तक़रीबन सभी लोग अपने दिन की शुरुआत चाय के साथ करना पसंद करते हैं। लेकिन चाय का अधिक सेवन सेहत के लिए नुकसानदायक होता है। हाँ, अगर बात करें सेहतमंद चाय की तो इसमें सबसे पहला नाम ग्रीन टी का आता है। आम चाय के मुकाबले ग्रीन टी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होती है। ग्रीन टी ना केवल आपको ताज़गी से भरती है बल्कि यह आपको स्वस्थ भी बनाएं रखती है। ग्रीन टी वजन कम करने में काफी असरदार मानी जाती है।
ग्रीन टी का परिचय :-
ग्रीन टी आम चाय से भिन्न है, ग्रीन-टी कैमेलिया साइनेन्सिस नामक पौधे से बनाई जाती है। इस पौधे की पत्तियों का उपयोग न सिर्फ ग्रीन-टी, बल्कि अन्य प्रकार की चाय बनाने में भी किया जाता है। ब्लीडिंग को रोकने और घाव को भरने के लिए आयुर्वेद में ग्रीन टी का इस्तेमाल किया जाता है, साथ ही चीन में भी ग्रीन टी का प्रयोग औषधि के रूप में किया जाता है।
ग्रीन के पोषक तत्व :-
ग्रीन टी पोषक तत्वों से भरी हुई हैं, इसमें कई ऐसे पोषक तत्व मौजूद है जो हमारे स्वस्थ के लिए काफी फायदेमंद है। अगर आप बिना चीनी वाली ग्रीन टी का सेवन करते हैं, तो यह आपके स्वास्थ्य के लिए काफी लाभकारी है, क्योंकि बिना चीनी के ग्रीन-टी में बिल्कुल कैलोरी नहीं होती। ग्रीन-टी में कुछ ऐसे तत्व होते हैं जो काफी फायदेमंद है जैसे कि फ्लेवेनॉल और कैटेकिन मौजूद होता है, जो एक तरह का पॉलीफेनोल (पोषक तत्व) होता है। इसके अलावा ग्रीन में ईजीसीजी (EGCG) यौगिक तत्व मौजूद है, जिसे एपीगैलोकैटेकिन-3-गैलेट (epigallocatechin-3-gallate) के नाम से भी जाना जाता है। ईजीसीजी सबसे शक्तिशाली यौगिक तत्व होता है, यह यौगिक तत्व शरीर में मेटाबोलिक दर को बढ़ाने में और वजन को नियंत्रण करने में मदद करता है।
इसके अलावा ग्रीन टी में निम्नलिखित पोषक तत्व पाएं जाते हैं -
- एमिनो एसिड व एंजाइम
- कार्बोहाइड्रेट
- मैग्नीशियम
- कैल्शियम
- मैंगनीज
- आयरन
- क्रोमियम
- तांबा
- जिंक
- विटामिन-बी 6
- विटामिन-सी
- प्रोटीन
- थियनाइन
- एमिनो एसिड
किडनी के लिए ग्रीन टी :-
लोगों की यह धारणा बन चुकी है कि ग्रीन टी केवल वजन कम करने के लिए फायदेमंद होती है। लेकिन आपको बता दें कि ग्रीन टी वजन कम करने के अलावा और भी कई कार्य करती है। आपने ऊपर ग्रीन टी के पोषक तत्वों के बारे में विस्तार से जाना, यह सभी पोषक तत्व हमारी किडनी के लिए काफी लाभकारी है। ग्रीन टी हमारी किडनी को स्वस्थ बनाएं रखने में काफी मददगार है। अगर आप अपनी किडनी को स्वस्थ रखना चाहते हैं, तो ग्रीन टी का सेवन जरूर करें। ग्रीन टी आपको कई ऐसी बीमारियों से बचा कर रखती है, जिनसे किडनी खराब होने का खतरा रहता है।
ग्रीन टी निम्नलिखित समस्याओं को दूर कर आपकी किडनी को स्वस्थ रखती है –
मधुमेह –
ग्रीन टी मधुमेह रोगियों के लिए काफी फायदेमंद हैं। यह कोशिकाओं को अच्छे से मीठे को हजम करने में मदद करती है, ताकि मधुमेह के प्रभाव को कम किया जा सकें। इसमें मौजूद पॉलीफेनोल्स (polyphenols) तत्व रक्त शर्करा को संतुलित करने में मदद करता है। एक अध्ययन के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति पूरे दिन में छह कप या उससे अधिक कप ग्रीन-टी का सेवन करें, तो टाइप-2 डायबिटीज़ का खतरा काफी हद तक कम किया जा सकता है। एक दिन में 6 कप ग्रीन टी के सेवन से पहले अपने चिकित्सक की सलाह जरूर लें। ग्रीन टी, एंजाइम गतिविधि को रोकती है, जिससे रक्त प्रवाह में अवशोषित मीठे की मात्रा कम हो जाती है। ग्रीन टी खासकर के टाइप-2 डायबिटीज़ में ज़्यादा फायदेमंद है, क्योंकि इसमें एंटी डायबिटिक गुण मौजूद होते हैं। यह इन्सुलिन के निर्माण में भी मददगार है।
