किडनी को किस प्रकार शुद्ध किया जा सकता है?

अल्कोहोल और किडनी रोग

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किडनी को किस प्रकार शुद्ध किया जा सकता है?

किडनी हमारे शरीर का सबसे खास अंग है, क्योंकि यह हमारे शरीर में बहने वाले खून को साफ़ करने का काम करती है। खून साफ़ करने के दौरान किडनी खून में मौजूद सभी अपशिष्ट उत्पादों और गैर जरूरी तत्वों जैसे – पोटेशियम, सोडियम, एसिड, शर्करा, प्रोटीन, कैल्शियम आदि को खून से अलग कर उन्हें पेशाब के जरिये शरीर से बाहर निकाल देती है। किडनी के इस काम से हमारे शरीर में सभी रसायनों और पौषक तत्वों के बीच संतुलन बना रहता है, जिससे शरीर का विकास बिना किसी बाधा के होता रहता है। अगर किडनी हमारे खून को साफ़ ना करे तो, हमें कई शारीरिक समस्याओं के साथ और भी कई अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में किडनी को स्वस्थ रखना काफी जरूरी हो जाता है, ताकि हमें किडनी से जुड़ी किसी भी समस्या का सामना ना करना पड़े।

किडनी को साफ और स्वस्थ रखने के लिए हमारे पास कई तरीकें मौजूद है। आप अपनी किडनी को स्वस्थ रखने के लिए बस कुछ खाद्य पदार्थों और जड़ी बूटियों को अपने आहार में शामिल कर सकते हैं, जिनकी मदद से आप बड़ी आसानी से अपनी किडनी को स्वस्थ रख सकते हैं। आज इस लेख में हम इसी विषय में बात करेंगे कि आखिर किस प्रकार हम अपनी किडनी को साफ़ कर सकते हैं। आयुर्वेद में शुरुआत से ही किडनी की सफाई के लिए जड़ी बूटियों का प्रयोग किया जाता रहा है जो कि व्यक्ति के शरीर पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं डालती। इनमे कुछ जड़ी बूटियां हैं जिन्हें चाय या काढ़े के रूप में लिया जाता है और कुछ खाद्य उत्पाद हैं जिन्हें आहार के रूप में खाने में शामिल किया जा सकता है।

किडनी की सफाई के लिए पेय

वैसे तो किडनी को स्वस्थ और साफ रखने के लिए बहुत से पेय के विकल्प हैं लेकिन आप निम्न को जरूर अपनाएं :-

जावा चाय

जावा चाय, एक प्रकार की हर्बल चाय यानि ग्रीन टी के रूप में पी जाती है। अध्ययनों में पाया गया है कि यह रक्त में यूरिक एसिड को कम करती है। रक्त में यूरिक एसिड की मात्रा अधिक होने के कारण व्यक्ति को गठिया जैसी दर्दनाक स्थिति का समाना करना पड़ सकता है। गठिया किडनी की कार्यक्षमता में आई कमी के कारण होता है, जिससे पैरों में सूजन देखि जा सकती है। यूरिक एसिड को कम करने के अलवा यह चाय पेट को स्वस्थ रखने, कोलेस्ट्रॉल कम करने, रक्त शर्करा को संतुलित के साथ रक्त में सोडियम स्तर को कभी नियंत्रित रखने में मदद करता है।

ब्राह्मी

ब्राह्मी को वाटर हाइसॉप भी कहा जाता है। इस जड़ी बूटी का प्रयोग आयुर्वेद में कई रोगों से निदान पाने के लिए किया जाता है। यह कोशिकाओं पर ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करता है  और विशेष रूप से रक्त शर्करा, यूरिक एसिड और रक्त लिपिड स्तर को संतुलित करके किडनी की रक्षा करता है। ब्राह्मी मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह को भी बढ़ाने में मदद करती है। आप इसकी चाय को सप्ताह में दो बार ले सकते हैं, लेकिन अगर आप पेशाब से जुड़ी किसी समस्या से जूझ रहे हैं तो इसका प्रयोग करने से बचें।

