किडनी का काम ब्लड प्रेशर को बनाए रखने, रेड ब्लड सेल्स के उत्पादन के लिए, शरीर में अम्ल को नियंत्रित करने और मेटाबॉलिज्म को प्रभावित करने वाले हार्मोन जैसे- कैल्शियम, सोडियम, पोटेशियम और अन्य इलेक्ट्रोलाइट का उत्पादन करने के लिए होते हैं। किडनी की समस्या होने पर असुविधाजनक और तीव्र दर्द होता है। यह दर्द बेहद तेज होता है जो पसलियों और नितंब के बीच में होता है। किडनी का दर्द बाएं, दाएं या दोनों तरफ हो सकता है। कभी-कभी यह दर्द पेट के नीचे जा सकता है। हर व्यक्ति के लक्षण और संकेत विभिन्न रूप से विकसित होते हैं।
किडनी में सूजन आना
किडनी में सूजन आना एक मेडिकल स्थिति होती है, इस रोग को अंग्रेजी में नेफ्राइटिस कहा जाता है। मानव किडनी राजमा के आकार की होती है और पीठ के निचले हिस्से में स्थिति होती है। किडनी में नेफ्रोन नामक फंक्शन द्वारा पानी, आयन और सूक्ष्म अणुओं को रक्त से अलग किया जाता है। विषाक्त व व्यर्थ पदार्थों को शरीर से अलग किया जाता है और आवश्यक आयनों को रक्त में शामिल किया जाता है। जब किडनी के नेफ्रोन और आस-पास के ऊतकों में सूजन व लालिमा विकसित हो जाती है, तो उसे नेफ्राइटिस कहा जाता है। इस स्थिति में किडनी खराब हो जाती है। जब किडनी ठीक से काम कर रही होती है, तो शरीर के सभी अंगों को लगातार पर्याप्त मात्रा में अच्छा रक्त व ऑक्सीजन प्राप्त होता है, लेकिन जब किडनी में सूजन आ जाती है, तो वह पूरी तरह से रक्त को फिल्टर नहीं कर पाती है। किडनी में सूजन आने पर कई लक्षण पैदा हो जाती है, जैसे अधिक पेशाब आना, पेशाब में रक्त आना, बुखार, मतली और उल्टी होना आदि।
किडनी में सूजन से बचाव करने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं, जैसे खूब मात्रा में पानी पीना, नियमित रूप से योग करना, धूम्रपान बंद करना और मीठे पदार्थों की खपत कम करना। इन लक्षणों की जांच करके, शारीरिक जांच करके और आपकी पिछली मेडिकल स्थिति के बारे में जानकर इस रोग का पता लगा लेते हैं। किडनी रोग का पता लगाने के लिए एमआरआई स्कैन, यूरिन टेस्ट, किडनी फंक्शन टेस्ट और किडनी बायोप्सी आदि टेस्ट भी करवा सकते हैं। बता दें कि, किडनी में सूजन आने के कई प्रकार होते हैं, इसलिए इनका इलाज भी किडनी की सूजन के प्रकार के अनुसार किया जाता है। किडनी की सूजन को कंट्रोल करने के लिए एंटीबायोटिक्स और कोर्टिकोस्टेरॉयड दवाएं दी जाती है व मरीज को किडनी डायलिसिस पर रखा जाता हैं। साथ ही इस स्थिति को कंट्रोल में रखने के लिए कई सहायक उपचार किए जाते हैं। अगर किडनी की सूजन का सही समय पर इलाज न किया जाए, तो किडनी गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो सकती है और काम करना बंद कर देती है। इस स्थिति को किडनी फेल्योर या किडनी में खराबी होना कहा जाता है। किडनी फेल्योर एक गंभीर स्थिति है जिसमें किडनी में व्यर्थ पदार्थ जमा होने लगते हैं और इस वजह से अन्य अंगों में विषाक्तता आ जाती है।
(अगर साफ शब्दों में कहा जाएं तो, किडनी की सूजन या नेफ्राइटिस एक ऐसी स्थिति है। जिसमें किडनी की मुख्य यूनिट में सूजन आ जाती है। जिसे नेफ्रोन कहा जाता है। इससे किडनी की रक्त साफ करने की क्षमता कम हो जाती है।)