उच्च रक्तचाप –
ग्रीन टी के नियमित सेवन से उच्च रक्तचाप की समस्या से निजात मिलता है। उच्च रक्तचाप एक गंभीर समस्या है। इसके कारण कई स्वास्थ्य संबंधित समस्याए हो सकती हैं, जिसमें किडनी फेल्योर सबसे घातक है। उच्च रक्तचाप की समस्या आमतौर पर रक्त में सोडियम की अधिक मात्रा और एंजियोटेनसिन-कंवर्टिंगएंजाइम (Angiotensin-converting enzyme - ACE) के कारण होती है। एंजियोटेनसिन-कंवर्टिंग एंजाइम किडनी से निकलता है, जो पेशाब के साथ शरीर से बाहर निकल जाता है, लेकिन कई कारणों के चलते यह काफी बार शरीर से बाहर नहीं निकल पाता। ज्यादातर उच्च रक्तचाप की दवाएं ACE को कम करने में मदद करती है, लेकिन ग्रीन टी एक प्राकृतिक ACE अवरोधक है। ग्रीन टी ACE एंजाइम को क्रिया करने से रोकता है, जिससे उच्च रक्तचाप नियंत्रण में आ जाता है। ऑक्सीडेटिव के कारण से भी उच्च रक्तचाप की समस्या हो सकती है। ऑक्सीडेटिव, रक्त में वसा को बढ़ाता है, जिससे रक्त धमनियों में सूजन आ जाती है और व्यक्ति को उच्च रक्तचाप की समस्या होने लगती है। ग्रीन टी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट तत्व धमनियों की सूजन को कम कर रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है।
गठिया -
ग्रीन टी के नियमित सेवन से गठिया जैसी समस्या से राहत मिलती है। ग्रीन टी में मौजूद ईजीसीजी (EGCG) के एंटीऑक्सीडेंट तत्व पाय जाते हैं, जो गठिया को दूर करने में मदद करता है। यह खास तत्व शरीर में बने छोटे-छोटे मॉलिक्यूल (molecules) के उत्पादन को सीमित करता है, जो सूजन और गठिया का कारण बनते हैं। ग्रीन टी में मौजूद ईजीसीजी गठिया पर काफी प्रभावि होता है। यह तत्व रूमेटोइड गठिया (rheumatoid arthritis) में आई सूजन को कम करने में काफी असरदार है।
वजन –
कई शोधों से यह साबित हुआ है कि नियमित रूप से ग्रीन टी के सेवन से वजन को कम किया जा सकता है। ग्रीन टी शरीर में जमा अतिरिक्त वसा को कम कर (विशेष रूप से पेट के क्षेत्र में) वजन को कम करने में मदद करता है। इसके नियमित रूप से सेवन करने से ना केवल पेट बल्कि कमर की चर्बी भी कम होती है। इसके साथ ही ग्रीन टी में मौजूद खास तत्व ‘कटेचिंस’ शरीर में गर्मी उत्पन्न करता है, जिससे शरीर में कैलोरी बर्न होने में मदद मिलती है। ग्रीन टी में कैफीन होता है और एक प्रकार का फ्लैवोनॉयड होता है जिसे कैटेचिन कहा जाता है, जो की एक एंटीऑक्सीडेंट होता है। इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट, मेटाबॉलिज़्म को बढाकर वज़न कम करने में मदद करता है।
कोलेस्ट्रॉल –
अगर आप ग्रीन टी का नियमित सेवन करते हैं, तो यह आपको कोलेस्ट्रोल कम करने में मदद करता है। इसमें मौजूद पोषक तत्व खराब कोलेस्ट्रोल को खत्म कर अच्छे कोलेस्ट्रोल को बढ़ने में मदद करता है। खराब कोलेस्ट्रोल खत्म होने से दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा भी कम हो जाता है।
हड्डियों को करें मजबूत –
ग्रीन टी हड्डियों को मजबूत करने में मदद करती है। इसके अंदर फ्लोराइड प्रचुर मात्रा में मिलता है, यह हड्डियों की शक्ति को बनाएं रखता है। अगर आप ग्रीन टी का नियमित रूप से सेवन करते हैं, तो आपको फ्रैक्चर होने का खतरा काफी कम हो जाता है। ग्रीन टी हड्डियों के घनत्व को बढ़ता है, साथ ही इसमें मौजूद कैल्शियम हड्डियों को मजबूत करने में मदद करता है। इसमें मौजूद एंटीओक्सिडेंट तत्व हड्डियों में आने वाली सूजन को कम करने में मदद करता है। साथ ही ग्रीन टी हड्डी की निर्माण कोशिकाओं (BONE-BUILDING CELLS) को बढ़ने में मदद करता है। किडनी हड्डियों को मजबूत करने का कार्य भी करती है, लेकिन किडनी खराब हो जाने के कारण वह अपने इस कार्य को करने में असमर्थ हो जाती है।
