हमारे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए योग और अच्छे आहार की ज़रूरत होती है लेकिन एक शोध से पाया गया कि 100 में से 17 लोगों को किडनी की समस्या है। इससे यह बात तो साफ है कि बदलते लाइफस्टाइल के कारण पिछले कुछ वर्षों में किडनी के रोगियों की संख्या काफी बढ़ी है। एक अन्य शोध से यह बात भी सामने आई है कि जो व्यक्ति अधिक मात्रा में मांसयुक्त भोजन का सेवन करेगा, उसकी किडनी उतनी जल्दी खराब होगी।
एक जाने-माने इंस्टीटय़ूट के शोध में यह बात सामने आई है कि किचन में ज्यादा समय बिताने वाली महिलाएं भी किडनी के रोग का शिकार हो जाती है।
किडनी खराब होने के 5 चरण होते हैं, हर चरण में मरीज की परेशानी बढ़ती चली जाती है, इसलिए सही समय पर इलाज कराने की सलाह दी जाती है ताकि परेशानी को कम से कम समय में ठीक किया जा सकें। आइए जानते हैं किडनी खराब होने के 5 चरण-
पहला चरण
जब किडनी की समस्या की शुरुआत में सबसे पहले व्यक्ति के पेशाब की मात्रा और रंग दोनों में ही बदलाव नज़र आएगा। पहले स्टेज में क्रिएटिनिन और ईजीएफआर का स्तर सामान्य पाया जाता है, जिस कारण किडनी के रोग का पता लगा पाना आसान नहीं होता। मेटाबॉलिक अपशिष्ट को क्रिएटिनिन कहा जाता है, जिसे किडनी खून से अलग करती है और पेशाब के जरिए बाहर निकाल देती है। इसकी मात्रा खून में कम व पेशाब में ज्यादा होनी चाहिए। जांच में प्रोटीन की मात्रा हल्की-सी बढ़ी हुई हो सकती है।
दूसरा चरण
दूसरे चरण में क्रिएटिनिन तो सामान्य ही मिलता है, लेकिन ईजीएफआर घटकर 90-60 तक हो जाता है। प्रोटीन की मात्रा बढ़ी हुई पाई जाती है। शुगर और बीपी भी बढ़ा पाया जाता है।
तीसरा चरण
तीसरे चरण तक ईजीएफआर घटकर 60-30 के बीच आ जाता है और क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ने लगता है। इस स्तर पर किडनी की बीमारी का पता लगाया जा सकता है। खून की कमी, खुजली, रक्तचाप, पेशाब में यूरिया आदि के लक्षण स्पष्ट दिखाई देने लगते हैं। लेकिन आप इस स्तर पर अपनी जीवनशैली में सुधार लाकर, किडनी को बचा सकते हैं।
चौथा चरण
चौथे चरण में क्रिएटिनिन स्तर बढ़कर 2-4 और ईजीएफआर घटकर 30-15 ही रहने लगता है। थोड़ी-सी भी लापरवाही के कारण रोगी को डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के लिया सलाह दी जा सकती है।
पांचवा चरण
पांचवा चरण, जिसमें डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचता।
आप किडनी के रोग की पहचान कैसे कर सकते हैं और इस रोग को कैसे रोक सकते हैं, आज हम आपको इन सब के बारे में जानकारी देंगे। किडनी की बीमारी हमारी रोज की दिनचर्या पर निर्भर करती है। दिनचर्या अगर नियमित नहीं है तो किडनी की बीमारी आपके शरीर में जल्द से जल्द ही घर बना सकती है।
किडनी खराब होने के प्रमुख कारण
- अधिक दर्द निवारक दवाओं का सेवन
- प्रोटीन, पोटेशियम, सोडियम, फास्फोरस वाले खाद्य पदार्थो का बहुत ज्यादा सेवन करना
- पेशाब अचानक से काम या ज्यादा आना
- पेशाब के दौरान मूत्रनली में दर्द या जलन होना, जिससे संक्रमण भी हो सकता है।
- पेशाब के रंग में परिवर्तन
- पेशाब के रास्ते खून आना
- हाथ पैर में सूजन
- अधिक थकान और कमजोरी होना
- चिड़चिड़ा होना
- मुँह से बदबू आना
- रक्त में यूरिया की मात्रा बढ़ जाना
- पीठ के निचले हिस्से में दर्द होना
कई बार पीठ के निचले हिस्से में दर्द होने का कारण पथरी भी हो सकता है। ऐसा दर्द महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाए, हो सकता है कि दर्द का कारण किडनी में पथरी होने की वजह से हो। किडनी के भीतर, पथरी छोटे आकार की होती है। यदि ज्यादा से ज्यादा पानी पिया जाए तो पथरी कई बार मूत्र मार्ग से बाहर निकल जाती है। पथरी को ठीक करने के लिए एलोपैथी, आयुर्वेद और होमियोपैथी में कारगर दवाई मौजूद है।