किडनी में सूजन के प्रकार
किडनी की सूजन के कई प्रकार की होते हैं। सूजन का हर प्रकार प्रभावित जगह पर निर्भर करता है, कि किडनी का कौन सा हिस्सा स्थिति से प्रभावित हुआ है। ग्लोमेरूली, ट्यूबल, मध्य किडनी ऊतक यह किडनी के मुख्य तीन क्षेत्र है, जो अधिकतर सूजन से प्रभावित होते हैं।
- इंटरस्टिशियल नेफ्राइटिस – इंटरस्टिशियल नेफ्राइटिस में किडनी ट्यूबल के बीच की जगह में सूजन आ जाती है। यह किडनी में सूजन का कारण बनती है।
- पायलोनफ्राइटिस – पायलोनफ्राइटिस किडनी की सूजन है। यह इंफेक्शन के कारण होता है। अधिकांश मामलों में इंफेक्शन मूत्राशय के भीतर शुरू होता है और फिर मूत्रमार्ग और किडनी में माइग्रेट करता है। यूरेटर को ट्यूब होते हैं, जो यूरिन को प्रत्येक किडनी से मूत्राशय में ले जाते हैं।
- ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस – इस प्रकार के तीव्र नेफ्राइटिस ग्लोमेरूली में सूजन पैदा करती है। किडनी के अंदर लाखों कोशिकाएं होती है। ग्लोमेरूली कैशिलरी के छोटे समूह हैं, जो रक्त परिवहन करती है और फिल्टरिंग इकाइयों के रूप में व्यवहार करते हैं। क्षतिग्रस्त और सूजन ग्लोमेरूली रक्त को ठीक से फिल्टर नहीं कर सकते हैं।
किडनी में सूजन आने के कारण
किडनी में दर्द किसी रोग या चोट का कारण हो सकता है। किडनी में दर्द के कारण आपको अपने ऊपरी पेट, बगल या पीठ में बाएं तरफ या दोनों तरफ दर्द या असुविधा महसूस हो सकती है। इन जगहों पर दर्द होना हमेशा किडनी दर्द से संबंधित नहीं होता है, कभी-कभी यह दर्द स्टोन या किसी अन्य वजह से भी हो सकती है। किडनी की समस्याओं के कारण दर्द पीठ के नीचे और पसलियों के नीचे होता है, लेकिन मांसपेशियों की समस्याओं के वजह से पीठ दर्द में आपके निचले हिस्से में होता है। किडनी के दर्द का मुख्य कारण पेशाब पथ में इंफेक्शन और किडनी स्टोन है।
- पीठ की मांसपेशियों में दर्द और अकड़न
- रीढ़ की हड्डी की समस्या जैसी फैक्चर, फोड़े
- पसलियों का दर्द
- प्लेयरइटिस
- रेडिकलिटिस
- रेट्रोपेरिटोनियल फाइब्रोसिस
- स्त्री रोग संबंधी समस्याएं
- पेशाब मार्ग में इंफेक्शन
- किडनी इंफेक्शन
- किडनी स्टोन
- किडनी कैंसर
- किडनी ट्यूमर
- किडनी में ब्लड क्लॉट
- जन्मजात किडनी की बीमारी
- किडनी में जन्मजात विकृतियां
- पेशाब पथ में रूकावट
- ड्रग्स का सेवन
किडनी में सूजन के लक्षण
किडनी में सूजन आमतौर पर शुरूआती स्टेजों में अधिक गंभीर स्थिति पैदा नहीं करती है, लेकिन किडनी में कोई स्थायी क्षति होने से बचाव करने के लिए डॉक्टर को दिखाना जरूरी होता है। किडनी में सूजन आने से निम्न लक्षण व संकेत पैदा होने लगते हैं जैसे –
- पेल्विस और किडनी के आस-पास दर्द या पेट में दर्द
- शरीर का वजन बढ़ना
- अधिक पेशाब आना
- पेशाब में मवाद आना
- पेशाब के रंग में बदलाव
- ठंड लगना और कांपना
- स्किन नम होना
- ब्लड प्रेशर बढ़ जाना
- झागदार पेशाब आना
- पेशाब में रक्त आना या गहरे रंग का पेशाब आना
- पेशाब के समय दर्द व जलन
- मलती और उल्टी होना
- शरीर के कुछ हिस्सों में सूजन जैसे – हाथ, पैर, टखने और चेहरा आदि
- मानसिक स्थिति में बदलाव जैसे उनींदापन या उलझन महसूस होना
- बुखार और स्किन पर चकत्ते