उवा उर्सि

यह कम-बढ़ती सदाबहार जड़ी बूटी, जिसे भालू का पत्ता (आर्कटोस्टाफिलोस यूवा-इरसी) के नाम से भी जाना जाता है। इस जड़ी बूटी का प्रयोग आयुर्वेद में मूत्र पथ से जुडी समस्याओं से निदान पाने के लिए किया जाता है। अगर आप मूत्र पथ से जुडी किसी भी समस्या से जुझ रहें हैं, तो आपको इसके काढ़े का सेवन जरूर करना चाहिए, लेकिन सप्ताह में केवल दो से तीन-दिन तक के लिए ही। उवा उर्सि पेशाब को बढ़ाकर पोटेशियम और सोडियम के स्तर को कम करने में मदद करता है, जिससे रक्तचाप काबू में आने लगता है और किडनी पर काम का दबाव कम पड़ने लगता है। ध्यान दें, यह एक मूत्रवर्धक औषधि के रूप में काम करती है, जिसके कारण आपको कई बार पेशाब आ सकता है और आपको निर्जलीकरण की समस्या का सामना भी करना पड़ सकता है।

घोड़े की पूंछ (हॉर्सटेल (इक्विटम अरविन्से)

घोड़े की पूंछ एक ऐसी जड़ी बूटी है जो कि दलदल में उगती है, इसी कारण इसे दलदली पौधे के नाम से भी जाना जाता है। यह किडनी को स्वस्थ रखने के लिए कई तरह से कार्य करती है। यह आयुर्वेदिक औषधि मूत्रवर्धक, हाइड्रोक्लोरोथियाजाइड के रूप में कार्य करती है। हॉर्सटेल न केवल किडनी को साफ करने का काम करती है, बल्कि यह लीवर की रक्षा करने में भी मदद करती है। इसका सेवन सप्ताह में कुछ दो से तीन बार ही करना चाहिए, क्योंकि इसके सेवन के दौरान सामान्य से ज्यादा पेशाब आता है जिसकी वजह से शरीर में पानी की कमी हो सकती है।

भुट्टे के रेशे

कच्चे भुट्टों को छिलते समय उसके अंदर से काफी मात्रा में रेशे निकलते हैं, जिसे हम अक्सर निकाल कर अलग फेंक देते हैं। लेकिन भुट्टे के वह रेशे काफी फायदेमंद औषधि होती है, यह किडनी को साफ करने में आपकी काफी सहायता करते हैं। किडनी को साफ करने के लिए आप इन रेशों को घर में छावं में सुखा लीजिये। अच्छे से सूखने के बाद आप इसे 50 ग्राम की मात्रा में लें और इसे दो गिलास पानी में उबालें। जब पानी आधा रह जाए तो उसका सेवन करें, आप इसका स्वाद बढ़ने के लिए इसमें नींबू, नमक या हल्की सी चीनी डाल सकते हैं।

इसका नियमित सेवन करने से आपकी किडनी की कार्यक्षमता काफी बढ़ने लगेगी, साथ ही आपको किडनी स्टोन, मूत्र संक्रमण, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, रक्त शोधन और बढ़ते वजन से भी राहत मिलेगी। आप इस पेय का सेवन महीने में एक बार या दो बार कर सकते हैं। इसका सेवन करने के बाद आपको सामान्य से ज्यादा पेशाब आ सकता है  जो कि सामान्य बात है। इसका सेवन करने के दौरान आप अधिक मीठा, डिब्बाबंद खाना, मांसाहार, शराब आदि का सेवन ना करे।

कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार

आयुर्वेद की मदद से किडनी फेल्योर की जानलेवा बीमारी से आसानी से छुटकारा पा सकते हैं, वो भी बिना किडनी डायलिसिस और बिना किडनी ट्रांसप्लांट करवाएं। ‘कर्मा आयुर्वेदा’ आयुर्वेद की मदद से किडनी फेल्योर की जानलेवा बीमारी का सफल उपचार करता है। कर्मा आयुर्वेदा की स्थापना 1937 में धवन परिवार द्वारा की गयी थी और वर्तमान समय में इसकी बागड़ोर डॉ. पुनीत धवन संभाल रहे हैं। डॉ. पुनीत धवन एक जाने माने आयुर्वेदिक चिकित्सक है, इन्होने अब तक 48 हज़ार से भी ज्यादा लोगो की किडनी रोगियों का इलाज किया है। कर्मा आयुर्वेद में बिना डायलिसिस और किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज जाता है।

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