किडनी के लिए लाभदायक है ‘गोखरू’

अल्कोहोल और किडनी रोग

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किडनी के लिए लाभदायक है ‘गोखरू’

मानव शरीर में अगर सबसे महत्वपूर्ण अंग की बात की जाए तो निश्चित ही वो “किडनी” है। किडनी हमारे शरीर का वो अभिन्न अंग है, जिसके बिना मानव शरीर कार्य करने में असमर्थ होता है। किडनी हमारे शरीर में रसायनों का संतुलन बनाएं रखने का अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य करती है। किडनी आकार में राजमा की तरह दिखाई देती है, यह हमारे शरीर से अपशिष्ट उत्पादों, क्षार और अम्ल जैसे तत्वों को शरीर से बाहर निकाल कर संतुलन बनाएं रखती है। लेकिन कुछ कारणों के चलते जब किडनी अपने इस मत्वपूर्ण कार्य को अंजाम देने में समर्थ नहीं होती तब व्यक्ति का शरीर अनेक समस्याओं से घिर जाता है। किडनी को स्वस्थ रखने के लिए वैसे तो बहुत सी औषधियां हैं, लेकिन गोखरू इसमें सबसे खास हैं। गोखरी किडनी के लिए सबसे उत्तम औषधि मानी जाती है।

गोखरू आयुर्वेदिक औषधि :-

गोखरू स्वास्थ्य के लिए सबसे उत्तम आयुर्वेदिक औषधि है। इस प्राकृतिक औषधि का प्रयोग भारत में काफी समय से किया जा रहा है। वैज्ञानिक भाषा में गोखरू को ट्रिबुलस टेरेस्ट्रिस (Tribulus terrestris) के नाम से जाना जाता  है। गोखरू के महत्व को आप इस बात से भी समझ सकते हैं कि इसका वर्णन आयुर्वेद में भी मिलता है। यह औषधि ना केवल किडनी के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह और भी कई बीमारियों में लाभकारी है। गोखरू की तासीर बहुत गर्म होती है। सर्दियों में इसका इस्तेमाल कर हम कई बीमारियों से छुटकारा पा सकते हैं।

बाँझपन, बुखार, एक्ज़िमा, अस्थमा, शारीरिक कमजोरी दूर करने और मूत्र मार्ग से जुड़ी बीमारीयों को दूर करने के लिए गोखरू का इस्तेमाल किया जाता है। चरक संहिता में इस जड़ी बूटी को कामोद्दीपक बताया गया है। इसमें मूत्रवर्द्धक गुण भी पाए जाते हैं जो पेशाब के जरिए विषाक्तम पदार्थों को शरीर से बाहर निकाल देता है। गोखरू के फूल पीले रंग के होते हैं, यह पौधा मुख्य रुप से राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, जैसे मैदानी और सूखे ईलाकों में पाया जाता है। गोखरू के पत्ते, फल और इसका तना तीनों रूपो में उपयोग किया जाता है, इसके फल पर कांटे लगे होते हैं यानि की गोखरु का फल कंटीला होता है।

किडनी के लिए गोखरू :-

किडनी के लिए गोखरू किसी वरदान से कम नहीं है। गोखरू कई तरीकों से किडनी को स्वस्थ बनाएं रखती है। गोखरू किडनी की पथरी के लिए एक रामबाण औषधि है। यह किडनी को खराब होने से भी बचाती है। गोखरू निम्नलिखित तरीकों से किडनी को स्वस्थ रखता है –

