किडनी को स्वस्थ रखना क्यों महत्वपूर्ण है?

अल्कोहोल और किडनी रोग

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किडनी को स्वस्थ रखना क्यों महत्वपूर्ण है?

किडनी शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है। किडनी की खराबी किसी भी गंभीर बीमारी या मौत का कारण बन सकती है। वैसे आप इसकी तुलना एक सुपर कंप्यूटर के साथ कर सकते हैं, क्योंकि किडनी की रचना बेहद अटपटी है और उसके कार्य भी अत्यंत जटिल है उनके प्रमुख कार्य है- हानिकारक विषैले पदार्थों को शरीर से बाहर निकालती है और शरीर में पानी, तरल पदार्थ, खनिजों (सोडियम और पोटेशियम आदि) का नियमन करती है। इसमें थोड़ी सी भी खराबी आने पर व्यक्ति की जान पर बात आ जाती है, इसलिए किडनी को स्वस्थ रखना बेहद महत्वपूर्ण है। किडनी में खराबी आने के कारण लोगों की इन बीमारियों का सामना करना पड़ता है जैसे –

किडनी फेल्योर - किडनी फिल्टर करने, अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने और इलेक्ट्रोलाइट संतुलन को बनाए रखने वाली क्षमता के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। साथ ही इसके कार्य में खराबी आने पर किडनी फेल्योर का खतरा हो सकता है। रक्त में क्रिएटिनिन और रक्त यूरिया नाइट्रोजन की मात्रा में वृद्धि का तात्पर्य किडनी की खराबी से होता है।

किडनी खराब होने पर अन्य बीमारियां

  • एक्यूट किडनी डिजीज – किडनी की कार्यक्षमता में अचानक आई कमी या नुकसान को किडनी फेल्योर, एक्यूट किडनी डिजीज या एक्यूट किडनी इंजरी भी कहते हैं। बहुत लोग एक्यूट किडनी डिजीज से ग्रस्त है। उनमें यूरिन की मात्रा कम हो जाती है। ए.के.डी. होने पर मुख्य कारण बार-बार दस्त-उल्टी का होना, मलेरिया, रक्त का दबाव अचानक कम हो जाना, सेपसिस होना, कुछ दवाओं का सेवन जैसे पेन किलर आदि है। कर्मा आयुर्वेदा के आयुर्वेदिक उपचार की मदद से खराब हुई दोनों किडनी संपूर्ण तरह से काम करने लगती है।
  • क्रोनिक किडनी डिजीज – यह बीमारी कई महीनों और सालों से किडनी की कार्यक्षमता में कमी और धीमी गति से अपरिवर्तनीय नुकसान होता है। इसे क्रोनिक किडनी डिजीज यानि सी.के.डी. कहते हैं। क्रोनिक किडनी डिजीज में किडनी की कार्यक्षमता धीरे-धीरे लगातार कम होने लगती है। तब एक लंबी अवधि के बाद पूरी तरह से काम करना बंद कर देती है। इस बीमारी की यह दशा जीवन के लिए खतरनाक होने पर उसे क्रोनिक किडनी डिजीज की अंतिम स्थिति कहते हैं।
  • पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज – किडनी डिजीज में पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज यानि पी.के.डी. सबसे अधिक पाए जानेवाली बीमारी है। इस रोग में मुख्य असर किडनी पर होता है। दोनों किडनी में बड़ी संख्या में सिस्ट बन जाती है। क्रोनिक किडनी डिजीज के मुख्य कारणों में एक कारण पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज भी होता है। किडनी के अलावा कई मरीजों में ऐसी सिस्ट लीवर, तिल्ली, आंतों और दिमाग की नली में भी दिखाई देती है। पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज स्त्री या पुरूष और अलग-अलग हो जाती और देशों के लोगों में एक जैसी ही समस्या होती है।
  • नेफ्रोटिक सिंड्रोम - नेफ्रोटिक सिंड्रोम एक आम किडनी की बीमारी है। जिसमें पेशाब में प्रोटीन का जाना, रक्त में प्रोटीन की मात्रा में कमी होना, कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर होना और शरीर में सूजन से इस बीमारी के लक्षण का पता चलता है। साथ ही किडनी के इस रोग की वजह से किसी भी उम्र के व्यक्ति के शरीर में सूजन आ सकती है। वैसे यह रोग ज्यादातर बच्चों में देखा जाता है। उचित उपचार से रोग पर नियंत्रण होना और बाद में शरीर पर सूजन दिखाई देना।

