आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का उपयोग करके दवाएं बनाई जाती है। जो रोग को पूरी तरह से ठीक करने के लिए काफी बेहतर माना गया है। भारत में प्रसिद्ध आयुर्वेदिक केंद्र में से एक हैं कर्मा आयुर्वेदा। ये 1937 से दुनिया भर के मरीजों का इलाज कर रहे हैँ। इसके नेतृत्व एक अनुभवी आयुर्वेदा चिकित्सक डॉ. पुनीत धवन हैं। डॉ. पुनीत एलोपैथी उपचार के अभ्यास पर विश्वास रखते है। साथ ही डॉ. पुनीत धवन भी किडनी रोग के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सा के साथ एक उचित डाइट चार्ट की सलाह भी देते हैं।
किडनी इंफेक्शन क्या हैं?
किडनी का इंफेक्शन एक विशिष्ट प्रकार का पेशाब पथ इंफेक्शन है जो आपके मूत्रमार्ग या मूत्राशय से शुरू होता हैं और आपकी किडनी तक जाता हैं। किडनी इंफेक्शन के लिए तत्कला चिकित्सा की आवश्यकता होती हैं अगर ठीकतरह से इलाज नहीं किया जाए, तो किडनी का इंफेक्शन आपकी किडनी को स्थायी रूप से नुकसान पंहुचा सकता हैं या बैक्टीरिय आपके रक्त में फैल सकता हैं जिससे जानलेवा इंफेक्शन हो सकता हैं। किडनी के इंफेक्शन के इलाज में आमतौर पर एंटीबायोटिक का इस्तेमाल शामिल है और अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती हैं।
किडनी इंफेक्शन के लक्षण:
- बुखार
- ठंड लगना
- पीछे की ओर, एक तरफ या पेट और जांघ के बीच के भाग में दर्द होना
- पेट दर्द
- बार-बार पेशाब आना
- पेशाब करते समय जलन या दर्द होना
- मतली या उल्टी होना
- पेशाब में मवाद या रक्त का आना
- पेशाब में बदबू आना या धुंधला पेशाब आना
किडनी इंफेक्शन के कारण:
आपके पेशाब पथ की नली में बैक्टीरिया प्रवेश करते हैं और गुणन करते हैं और किडनी तक पहुंच जाते हैं, तो आपको किडनी की इंफेक्शन हो सकता हैं। यह कारण किडनी के इंफेक्शन का सबसे आम कारण होता हैं। शरीर में कहीं और जगह का इंफेक्शन रक्तप्रवाह के माध्यम से आपकी किडनी तक फैल सकता हैं। अगर इस तरह से किडनी का इंफेक्शन होने असामान्य हैं, लेकिन यह हो सकता हैं कि आपके कृत्रिम जोड़ या ह्रदय में वाल्व लगवाया है जो इंफेक्शन हो जाता हैं। एक किडनी इंफेक्शन ज्यादातर तब होता है जब बैक्टीरिया अक्सर ई कोलाई नाम का एक प्रकार किडनी से मूत्रमार्ग में जाता हैं और मूत्राशय के माध्यम से एक या दोनों किडनी मे जाता हैं।
किडनी इंफेक्शन से बचाव:
किडनी इंफेक्शन से बचने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें –
- तरल पदार्थ पिएं, विशेष रूप से पानी। तरल पदार्थ के सेवन से आपके शरीर से बैक्टीरिया पेशाब के माध्यम से निकल जाते हैं।
- ज्यादा पेशाब करें। जब आपको पेशाब की उत्तेजना हो, तो पेशाब करने देरी न करें।
- यौन संबंध बनाने के बाद पेशाब करें। सम्भोग के बाद जितनी जल्दी हो सके तो पेशाब करें जिससे मूत्रमार्ग से बैक्टीरिया निकल सके और इंफेक्शन का खतरा कम हो।
- पेशाब या मल त्याग करने के बाद अपने अंगों को ठीक से धोएं जिससे बैक्टीरिया मूत्रमार्ग तक न फैल सके।
जानांग में डिओडरंट स्प्रे या ऐसे अन्य उत्पादों के प्रयोग से मूत्रमार्ग में इंफेक्शन हो सकता हैं।