सूजन –
ग्रीन टी सूजन और सूजन से होने वाले दर्द में राहत दिलाने में मदद करती है। ग्रीन टी के एंटीओक्सिडेंट तत्व सूजन को कम करने में मदद करते हैं, ग्रीन टी लगभग हर प्रकार की सूजन में राहत दिलाती है। किडनी खराब हो जाने के कारण शरीर में सूजन आ जाती है। ऐसे में किडनी रोगी सूजन को कम करने के लिए एलोपैथी दवाओं को छोड़कर, ग्रीन टी की मदद से सूजन को कम कर सकते हैं। किडनी रोगी ग्रीन टी के सेवन से पहले चिकित्सक की सलाह जरूर लें।
ग्रीन टी के नुकसान :-
ग्रीन टी भले ही आपको कई तरह से स्वस्थ रखती हो, लेकिन इसके सेवन से शरीर पर कई नकारात्मक प्रभाव भी हो सकते हैं। अगर आप अधिक मात्रा में ग्रीन टी का सेवन करते हैं तो आपको निम्नलिखित नकारात्मक प्रभावों से जूझना पड़ सकता है –
- ग्रीन टी के अधिक सेवन से किडनी में पथरी होने का खतरा रहता है। ग्रीन टी में ऑक्जेलिक एसिड पाया जाता है, यह किडनी में पथरी बनने का कारण बन सकता है। इसके अलावा इसमें कैल्शियम, यूरिक एसिड, अमीनो एसिड और फास्फेट भी पाया जाता है। यह ऑक्जेलिक एसिड के साथ मिलकर किडनी में पथरी का कारण बनता है इसलिए आप ग्रीन टी का सेवन कम मात्रा में ही करें।
- ग्रीन टी का अधिक सेवन आपकी भूख को कम कर सकता है। भूख कम हो जाने के कारण आप सही डाइट नहीं लें पाते और आपके शरीर को जरूरी मात्रा में पोषक तत्व नहीं मिल पाते। इस तरह से आपका शरीर कमजोर हो सकता है।
- ग्रीन टी में कैफीन की मात्रा कॉफी की अपेक्षा बहुत कम होती है। लेकिन दिनभर में ग्रीन टी का अत्यधिक सेवन करने से, कई खतरनाक बीमारियां होने का खतरा बढ़ सकता है। इससे आप पेट की समस्या, अनिद्रा, उल्टी, दस्त एवं अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के शिकार हो सकते हैं।
- ग्रीन टी, जड़ी बूटियों और सप्लीमेंट्स के कार्य को प्रभावित कर सकती है। जैसे अगर आप ग्रीन टी पीते हैं तो उसमें मौजूद तत्व, आयरन और फोलिक एसिड की खुराक को खपाने की प्रक्रिया को धीमा कर सकते हैं। जिससे उनकी प्रभावहीनता बढ़ जाती है और आपके शरीर में कई प्रकार की दिक्कतें हो सकती है।
कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार :-
किडनी खराब होने पर उसे पहले की तरह ठीक करना बहुत ही मुश्किल काम होता है। आयुर्वेद की सहायता से खराब किडनी को फिर से ठीक किया जा सकता है। आयुर्वेद किसी चमत्कार से कम नहीं है जो काम एलोपैथी उपचार नहीं कर सकता उसे आयुर्वेद बड़ी आसानी से करने की ताक़त रखता है। “कर्मा आयुर्वेदा” किडनी फेल्योर का आयुर्वेद की मदद से सफल उपचार करता है। कर्मा आयुर्वेदा बिना किसी डायलिसिस और बिना किडनी ट्रांसप्लांट के ही खराब किडनी को ठीक करता है।
वर्ष 1937 में कर्मा आयुर्वेदा की नीव धवन परिवार द्वारा रखी गयी थी तभी से कर्मा आयुर्वेदा किडनी फेल्योर के रोगियों को इस जानलेवा बीमारी से छुटकारा दिलाता आ रहा है। वर्तमान समय में डॉ. पुनीत धवन कर्मा आयुर्वेद की बागडोर को संभाल रहे है। डॉ. पुनीत धवन पुर्णतः आयुर्वेद पर ही विश्वास करते हैं और आयुर्वेद की मदद से किडनी से जुड़ी बीमारी का निदान करते है। डॉ. पुनीत ने अभी तक 35 हजार से भी ज्यादा रोगियों को किडनी फेल्योर की जानलेवा बीमारी से छुटकारा दिलवाया है, वो भी बिना डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट किये।