अगर आप इन बीमारियों बचना चाहते हैं तो बस अपनी किडनी को स्वस्थ जरूर रखें। साथ ही नीचे दी हुई जानकारी से आप अपनी की को स्वस्थ बनाएं रख सकते हैं। लेकिन उससे पहले डॉक्टर से जांच जरूर करवाएं।

किडनी को स्वस्थ बनाए रखती ये चीजें

किडनी की बीमारी एक आम समस्या है, जो कि दुनियाभर के लगभग 10 प्रतिशत लोगों को प्रभावित कर चुकी है। इस स्थिति में जरूर ध्यान रखें कि, किडनी रोगियों को क्या खाना चाहिए। क्योंकि किडनी शरीर से अपशिष्ट पदार्थों को बाहर करने में मदद करती है। इसके अलावा यह रक्तचाप को नियंत्रित करने वाले हार्मोन को उत्तेजित करती है। यह शरीर में तरल पदार्थ को बढ़ावा देकर पेशाब का उत्पादन करती है। साथ ही डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर के कारण किडनी में खराबी आने का खतरे को रोकती है। जब किडनी अपना काम सही से नहीं कर पाती, तो रक्त में अशुद्धियां बढ़ सकती है। इसलिए किडनी के मरीजों को अपने खान-पान का खास ध्यान रखना चाहिए जैसे -

  • गोभी - गोभी में फाइटोकेमिकल्स (Phytochemical) और एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जो कि फ्री रेडिकल्स के कारण होने वाले नुकसान को रोकता है। इसमें पोटेशियम कम होने की वजह से यह डायलिसिस के मरीज के लिए फायदेमंद है। गोभी को कच्चा या पका कर भी खा सकते हैं।
  • बेरीस - बेरीस में मैंगनीज, विटामिन-सी, फाइबर और फोलेट काफी मात्रा में पाए जाते हैं, जो कि किडनी को स्वस्थ रखने में सहायता करते हैं।
  • अंडे का सफेद भाग - अंडे का सफेद भाग किडनी को ठीक रखने के लिए काफी मदद करता है। इसमें हाई क्वालिटी प्रोटीन होता है, जो कि किडनी के मरीजों के लिए फायदेमंद है। आप केवल अंडे के सफेद भाग का आमलेट बनाकर खाएं और उबले हुए अंडे से पीले भाग को निकालकर सफेद भाग ही खाएं।
  • जैतून का तेल - किडनी को स्वस्थ रखने के लिए जैतून का तेल काफी फायदेमंद रहा है। इसमें मौजूद ओलेक एसिड और एंटी-इन्फ्लेमेरी फैटी एसिड हमारे शरीर में ऑक्सीडेशन को कम करता है। आप इसमें अपना भोजन पका कर भी खा सकते हैं।
  • लहसून - लहसून में पाएं जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट किडनी और हार्ट प्रॉब्लम की संभावना को कम करते हैं। दिन में एक या दो कच्चे लहसून की कलियों का सेवन करने से शरीर हाई कोलेस्ट्रॉल कम रहता है।
  • लाल शिमला मिर्च - लाल शिमला मिर्च खाने से किडनी पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। इसमें विटामिन ए, बी-6 और सी, फोलिक एसिड और फाइबर से भरपूर होता है।
  • सेब - सेब में मौजूद फाइबर किडनी को साफ करने में काफी मदद करता है। इसके सेवन से हार्ट प्रॉब्लम्स, कैंसर और कोलेस्ट्रॉल कम होने की संभावना बढ़ती है।

