किडनी के लिए फायदेमंद हैं परवल

अल्कोहोल और किडनी रोग

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किडनी के लिए फायदेमंद हैं परवल

भारतीय उपमहाद्वीप में परवल सबसे प्रसिद्ध सब्जी हैं। इसे पॉइंटेज गार्ट (pointed gourd) के नाम से भी जाना जाता हैं। परवल मूत्र संबंधित समस्याओं और मधूमेह के इलाज में विशेष रूप से अच्छे से काम करती हैं। परवल को आयुर्वेदिक औषधि के रूप में भी जाना जाता हैं जो कब्ज, बुखार, स्किन इंफेक्शन, घावों, कम भूख और पाचन तंत्र संबंधी बीमारियों के इलाज कें इस्तेमाल किया जाता हैं। परवल के पौधों के पत्तों का रस ज्वरनाशक, एडिमा, गंजापन और यकृत के विस्ताप के गंभीर मामलों में बहुत फायदेमंद होता हैं। अधिकतर लोग परवल के स्वास्थ्य लाभों के बारे में नहीं जानते हैं। परवल विटामिन ए, विटामिन बी1 विटामिन बी और विटामिन सी जैसे विटामिन पाए जाते हैं। इसमें कैलोरी कम होती हैं। इसे प्राकृतिक एफ्रोडाइसियाक भी माना जाता हैं जो यौन जीवन को बढ़ा सकता हैं। इसमें पोटेशियम, मैग्नीशियम और फॉस्फोरस जैसे पोषक तत्व भी होते हैं। इस आयुर्वेदिक सब्जी से बहुत से स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं जो लोगों को पता नहीं होते हैं। इसमें बहुत से विटामिन, खनिज पदार्थ एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। परवल आपके कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता हैं। आयुर्वेद के अनुसार गैस्ट्रिक समस्याओं को भी दूर करता हैं तो चलिए जानते हैं परवल के अन्य फायदो और नुकसान के बारे में।

परवल के फायदे –

  • पाचन तंत्र मजबूत करें – परवल में फाइबर की मात्रा उच्च होती हैं जो हमारे पाचन क्रिया को मजबूत करता हैं। ये गैस और लिवर से जुड़ी परेशानियों को दूर करने में मदद करती हैं। इसका नियमित सेवन करने से पाचन क्रिया में सुधार आता हैं।
  • मोटापा कम करें – वजन को कंट्रोल करने के लिए हमें व्यायाम के साथ-साथ आहार पर भी काफी ध्यान देना जरूर होता हैं। परवल मोटापे नियंत्रण पाने के लिए अच्छा उपाय हैं इसके संवन से पेट भरा रहेगा और आपको जल्दी से भूख नहीं लगेगी।
  • शुगर और कोलेस्ट्रॉल के सामान्य रखें – परवल खाने पर इसके बीच बाहर नहीं फेंके इनसे शुगर का स्तर संतुलित करती हैं जिससे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम होती हैं। परवल को अपने नियमित आहार में शामिल करने से आप बहुत सी भयानक बीमारियों से बचेंगे।
  • कब्ज को दूर करें – कब्ज की समस्या को दूर करने के लिए परवल के बीज एक बेहतरीन रामबाण इलाज हैं। जो भी इस समस्या से ग्रसित हैं तौ आप परवल को खाने में शामिल जरूर करें।
  • स्किन के लिए – चेहरे पर झुर्रियां और कालापन होने की समस्या होने लगती हैं और इसे दूर करने का अच्छा आयुर्वेदिक उपाय हैं। इसमें एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन ए और सी पाया जाता हैं जो कणिक अणुओं से लड़ने में मदद करता हैं। बढ़ती उम्र को रोकने के लिए आप परवल की सब्जी का सेवन करें। इससे आपको बहुत फायदा होगा।
  • रक्त को साफ करें – शरीर से रक्त साफ करने में परवल फायदेमंद हैं। ये हमारे रक्त ऊतकों को साफ रखने में मदद करता हैं। अगर हमारे शरीर खून साफ रहे तो हमारे शरीर में कोई भी बीमारी या स्किन समन्धित रोग नहीं होते हैं।
  • प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करें परवल में विटामिन सी होता हैं जिसमें बहुत से एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। ये शरीर को कई रोगों से बचाने में मदद करता हैं। हमारे शरीर की इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत करने में मदद करता हैं। साथ ही ये बुखार, सर्दी-खांसी, स्किन इंफेक्शन और चोट को जल्दी से ठीक करता हैं।
  • भूख न लगने की समस्या – बहुत से लोगों को भूख नहीं लगती हैं और कुछ को तो खाना कहते ही टॉयलेट जाने की परेशानी होने लगती हैं। इन सब परेशानियों के लिए परवल की सब्जी बहुत मदद करता हैं। परवल खाने से पेट के कीड़े भी मर जाते हैं और शरीर से कमजोरी खत्म हो जाती हैं।

परवल के नुकसान

परवल की सब्जी का अधिक सेवन करने से पेट खराब होने की आशंका बढ़ जाती हैं। परवल से होने वाले नुकसानों की जानकारी प्राप्त नहीं हैं फिर भी इसका सेवन कन मात्रा में  हिसाब से ही करना चाहिए।

आयुर्वेदिक किडनी उपचार

कर्मा आयुर्वेदा भारत के प्रसिद्ध किडनी उपचार केंद्र में आता हैं ये 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया था। जिसे आज डॉ. पुनीत धवन चला रहे हैं। आयुर्वेद में डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट के बिना किडनी का इलाज करते हैं। आयुर्वेद में किडनी समस्याओं को ठीक करने में परिणाम सफल रहा हैं। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता हैं जिससे हमारे शरीर में कोई दुष्प्रभाव नहीं होता हैं। साथ ही डॉ. पुनीत धवन ने आयुर्वेदिक की मदद से 35 हजार से भी ज्यादा किडनी मरीजों को इलाज कर चुके हैं।

किडनी प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और तकनीकों के इस्तेमाल के साथ सभी प्रकार की शारीरिक बीमारियों के इलाज के लिए एक प्राचीन प्रथा माना जाता हैं। आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों को मजबूत बनाती हैं। आयुर्वेदिक किडनी उपचार के इस्तेमाल किए जाने वाले सबसे सामान्य जड़ी-बूटियों में मिल्क, थिस्टल, लाइसोरिस रूट पुनर्नवा, गोखरू, कासनी और शिरीष जैसी जड़ी-बूटियां शामिल हैं। यह बेहद असभ्य जड़ी-बूटियों में आती हैं और किडनी की कोशिकाओं को पुर्नजीवित करने और किडनी के विकास को प्रतिबंधिक करने के लिए बड़ी पैमाने पर काम करती हैं। एलोपैथी दवाओं के विपरीत आयुर्वेदिक किडनी दवाओं से किसी भी प्रकार का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता हैं।

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