पथरी निकाले –

अगर आप किडनी में पथरी की बीमारी से जूझ रहें हैं, तो आपको गोखरू का सेवन जरूर करना चाहिए।  इसके लिए आप गोखरू के फल को छाव में सुखा कर इसका चूर्ण बना लें। सूखे गोखरू से तैयार चूर्ण को शहद में मिलाकर सुबह और शाम इसका सेवन करना शुरू करें। आप इसके चूर्ण से बने काढ़े का भी सेवन कर सकते हैं। इसके नियमित सेवन से पथरी जल्द ही टूटकर पेशाब के साथ शरीर से बाहर निकल जायगी। आप गोखरू के चूर्ण का सेवन दूध में उबालकर मिश्री के साथ भी कर सकते हैं, अगर आप मधुमेह रोगी हैं तो आप मिश्री को कम मात्रा में लें।

मूत्र विकार दूर करें -

पेशाब से जुड़ी समस्यों के लिए गोखरू काफी फायदेमंद औषधि है। गोखरू एक उत्तम श्रेणी की मूत्रवर्धक औषधि है और पेशाब में जलन व पेशाब करते हुए दर्द से मुक्ति दिलाता है। गोखरू के अंदर एंटिलिथियेटिक गुण पायें जाते है, जिसके चलते यह स्वस्थ मूत्र प्रवाह (Healthy urine flow) को बनाएं रखता है, जिससे मूत्र पथ (urinary tract) संबंधित परेशानियों से छुटकारा मिलता है। यह मूत्राशय (urinary bladder) और किडनी की सफाई कर सारें विकारों को दूर भगाता है, साथ ही गोखरू मुत्रबाधक (Uroblast) को दूर करता है, जिससे मूत्र के प्रवाह नियमित होता है। गोखरू का सेवन करी पत्ता के साथ 12 सप्ताह करने से यह पुरुषों में यूरेनरी ट्रैक की कार्यप्रणाली को सुधारता है और पेशाब संबंधी समस्याएं दूर करता है।

क्रिएटिएन यूरिया स्तर सुधारे –

किडनी खराब हो जाने कारण शरीर में क्रिएटिएन यूरिया का स्तर बढ़ जाता है। जिसके कारण किडनी की कार्यक्षमता दर लगातार गिरती रहती है। ऐसे में क्रिएटिएन के स्तर को कम करना बहुत जरुरी होता है। इसके लिए एलोपैथी उपचार में डायलिसिस का सहारा लिया है, जबकि आयुर्वेद में आयुर्वेदिक औषधियों की मदद से ही इसके स्तर को कम किया जा सकता है। अगर किडनी रोगी गोखरू के काढ़े का सेवन करे तो जल्द ही उसका क्रिएटिएन यूरिया स्तर कम हो जायगा। इसके सेवन से पहले आप अपने चिकित्सक की सलाह जरूर लें।

सूजन दूर करें –

किडनी खराब हो जाने पर शरीर के कई हिस्सों में सूजन आ जाती है, जिसके चलते रोगी को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में अगर आप गोखरू के चूर्ण से बने काढ़े का सेवन करते हैं तो आपको सूजन में जल्द रहत मिलेगी। यह हर प्रकार की सूजन में राहत देता है।

किडनी खराब होने के कारण :-

वैसे तो किडनी खरब होने के कई कारण होते हैं, लेकिन किडनी मुख्य रूप से तीन कारण से खराब होती  हैं,  जो निम्नलिखित है –

मधुमेह

जो व्यक्ति मधुमेह की बीमारी से जूझ रहे हैं, उन्हें किडनी की विफलता की समस्या हो सकती हैं। मधुमेह में रक्त में शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे किडनी को रक्त शोधन करने में बाधा होती हैं। रक्त में शर्करा की मात्रा बढ़ने से किडनी के फिल्टर्स खराब होने लगते हैं। फिल्टर्स खराब होने के कारण किडनी प्रोटीन को रक्त में प्रवाह नहीं कर पाती, साथ ही अपशिष्ट उत्पादों को भी पेशाब के जरिये शरीर से बाहर नहीं निकाल पाती। फलस्वरूप किडनी खराब हो जाती है।