गंभीर लक्षण में डॉक्टर से तुरंत जांच करवाएं
आपको अन्य कुछ बड़े लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो भी जल्द ही डॉक्टर को दिखाना चाहिए जैसे –
- झागदार यूरिन आना
- बार-बार यूरिन आना
- कम बार पेशाब आना
- टखने के आसपास सूजन
अगर आपको किडनी संबंधी किसी भी प्रकार की समस्या है, तो वह किडनी को स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त कर सकती है, इसलिए जिनता जल्दी हो सके डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
किडनी में सूजन की जटिलताएं
किडनी में सूजन के कारण किडनी गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो सकती है और काम करना बंद कर सकती है। किडनी में सूजन आने से होने वाली समस्याएं कितनी क्षतिग्रस्त हुई है और यह सूजन की गंभीरता पर निर्भर करता है।
- शरीर में नमक और पानी जमा होने की वजह से चेहरा, पैर, हाथ और टखने में सूजन आने लगती है।
- यूरिन में प्रोटीन आना, जिससे यूरिन में अधिक झाग बनने लगते हैं।
- शरीर में रक्त की कमी होना, रक्त में लाल रक्त कोशिकाओं का स्तर सामान्य से कम होना, जिससे थकान और सांस फूलने जैसी समस्याएं होने लगती है।
- किडनी फेल्योर जिसकी वजह से डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट करवाना पड़ सकता है।
किडनी की सूजन में करें परहेज
अगर आपकी किडनी में सूजन आ गई है तो इन कुछ खाद्य पदार्थों को नहीं खाना चाहिए जैसे –
- मीट
- डेयरी उत्पाद
- शराब
- कैफीन जैसे – चाय या कॉफी
- टमाटर
- बैंगन
- चुकंदर
- स्ट्रॉबेरी
किडनी की सूजन में क्या खाना चाहिए?
- पत्तेदार सब्जियां
- केला
- नींबू व अन्य खट्टे फल
- पत्ता गोभी
- सेब
- हरी बीन्स
- अंगूर
किडनी की सूजन का आयुर्वेदिक उपचार
भारत का प्रसिद्ध किडनी उपचार केंद्र कर्मा आयुर्वेदा, जहां किडनी की बीमारियों का आयुर्वेदिक इलाज किया जाता है। यह सन् 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया था और आज इसका नेतृत्व डॉ. पुनीत धवन कर रहे हैं। कर्मा आयुर्वेदा में सिर्फ आयुर्वेदिक उपचार पर भरोसा किया जाता है। साथ ही डॉ. पुनीत धवन ने सफलतापूर्वक और आयुर्वेदिक उपचार की मदद से 35 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज करके उन्हें रोग मुक्त किया है, वो भी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना। आयुर्वेदिक उपचार में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है जैसे पुनर्नवा, शिरीष, पलाश, कासनी, लाइसोरिस रूट और गोखरू आदि। यह जड़ी-बूटियां रोग को जड़ से खत्म करने में मदद करती हैं।
साथ ही कर्मा आयुर्वेदा में आयुर्वेदिक दवा किडनी रोगियों के लिए काफी फायदेमंद साबित हुआ हैं। आयुर्वेद प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और तकनीकों के उपयोग के साथ सभी प्रकार की शारीरिक बीमारियों को दूर रखती है। यह असभ्य जड़ी-बूटियां हैं और किडनी की कोशिकाओं को पुनर्जीवित करने और किडनी के विकास को प्रतिबंधित करने के लिए बड़े पैमाने पर काम करती हैं। एलोपैथी दवाओं के विपरीत आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का किसी भी प्रकार का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता हैं।