य बीमारी की प्रगति दर को कम करता है। ये दवा किडनी के कार्य को प्रेरित करती है और किडनी के रोगियों को स्वस्थ और रोग मुक्त जीवन प्रदान करती है। आयुर्वेद के उपचार चिकित्सा में स्वस्थ भोजन का एक महत्वपूर्ण पहलू है।