आप पथरी के लिए आयुर्वेदिक उपचार को अपना सकते हैं, जिससे शरीर में किसी भी प्रकार का नुक्सान नहीं होता। भूमि आंवला, कुलथी की दाल, खीरा, ककड़ी, गाजर का रस पथरी ठीक करने में मददगार है।
आप अपनी किडनी को स्वस्थ रखने के लिए विटामिन-बी6, विटामिन-डी और विटामिन-सी का सेवन कर सकते हैं, अपनी शरीर में हुई आपूर्ति को दुरुस्त कर, किसी भी बीमारी से बच सकते हैं। अधिक पानी पीने की सलाह हर व्यक्ति देता है लेकिन कई बार डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही पानी की मात्रा तय करें। जिससे किडनी में हुई कोई समस्या बढ़ ना जाए क्योंकि कई स्थिति में ज्यादा पानी पीना भी नुकसानदेह साबित हो सकता है। पानी के साथ-साथ नमक का कम सेवन करें जिससे किडनी में हुई दिक्कत में काफी राहत मिलेगी। अपनी प्रोटीन की मात्रा पर भी ध्यान दे और उसे नियंत्रित रखें। शरीर के वजन के हिसाब से 0.5 से 0.8 मिलीग्राम प्रति किलो प्रोटीन हर रोज के लिए काफी है।
किडनी रोग के लिए अनानास कैसे फायदेमंद है?
अनानास एक ऐसा फल है जिसे काटकर खाना मुश्किल लगता है लेकिन यह खाने में उतना ही स्वादिष्ट भी होता है। अनानास देखने में सख्त और खाने में इसका स्वाद खट्टा-मीठा लगता है। यह फल हमारे शरीर के लिए बहुत ही स्वस्थ है। इसमें विटामिन ए, विटामिन सी, पोटेशियम, फाइबर, एंटी-ऑक्सीडेंट, फास्फोरस मौजूद होता है जो हमारी हड्डियों को मजबूत करने के साथ-साथ वजन को कम करने में मदद करता है। आज हम आपको बताएंगे कि किस तरह अनानास खाने से हम किडनी के रोग से बच सकते हैं, तो आइए जानते हैं अनानास के फायदेमंद-
किडनी स्टोन
अगर किसी व्यक्ति के किडनी में स्टोन यानी पथरी हो
गई है तो अनानास के सेवन से राहत मिल सकती है। इसके सिवा कुछ लोगों को किडनी स्टोन तो नहीं लेकिन उन्हें समय-समय पर किडनी में दर्द की शिकायत रहती है तो उनके लिए अनानास किसी वरदान से कम नहीं है। यदि आप अनानास को काटकर खाने में आलस करते हैं तो आप इसका सेवन जूस के तौर पर भी कर सकते हैं।
अनानास खाने के कुछ अन्य फायदे-
अनानास एक ऐसा फल है जिसमें आपको प्रचुर मात्रा में मैग्नीशियम मिलेगा। इसके सेवन से आप अपने शरीर में मैग्नीशियम की कमी की पूर्ति कर सकते हैं। साथ ही अनानास हड्डियों को मजबूत बनाने और शरीर को ऊर्जा प्रदान करने में सहायक है। एक कप अनानास का जूस पीने से दिनभर के लिए जरूरी मैग्नीशियम के 73 प्रतिशत की पूर्ति की जा सकती है।
- अनानास में पाया जाने वाला ब्रोमिलेन सर्दी-खांसी, सूजन, गले में खराश और गठिया जैसी बिमारियों में काफी लाभदायक होता है। अनानास हमारे पाचन क्रिया में भी काफी मदद करता है। अनानास के रस में मुलेठी, बहेड़ा और मिश्री मिलाकर सेवन करने से दमे और खांसी से छुटकारा पाया जा सकता है।
- जिन लोगों को शरीर में बहुत ज्यादा सूजन हो जाती है या लम्बे समय तक रहती है, वह रोजाना अनानास के दो से तीन पीस का सेवन करें। जिन लोगों को पथरी का दर्द उठता हो वह रोजाना एक गिलास अनानास का जूस का सेवन करें, इससे उन्हें काफी आराम मिलेगा।
- अनानास अपने विशिष्ट गुणों के कारण आंखों की दृष्टि के लिए भी फायदेमंद माना जाता है। पूर्व में हुए शोधों के मुताबिक दिन में तीन बार अनानास को खाने से बढ़ती उम्र के साथ कम होती आंखों की रोशनी का खतरा भी कम हो जाएगा।
- आस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों के मुताबिक अनानास के सेवन से कैंसर के खतरे को भी कम किया जा सकता है।
किडनी के लिए अन्य फायदेमंद चीज़े?
