मानव शरीर में किडनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं, क्योंकि ये मुख्य रूप से रक्त और पानी से चयापचय अपशिष्ट को साफ करता हैं। वे शरीर के अंदर चयापचय को बनाए रखने जैसे अन्य प्रमुख कार्य भी करती हैं। अगर किडनी में से कोई भी कार्य करने में विफल रहता हैं, तो ये शरीर के अंदर विषाक्त अपशिष्ट के संचय के परिणामस्वरूप हो सकता हैं।
किडनी की बीमारी मुख्य रूप से दो प्रकार की होती हैं:
- एक्यूट की फेल्योर किडनी की अचानक क्षति हैं जो कार्यों की तत्काल पूर्ण फेल्योरप की ओर ले जाती हैं।
- क्रोनिक किडनी डिजीज धीरे-धीरे प्रगतिशील बीमारी हैं जो अंतिम स्टेज में आने में वर्षों का समय लेती हैं। इसे काम करने के लिए मुख्य रूप से डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की आवश्यकता होती हैं।
किडनी फेल्योर संभावित रूप से एक जीवन के लिए खतरनाक बीमारी है और मुख्य रूप से किडनी फेल्योर, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, किडनी की पथरी और किडनी की चोट, एक्यूट निर्जलीकरण और बहुत कुछ जैसे कारणों से होती हैं। इन बीमारियों का ध्यान रखा जाना चाहिए, अगर कोई किडनी फेल्योर को उल्टा करना चाहता हैं।
किडनी रोगी के लिए लक्षण और आहार
प्रारंभिक अवस्था में एक किडनी रोग के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, लेकिन बाद के स्टेजों में फेल्योर के संकेत बहुत विकसित और ट्रैक करने में आसान हैं। किडनी रोगियों में सबसे आम लक्षण मतली, उल्टी, शरीर के अंगों में सूजन, पेशाब के रंग में बदलाव, पेशाब उत्पादन बढ़ जाता हैं, नींद न आना, भूख न लगना और थकान। अगर ये लक्षण लंबे समय तक रहते हैं, तो आपको निदान की आवश्यकता होती हैं और एक बार बीमारी की पृष्टि हो जाने के बाद, एक त्वारित, उपचार की आवश्यकता होती हैं।
क्या किडनी की समस्याएं दर्द का कारण बन सकती हैं?
यूरिया के संचय और क्रिएटिनिन स्तर में वृद्धि से शरीर के विभिन्न हिस्सों में सूजन हो सकती हैं। आमतौर पर किडनी के मरीज हाथ, गर्दन, पैर और टखनों में सूजन का अनुभव करते हैं। वे जोड़ों और पीठ दर्द से भी पीड़ित हैं।
आयुर्वेदिक उपचार और चिकित्सा
उन्नत चरणों में अधिकांश लोग एलोपैथी उपचार का विकल्प चुनते हैं। एलोपैथी में व्यक्ति त्वरित राहत के लिए बाद के स्टेजों में डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के लिए जा सकता हैं, लेकिन आयुर्वेदिक उपचार और चिकित्सा किडनी की बीमारी के लिए एक महान उपचार साबित हुई हैं।
आयुर्वेद में 100% प्राकृतिक तरीकों के साथ मन, शरीर और आत्मा के इलाज की प्रथा हैं। एशिया में आयुर्वेदिक उपचार की पेशकश करने वाले सबसे अच्छे क्लीनिकों में से एक कर्मा आयुर्वेदा हैं। वे 1937 से किडनी और यकृत की समस्याओं के रोगियों का इलाज कर रहे हैंय़ ये एक बहुत अनुभवी आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. पुनीत धवन के अधीन काम कर रहे हैं। वह केवल अपने रोगियों के इलाज के लिए प्राकृतिक और जैविक तरीकों का उपयोग करते हैं।
आयुर्वेद अकेले पर्याप्त नहीं हैं, लेकिन एक रोगी को स्वस्थ आहार पर जाना चाहिए। प्रोटीन, सोडियम और फास्फोरस जैसे कुछ पोषक तत्व होते हैं, जिन्हें किसी को अपने आहार में सीमित करना होता हैं। प्रोसेस्ड फूड और ऐसे पोषक तत्वों का अधिक सेवन किडनी को और नुकसान पंहुचा सकता हैं। डॉ. पुनीत धवन भी अपने रोगियों को उनकी स्थिति के अनुसार योजनाबद्ध किडनी डाइट चार्ट की सलाह देते हैं। एक स्वस्थ जीवनशैली और आयुर्वेदिक दवाएं किडनी को स्वस्थ्य में वापस ला सकती हैं।