उच्च रक्तचाप

रक्त में सोडियम की अधिक मात्रा होने के कारण उच्च रक्तचाप की समस्या पैदा होती है। लगातार उच्च रक्तचाप होने के कारण किडनी पर दबाव बढ़ने लगता है जिससे किडनी को कार्य करने में समस्या होती है साथ ही उसके फिल्टर्स पर भी असर पड़ता हैं। किडनी पर दबाव बढ़ने के चलते वह अपने कार्य को करने में असमर्थ हो जाती हैं। इस स्थिति में किडनी द्वारा रक्त में प्रोटीन, क्षार और अन्य रसायनों का संतुलन नहीं बना पाता है। रक्त में क्षार और प्रोटीन की अधिक मात्रा होने के कारण उच्च रक्तचाप की समस्या होने लगती है। उच्च रक्तचाप होने के कारण किडनी पर दबाव बढ़ने लगता है, साथ ही अन्य समस्याओं के चलते किडनी खराब हो जाती है।

किडनी की बीमारी का पारिवारिक इतिहास

जिस परिवार में किसी व्यक्ति को पॉलीसिस्टिक किडनी रोग रहा हो, तो भविष्य में उसकी संतान को पॉलीसिस्टिक किडनी रोग होने का खतरा रहता है। इसके अलावा उन्हें कोई अन्य किडनी रोग होने का भी खतरा हो सकता है।

किडनी खराब होने के लक्षण :-

आयुर्वेद में किडनी खराब होने के कारण आने वाली समस्याओं को दूर करने पर विशेष ध्यान दिया जाता है। किडनी खराब होने के दौरान हमारे शरीर में निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते है –

  • पेट में दाई या बाई ओर असहनीय दर्द होना
  • नींद आना
  • कमर दर्द होना
  • शरीर के कुछ हिस्सों में सूजन
  • आंखों के नीचे सूजन
  • कंपकंपी के साथ बुखार होना
  • पेट में दर्द
  • पेशाब में रक्त और प्रोटीन का आना
  • बेहोश हो जाना
  • पेशाब में प्रोटीन आना
  • सांस लेने में तकलीफ
  • बार-बार उल्टी आना
  • पेशाब करने में दिक्कत होना
  • गंधदार पेशाब आना
  • पेशाब में खून आना
  • अचानक कमजोरी आना

कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार :-

आयुर्वेद की मदद से किडनी फेल्योर की जानलेवा बीमारी से जल्द ही छुटकारा पाया जा सकता है। आयुर्वेद में इस रोग को हमेशा के लिए खत्म करने की ताक़त मौजूद है। जबकि अंग्रेजी दवाओं में बीमारी से कुछ समय के लिए राहत भर ही मिलती है। लेकिन आयुर्वेद में बीमारी को हमेशा के लिए खत्म किया जाता है। आज के समय में "कर्मा आयुर्वेदा" प्राचीन आयुर्वेद के जरिए "किडनी फेल्योर" जैसी गंभीर बीमारी का सफल इलाज कर रहा है। कर्मा आयुर्वेद पूर्णतः प्राचीन भारतीय आयुर्वेद के सहारे से किडनी फेल्योर का उपचार करता है।

वैसे तो आपके आस-पास भी काफी आयुर्वेदिक उपचार केंद्र होने लेकिन कर्मा आयुर्वेद ऐसा क्या खास है? आपको बता दें की कर्मा आयुर्वेदा साल 1937 से किडनी रोगियों का इलाज करते आ रहे हैं। वर्ष 1937 में धवन परिवार द्वारा कर्मा आयुर्वेद की स्थापना की गयी थी। वर्तमान समय में डॉ. पुनीत धवन कर्मा आयुर्वेद को संभाल रहे हैं। डॉ. पुनीत धवन ने  केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। जिससे हमारे शरीर में कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। साथ ही आपको बता दें किडॉ. पुनीत धवन ने 35 हजार से भी ज्यादा किडनी मरीजों को रोग से मुक्त किया है। वो भी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना।

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