किडनी इन्फेक्शन के आयुर्वेदिक उपचार

अल्कोहोल और किडनी रोग

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किडनी इन्फेक्शन के आयुर्वेदिक उपचार

किडनी का इन्फेक्शन एक विशिष्ट प्रकार का मूत्र पथ इन्फेक्शन हैं जो आमतौर पर आपके मूत्रमार्ग या मूत्राशय से शुरु होता हैं और आपके किडनी तक जाता हैं। किडनी इन्फेक्शन के लिए जल्दी से डॉक्टर की आवश्यकता पड़ती हैं। अगर ठीक तरह से इलाज नहीं किया जाए,  तो किडनी के इन्फेक्शन आपकी किडनी को स्थायी रूप से नुकसान पहुंचा सकता हैं या बैक्टीरिया आपके खून में फैल सकता हैं जिससे जानलेवा इन्फेक्शन हो सकता हैं। साथ ही किडनी के इन्फेक्शन के इलाज में आमतौर पर एंटीबायोटिक का इस्तेमाल भी शामिल होता हैं और अक्सर अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती हैं। किडनी इन्फेक्शन के आयुर्वेदिक उपचार

किडनी के इन्फेक्शन के कारण:

जब आपके पेशाब पथ की नली में बैक्टीरिया प्रवेश करते हैं और गुणन करते हैं। साथ ही किडनी तक पहुंच जाते हैं तो आपको किडनी में इन्फेक्शन हो सकता हैं। ये कारण किडनी में इन्फेक्शन का सबसे आम कारण होता हैं। शरीर में किसी और जगह में इन्फेक्शन रक्तप्रवाह के माध्यम से आपके गुर्दे तक फैल सकता हैं। यघपि इस तरह से किडनी में इन्फेक्शन होना असामान्य हैं, लेकिन ये हो सकता है कि आपने कृत्रिम जोड़ या ह्रदय में वाल्व लगवाया है जो संक्रमित हो जाता हैं। किडनी इन्फेक्शन के आयुर्वेदिक उपचार

किडनी के निम्न कारण:

  • महिलाएं- महिलाओं मे मूत्रमार्ग पुरूषों की तुलना में छोटा होता हैं, जो बैक्टीरिया को शरीर के बाहर मूत्राशय तक जाने के लिए आसान बनाता हैं। पेशाब में प्रवेश करने से संक्रमण किडनी में फैल सकता हैं। गर्भवती महिलाएं किडनी संबंधी इन्फेक्शन के उच्च जोखिम में होती हैं।
  • प्रतिक्षण प्रणाली कमज़ोर होना- ऐसी चिकित्सा स्थितियां जो आपकी प्रतिरक्षा प्राणाली को खराब करती हैं, जैसे शुगर और एचआईवी। कुछ दवाएं, जैसे प्रत्यारोपित अंगो की अस्वीकृति को रोकने के लिए ली गई दवाओं का भी एक समान प्रभाव पड़ता हैं।
  • मूत्राशय के आसपास नसों की क्षति- नसों या रिढ़ की हड्डी की क्षति, मूत्राशय मे इनेफक्शन की उत्तेजना को रोक सकते हैं। जिससे आप ये महसूस नहीं कर पाते हैं कि ये कब किडनी में इन्फेक्शन बन जाता हैं।
  • मूत्र कैथेटर का पयोग करना- मूत्र कैथेटर मूत्राशाय से मूत्र निकालने के लिए उपयोग की जाने वाली ट्यूब होती हैं। कुछ सर्जरी और नैदानिक परीक्षणों के दौरान और उसके बाद आपको कैथेटर का उपयोग करना पड़ सकता हैं। साथ ही आप विस्तर पर हैं, तो आपको लगातार इसका उपयोग करना पड़ सकता हैं।
  • एक ऐसी स्थिति जिसमें पेशाब का गलत प्रवाह होता है- वेसिकुरेटेरल रिफ्लक्स में, मूत्राशय से मूत्र की एक छोटी मात्रा वापस मूत्रवाहिनी और किडनी में जाने लगती है। ऐसी स्थिति वाले लोग बचपन और वयस्कता के दौरान किडनी के संक्रमण के उच्च जोखिम पर होते हैं। किडनी इन्फेक्शन के आयुर्वेदिक उपचार

किडनी इन्फेक्शन के लक्षण:

  • बुखार।
  • गर्मी में भी ठंड लगना।
  • पीछे की ओर एक तरफ या पेट और जांघ के बीच के भाग में दर्द होना।
  • पेट दर्द।
  • बार-बार पेशाब आना।
  • पेशाब करने के दौरान जलन या दर्द होना।
  • मतली या उल्टी।
  • मूत्र में मवाद या रक्त आना।
  • मूत्र में बदबू आना या धुंधला मूत्र आना। किडनी इन्फेक्शन के आयुर्वेदिक उपचार

किडनी इन्फेक्शन से बचाव:

  • तरल पदार्थ पिएं, विशेष रूप से पानी। तरल पदार्थ के सेवन से आपके शरीर से बैक्टीरिया पेशाब के माध्यम से निकल जाते हैं।
  • ज्यादा पेशाब करें। जब आपको पेशाब की उत्तेजना हो, तो पेशाब करने में देरी न करें।
  • यौन संबंध बनाने के बाद पेशाब करें। सम्भोग के बाद जितनी जल्दी हो सके पेशाब करें, जिससे मूत्रमार्ग से बैक्टीरिया निकल सके और संक्रमण का खतरा कम हो।
  • पेशाब या मल त्याग करने के बाद अपने अंगों को ठीक से धोएं जिससे बैक्टीरिया मूत्रमार्ग से बैक्टीरिया निकल सके और इन्फेक्शन का खतरा कम हो।
  • जागंन में डिओडरंट स्प्रे या ऐसे अन्य उत्पादों के प्रयोग से मूत्रमार्ग में इन्फेक्शन हो सकता हैं। किडनी इन्फेक्शन के आयुर्वेदिक उपचार

किडनी इन्फेक्शन के आयुर्वेदिक उपचार:

आयुर्वेदिक चिकित्सा शरीर, मन और आत्मा का एक प्राचीन विज्ञान हैं। इसमें जड़ी-बूटियों और ऑरगेनिक का उपयोग होता है। आयुर्वेदिक दवाईयां जैसे की वरुण, कासनी, गोखुर, पुनर्नवा और शिरीष जैसे जड़ी-बूटियों से बनता हैं। ये जड़ी-बूटियां 100% प्राकृतिक होती है और इसका कोई भी निकसान (साइट-इफैक्ट्स) नहीं होता हैं। साथ ही कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल विश्व के सबसे अच्छे कल्याण केंद्र मे से एक हैं। ये पूरे विश्व में लोगों के लिए विफल हुए आयुर्वेदिक किडनी का इलाज करता हैं। कर्मा आयुर्वेदा ने प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और पूर्व ऐतिहासिक तकनीकों के उपयोग के साथ हजारों किडनी रोगियों का सफलतापूर्वक इलाज किया हैं। “किडनी इन्फेक्शन के आयुर्वेदिक उपचार”

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