किडनी की बीमारी का आयुर्वेदिक उपचार

अल्कोहोल और किडनी रोग

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किडनी की बीमारी का आयुर्वेदिक उपचार

शरीर में सभी अंग महत्वपूर्ण है, लेकिन किडनी बाकि सभी अंगों के मुकाबले सबसे खास अंग है। किडनी के बिना मानव शरीर काम नहीं कर सकता। किडनी हमें स्वस्थ रखने के लिए कई कार्यों को अंजाम देती है। यह भले ही आकार में छोटी होती है लेकिन इसके बहुत से काम है।

यह हमारे शरीर में मौजूद अपशिष्ट उत्पाद, क्षार और अम्ल जैसे विषाक्त तत्वों को पेशाब के जरिये शरीर से बाहर निकालने का काम करती है। किडनी खून साफ करने का विशेष कार्य करती है, जिससे पुरे शरीर में शुद्ध रक्त प्रवाह होता रहता है, इसके अलावा किडनी हड्डियों को मजबूत करने का भी कार्य करती है। किडनी की विफलता एक गंभीर समस्या है।

किडनी की कौन-कौन सी बीमारियाँ हो सकती है?

किडनी को वैसे तो छः प्रकार की बीमारियाँ होने की आशंका रहती है, जिनमे से चार बीमारी काफी गंभीर है। नीचे किडनी की चार गंभीर बीमारियों को वर्णित किया है -

क्रोनिक किडनी डिजीज CKD –

क्रोनिक किडनी डिजीज (किडनी फेल्योर) किडनी की सबसे गंभीर समस्या है। इस समस्या में रोगी की किडनी बहुत धीमे-धीमे खराब होती है। जिसमे महीनों से लेकर सालों तक का समय लग सकता है, इसी कारण सीकेडी को पकड़ पाना बहुत मुश्किल होता है, इस बीमारी को साइलेंट किलर भी कहा जाता है। क्रोनिक किडनी डिजीज में सीरम क्रीएटिनिन बहुत धीरे बढ़ता है और किडनी खराब हो जाती है।

इस बीमारी में दोनों किडनियां खराब हो सकती है। सीकेडी की गंभीरता के आधार पर इसे पाँच चरणों में विभाजित किया गया है। GFR नामक परिक्षण की सहयता से सीकेडी स्तर की जांच की जाती है। GFR से किडनी की कार्यक्षमता के बारे में पता चलता है।

एक्यूट किडनी डिजीज AKD 

अगर किडनी अचानक काम करना बंद कर दें या किडनी की कार्यक्षमता में अचानक कमी आ जाए तो उस स्थिति को एक्यूट किडनी डिजीज (AKD) कहा जाता है। AKD से पीड़ित रोगियों की पेशाब की मात्रा में काफी कमी आ जाती है। एक्यूट किडनी डिजीज होने के मुख्य कारण सेपसिस का होना होता है। यह बीमारी दवाओं का अधिक मात्रा में सेवन, खून के दबाव में अचानक कमी आना, मलेरिया और खराब पाचन तंत्र के कारण होती है। किसी दुर्घटना के कारण से खराब हुई किडनी को भी एक्यूट किडनी डिजीज कहा जाता है। उचित उपचार के माध्यम से इस गंभीर बीमारी से निदान पाया जा सकता है।

नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम डिजीज NSD –

NSD यानि नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम डिजीज एक प्रकार का किडनी रोग है। बड़ों की तुलना में यह बच्चों में अधिक पाया जाता है। इस बीमारी में शरीर के कई हिस्सों में बार-बार सूजन देखी जाती है। सूजन आने-जाने का यह चक्र सालों तक चल सकता है। इसके अलावा नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम डिजीज होने के पीछे पेशाब में प्रोटीन की वृधि, रक्त में प्रोटीन की कमी और कोलेस्ट्रोल का बढ़ना होता है।

पोलिसिस्टिक किडनी डिजीज PKD 

पोलिसिस्टिक किडनी डिजीज एक वंशानुगत किडनी रोग है, जिसे पीकेडी भी कहा जाता है। क्रोनिक किडनी रोग की तरह पोलिसिस्टिक किडनी डिजीज भी एक जानलेवा बीमारी है। इस रोग में किडनी के ऊपर असंख्य पानी के बुलबुले बन जाते है। इन पानी के बुलबुलों को वैज्ञानिक भाषा में सिस्ट कहा जाता है। पोलिसिस्टिक किडनी रोग अधिकतर वयस्कों में पाया जाता है। इस रोग में मरीज के बाद उसकी संतान को किडनी रोग होने की 50% तक की आशंका रहती है।

