कर्मा आयुर्वेदा रिव्यू किडनी पेशेंट – दलजीत सिंह

अल्कोहोल और किडनी रोग

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कर्मा आयुर्वेदा रिव्यू किडनी पेशेंट – दलजीत सिंह

मरीज़ का नाम दलजीत सिंह है जो पंजाब अमृतसर से आए है। वह क्रोनिक किडनी डिजीज से पीड़ित थे। उन्हें बहुत जगह से इलाज करवाया पर कोई आराम नहीं मिला। रोगी दलजीत सिंह ने अपने ठीक होने की सारी उम्मीद खो दी, लेकिन फिर टेलीवजन और यूट्यूब से कर्मा आयुर्वेदा के बारे में पता चला। रोगी ने बिना देरी किए तुरंत कर्मा आयुर्वेदा से अपना इलाज शुरू किया और डॉ. पुनीत धवन को अपनी सारी तकलीफ को बताई। रोगी को किडनी रोग से होने वाली परेशानियां -

आयुर्वेदिक उपचार के बाद

कर्मा आयुर्वेदा ने आयुर्वेदिक दवाओं का इस्तेमाल करके रोगी दलजीत सिंह को नया जीवन दिया। रोगी का क्रिएटिनिन लेवल 2.10 था जो कि इलाज के बाद कम हो गया। सिर्फ दो महीने में ही आयुर्वेदिक किडनी उपचार से रोगी को बहुत आराम मिला।

  • क्रिएटिनिन लेवल कम हो गया
  • दिल से संबंधित समस्या भी खत्म हो गई
  • शरीर का वजन बढ़ने लगा।
  • शारीरिक मानसिक तौर पर सुधार मिला

किडनी रोगी का इलाज

आजकल हर कोई किडनी फेल्योर से जूझ रहा है। ये रोग हमारी गलत जीवन शैली और गलत खान पान की वजह से है। साथ ही इसका इलाज करवाना बेहद मुश्किल है। किडनी की बीमारी सिर्फ डायलिसिस और किडनी प्रत्यारोपण ही एकमात्र इलाज है। इसमें सभी उपचार असमर्थ रहते हैं, लेकिन कर्मा आयुर्वेदा एकमात्र साधन है जिसमें आयुर्वेदिक दवाओं से किडनी रोगियों का इलाज किया जाता हैं।

बता दें कि, कर्मा आयुर्वेदा 1937 में स्थापित किया गया था जिसके नेतृत्व में डॉ. पुनीत धवन है। जो हर साल देश विदेश से आए किडनी रोगियों का इलाज करते हैं। वो भी डायलिसिस और प्रत्यारोपण के बिना। आयुर्वेदिक उपचार किसी भी बीमारी को स्वाभाविक रूप से ठीक कने में सहायता करता है। आयुर्वेदिक इलजा में उपयोग की जाने वाली सबसे सामान्य जड़ी-बूटियों में मिल्क, थिस्टल, लाइसोरिय, रूट, पुनर्नवा, गोकशुर, वरूण, कास्नी और शिरिष जैसी जड़ी-बूटियां शामिल है। ये किडनी की कोशिकाओं को पुनर्जीवित करके और किडनी के विकास को प्रतिबंधित करके के लिए बड़े पैमाने पर काम करता है। एलोपैथी दवाओं के विपरीत आयुर्वेदिक दवाओं से किसी भी प्रकार का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है।

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