रस के तौर पर आप खीरा, ककड़ी, गाजर, पत्तागोभी, लौकी, आलू और तरबूज के रस का सेवन कर सकते हैं। अगर बात सब्जियों की जाए तो आप तोरी, घीया, टिंडा, धनिया, परवल, कच्च पपीता, कच्च केला, सेम, सहजन की फली आदि के सेवन कर अपनी किडनी को स्वस्थ रख सकते हैं।
अगर फलों की बात की जाए तो अंगूर के सेवन से शरीर के विषाक्त तत्व पेशाब से ज़रिए बाहर निकल जाएंगे। जामुन और करौंदा जैसे फल किडनी से यूरिक एसिड और यूरिया को बाहर निकालने में सहायक है। सेब, पपीता, अनन्नास, अमरूद, बेर को आप रोजाना के आहार में शामिल कर, किडनी रोग से मुक्त हो सकते हो। रात में मुनक्के को भिगोकर, सुबह उसका पानी पीने से भी किडनी के रोग से बचा जा सकता है। आप अपने दैनिक आहार में दही और छाछ जरूर शामिल करें, इससे मूत्र मार्ग के संक्रमण कम होते हैं। आप बेकिंग सोडा का प्रयोग करके भी किडनी के रोग से दूर रह सकते हैं क्योंकि यह रक्त में एसिडिटी की समस्या को समाप्त हो कर देता है।
हर व्यक्ति को अपनी 35 की आयु के बाद एक बार तो कम से कम बीपी और शुगर की जांच करवानी चाहिए। यदि आपको बीपी या डायबिटीज के लक्षण मिलते हैं तो हर छह महीने में यूरिन और खून की जांच करवा के किडनी की रोग से सही समय पर बचाव कर सकते हैं।
योग करें किडनी की समस्या का इलाज
नियमित योग करने से हमारे शरीर में किसी भी तरह की कोई भी बीमारी उत्पन्न नहीं हो सकती। योगासन में आप सुबह ताड़ासन, कटी चक्रासन आदि कर सकते हैं। यदि आप दोपहर के समय योग कर रहे हैं तो मंडूक आसन, पश्चिमोत्तानासन, भुजंग व शशांक आसन और धनुरासन को शामिल करें। इससे निचला हिस्सा और सेंट्रल नर्वस सिस्टम स्वस्थ रहेगा।
रोजाना 10-15 मिनट का कपालभाति प्राणायाम व सुबह की सेर जरूर करें। योग के सिवा आप समय से भोजन करें। सुबह 7 से 9 बजे के बीच नाश्ता और शाम को 7 बजे से पहले रात का भोजन करने से आप कई रोगों से बच सकते हैं। डायबिटीज के रोगियों को छोड़कर सभी को रात में एक गिलास दूध में एक चम्मच शहद डाल कर पीना चाहिए, जिससे आपको किडनी को स्वस्थ रख सकेंगे।
आयुर्वेद उपचार केंद्र
वर्ष 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया ‘कर्मा आयुर्वेदा’ किडनी से जुड़ी हर समस्या का इलाज करने में सक्षम है। आज के समय में, कर्मा आयुर्वेदा का नेतृत्व धवन परिवार की पाचंवी पीढ़ी के डॉ. पुनीत धवन द्वारा किया जा रहा है। डॉ. पुनीत धवन हर साल हजारों की मात्रा में किडनी रोगियों का इलाज करते आ रहे हैं। वह भी बिना किसी डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट के, वह केवल आयुर्वेदिक औषधि पर ही विश्वास करते हैं। कर्मा आयुर्वेदा में सिर्फ आयुर्वेदिक औषधि से ही किडनी रोगियों का इलाज किया जाता है और साथ ही उचित आहार की सलाह के साथ आहार सारणी दी जाती है।