क्रिएटिनिन CREATNINE

क्रिएटिनिन पाचन किया के दौरान बनने वाला एक पदार्थ है। हमारे भोजन लेने के बाद उसे पचाने के लिए पेट में कई प्रकार के पदार्थों का निर्माण होता है जिसमे एक पदार्थ है क्रिएटिनिन। क्रिएटिन एक तरह का मेटाबोलिक उत्पाद है जो हमारे द्वारा ग्रहण किये गये भोजन को उर्जा में बदलने में मदद करता है और टूटने के बाद क्रिएटिनिन में बदल जाता है।

क्रिएटिनिन एक व्यर्थ पदार्थ है जिसे किडनी पेशाब के द्वारा शरीर से बाहर निकाल देती है। जब शरीर में क्रिएटिनिन की मात्रा बढ़ जाती है उस समय किडनी इसे बाहर निकालने में समर्थ नहीं रहती, ऐसा होने पर किडनी ख़राब होने का संकेत माना जाता है। किडनी खराब होने पर क्रिएटिनिन को कम करना बहुत मुश्किल होता है।

प्रोटीनमेह PROTEINURIA

प्रोटीनमेह यानि प्रोटीनुरिया एक ऐसी स्थिति है जिसमे पेशाब के साथ प्रोटीन बाहर आने लगता है। इस स्थिति में रक्त में प्रोटीन की कमी होने लगती। इस स्थिति का होना किसी बीमारी या संक्रमण होने का एक साफ़ संकेत होता है। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जिस समय ग्लोमेरूली जो किडनी के निष्पादन कारखाने किसी कारण प्रभावित होकर अपना कार्य करने में असमर्थ होते जाते है।

ऐसा होने पर प्रोटीन रक्त में ना रहकर पेशाब के द्वारा शरीर से बाहर निकल जाता है। यह स्थिति किडनी खराब होने का संकेत माना जा सकता है, लेकिन उचित उपचार लेने से किडनी को खराब होने से बचाया जा सकता है।

किडनी की बीमारी होने के क्या कारण है?

किडनी कभी भी अपने आप खराब नहीं होती, इसके खराब होने के पीछे हमेशा कोई न कोई कारण होता है। वहीं किडनी अचानक से भी खराब नहीं होती। हाँ किसी दुर्घटना के चलते किडनी अचानक खराब हो सकती है, जैसे – अंदरूनी चोट, किसी दवा का नकारात्मक प्रभाव सीधा किडनी पर पड़ने से आदि। किडनी खराब होने के वैसे तो कई कारण हो सकते हैं, लेकिन इसके पीछे कुछ मुख्य कारण निम्नलिखित है –

उच्च रक्तचाप की समस्या –

यदि कोई ब्यक्ति लम्बे समय से उच्च रक्तचाप की समस्या से जूझ रहा है तो उसके किडनी खराब होने की समस्या हो सकती है। रक्त में सोडियम की अधिक मात्रा होने के कारण उच्च रक्तचाप की समस्या होती है, जिसके कारण किडनी के नेफ्रोन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और किडनी खराब होना शुरू हो जाती है।

मधुमेह की समस्या –

एक बार मधुमेह होने के बाद व्यक्ति को पूरी उम्र इस समस्या के साथ जीना पड़ता है। मधुमेह होने पर व्यक्ति का शरीर बीमारियों का घर बन जाता, जिसमे किडनी की बीमारी सबसे खतरनाक है। मधुमेह होने पर रक्त में शर्करा की मात्रा अधिक हो जाती है, शर्करा युक्त रक्त को शुद्ध करने पर किडनी के नेफ्रोन क्षतिग्रस्त हो जाते हैं और यही स्थिति रहने पर किडनी भी खराब हो जाती है।

मूत्र विकार –

पेशाब से जुड़ी सभी समस्याएं सीधे किडनी से जुड़ी हुई हैं। पेशाब कम आना या पेशाब ज्यादा आना दोनों किडनी में समस्या की तरह इशारा करते हैं। इसके आलावा पेशाब का रंग बदला, जलन होना, गंध आना यह सभी मूत्र संक्रमण की इशारा करते हैं। सही समय पर उचाप ना मिलने पर इस बीमारी के कारण किडनी खराब हो जाती है।

किडनी को स्वस्थ रखने के क्या खाएं?

किडनी को बीमार होने से बचाने के लिए आपको हमेशा उचित और संतुलित आहार का ही सेवन करना चाहिए। किडनी के लिए उचित आहार सलाह निम्नलिखित है –

किडनी को स्वस्थ रखने के लिए आप लौकी, खीरा, गाजर, फूलगोभी, पत्ता गोभी, तुरई जैसी सब्जियों को अपने आहार में शामिल करें। यह सभी सब्जियां किडनी किडनी को स्वस्थ बनाएं रखती है। आप चाहें तो इन सब्जियों को जूस के रूप में अपने आहार में शामिल कर सकते हैं, लेकिन शर्त यह है कि जूस एक दम ताज़ा हो।

प्रोटीन वैसे तो शरीर के लिए बहुत जरुरी होता है, लेकिन प्रोटीन का अधिक सेवन करने से किडनी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। शरीर में अधिक मात्रा में प्रोटीन होने पर किडनी के फिल्टर्स पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और किडनी खराब होना शुरू हो जाती है। इसी कारण आपको प्रोटीन युक्त आहार का ज्यादा सेवन नहीं करना चाहिए।

मधुमेह किडनी खराब होने का मुख्य कारण माना जाता है, इसलिए मधुमेह रोगी को इसे काबू में करने की काफी जरुरत है। मधुमेह को काबू में करने के लिए आप जामुन, नींबू, आंवला, टमाटर, पपीता, खरबूजा, कच्चा अमरूद, संतरा, मौसमी, जायफल, नाशपाती जैसे फलों का सेवन करें, यह सभी फल आपकी मीठा खाने की इच्छा पूरा करने के साथ-साथ रक्त शर्करा को भी काबू में करते हैं। वहीं सब्जियों में करेला, मेथी, सहजन, पालक, तुरई, शलजम, बैंगन, परवल, लौकी, मूली, फूलगोभी, ब्रौकोली, टमाटर, पत्तागोभी और दूसरी अन्य पत्तेदार सब्जियों को अपने आहार में शामिल कर सकते हैं।

किडनी की बीमारियों का आयुर्वेदिक उपचार :-

किडनी खराब होने पर उसे पहले की तरह ठीक करना बहुत ही मुश्किल काम होता है। आयुर्वेद की सहायता से खराब किडनी को फिर से ठीक किया जा सकता है। आयुर्वेद किसी चमत्कार से कम नहीं है जो काम एलोपैथी उपचार नहीं कर सकता उसे आयुर्वेद बड़ी आसानी से करने की ताक़त रखता है।

गोखरू -

किडनी को स्वस्थ रखने के लिए सबसे उत्तम आयुर्वेदिक औषधि है। गोखरू की तासीर बहुत गर्म होती है, इसलिए इसका प्रयोग सर्दियों में करने की सलाह दी जाती है। गोखरू के पत्ते, फल और इसका तना तीनों रूपो में उपयोग किया जाता है, इसके फल पर कांटे लगे होते हैं। किडनी के लिए गोखरू किसी वरदान से कम नहीं है। गोखरू कई तरीकों से किडनी को स्वस्थ बनाएं रखती है। गोखरू क्रिएटिएन कम करने, यूरिया स्तर सुधारने में, सूजन दूर करने में, मूत्र विकार दूर करने में, किडनी से पथरी निकलने में सहायता करता है।

गिलोय –

गिलोय की बेल की तुलना अमृत से की जाए तो गलत नहीं होगा। इस बेल के हर कण में औषधीय तत्व मौजूद है। इस बेल के तने, पत्ते और जड़ का रस निकालकर या सत्व निकालकर प्रयोग किया जाता है। इसका खास प्रयोग गठिया, वातरक्त (गाउट), प्रमेह, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, तेज़ बुखार, रक्त विकार, मूत्र विकार, डेंगू, मलेरिया जैसे गंभीर रोगों के उपचार में किया जाता है। किसी कारण रक्त के अधिक बह जाने या रक्त का स्तर अचानक गिर जाने पर गिलोय का खास प्रयोग किया जाता है। यह किडनी की सफाई करने में भी काफी लाभदायक मानी जाती है। यह स्वाद में कड़वी लेकिन त्रिदोषनाशक होती है।

पुनर्नवा -

इस जड़ी बूटी का नाम दो शब्दों - पुना और नवा से प्राप्त किया गया है। पुना का मतलब फिर से नवा का मतलब नया और एक साथ वे अंग का नवीकरण कार्य करने में सहायता करते हैं जो उनका इलाज करते हैं। यह जड़ीबूटी किसी भी साइड इफेक्ट के बिना सूजन को कम करके गुर्दे में अतिरिक्त तरल पदार्थ को फ्लश करने में मदद करती है। यह जड़ीबूटी मूल रूप से एक प्रकार का हॉगवीड है।

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