किडनी को स्वस्थ रखने के लिए करें परहेज

  • ज्यादा नमक न खाएं - नमक के अंदर बहुत सारा सोडियम होता है और जब हम खाने में जरूरत से ज्यादा नमक डालते हैं, तो इसे बॉडी से बाहर निकालने में किडनी को काफी मुश्किले पैदा होती है और इससे किडनी पर अधिक प्रेशर पड़ता है।
  • अधिक कैफीन लेना - जरूरत से अधिक कॉफी और दूसरे कैफीन वाले ड्रिंक्स पीने से किडनी डैमेज हो सकती हैं, क्योंकि अधिक कैफीन से ब्लड प्रेशर बढ़ता है।
  • ज्यादा पेनकिलर्स खाना - अगर आप लंबे समय से पेनकिलर्स खा रहे हैं, तो इससे किडनी के फंक्शन पर असर होता है। शरीर में खून की कमी भी हो सकती है।
  • अधिक प्रोटीन का सेवन करना - इस बात में कोई दो राय नहीं है कि प्रोटीन सेहत के लिए बेहद अच्छा है, लेकिन जरूरत से ज्यादा प्रोटीन खाने से भी किडनी पर बुरा असर पड़ सकता है, क्योंकि किडनी हमारे शरीर का बेहद नाजुक अंग है। ऐसे में अधिक प्रोटीन के चलते, यह डैमेज भी हो सकती है। प्रोटीन से भरपूर फूड्स खाने से डाइजेस्टिव सिस्टम पर लोड बढ़ता है, इसीलिए किडनी के सही फंक्शन के लिए और इन्हें हेल्दी रखने के लिए सीमित मात्रा में ही प्रोटीन लेना चाहिए।
  • कोल्ड या फ्लू को इग्नोर कर देना - जब भी आपको कोल्ड या फ्लू हो, तो अधिक काम न करें। उस समय अपनी बॉडी को पूरा रेस्ट दें। अगर बीमारी के दौरान आप बॉडी को ज्यादा थकाएंगे, तो इसका उल्टा असर किडनी के कार्यों पर पड़ता है।
  • ज्यादा अल्कोहल पीना - अगर आप बहुत ज्यादा शराब पीते हैं, तो अपनी इस बुरी आदत पर लगाम लगा लें। अल्कोहल किडनी को पूरी तरह से डैमेज कर सकती है, क्योंकि इसमें अधिक मात्रा में टॉक्सिन्स होते हैं।

किडनी को स्वस्थ रखने के लिए करें योग

योग तन और मन दोनों के स्वास्थ्य के लिए बेहतरीन व्यायाम है। नियमित रूप से व्यायाम करने से शरीर न केवल बाहरी गतिविधियों के लिए फिट रहता है, बल्कि नर्वस सिस्टम, पाचन जैसे अंदुरूनी गतिविधियों भी स्वस्थ रहती है। अगर आप किडनी की समस्या का सामना कर रहे हैं तो योग आपके लिए फायदेमंद है। रिसर्च के अनुसार, योग किडनी रोगियों के लिए परफेक्ट व्यायाम है। किडनी की बीमारी का सामना कर रहे लोगों को योग जरूर करना चाहिए। आपको कुछ ऐसे योगासन करने जरूरी है जिससे किडनी की बीमारी से आराम मिल सकता है।

ऐसे योगासन जो किडनी की बीमारी में फायदेमंद है

  • मत्स्यासन
  • केवला कुसंगका
  • शून्यका कुंभक
  • भोरोलिका

किडनी की समय से जांच करवाते रहिये –

किडनी की कार्य क्षमता को जानने के लिए, किए जाने वाले टेस्ट किडनी की जांच कहलाते हैं। किडनी की जांच सामान्य और सरल तरीके के रक्त और पेशाब जांच होती हैं, जो किडनी की समस्याओं को जानने में मदद कर सकते हैं। रक्त जांच से यह पता लगा सकते हैं कि, किडनी रक्त को साफ करने में सही तरीके से काम कर रही हैं या नहीं। इसके अतिरिक्त पेशाब जांच के आधार पर यह पता लगाया जा सकता है कि, किडनी शरीर के अपशिष्ट को कितनी जल्दी हटाने का काम करती है। पेशाब जांच, किडनी द्वारा प्रोटीन की असामान्य मात्रा को अपशिष्ट पदार्थों के रूप में शरीर से बाहर निकालने की भी जानकारी दे सकती है। किडनी की जांच के आधार पर यह स्पष्ट हो जाता हैं कि किडनी स्वस्थ हैं या नहीं तथा यह टेस्ट हमें किडनी की क्षति की जानकारी भी देने में सक्षम होती है।

किडनी की बीमारी

किडनी की बीमारियों के लक्षण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न हो सकते हैं। यह किडनी के अंतर्निहित रोग और उसकी गंभीरता पर निर्भर करता है, इसलिए रोग का प्रांरभिक दोर में पता लगाना बेहद मुश्किल होता है।

किडनी की बीमारी में दिखाई देने वाले लक्षण

  • चेहरा सूज जाना
  • भूख की कमी
  • जी मिचलाना व बार-बार उल्टी होना
  • उच्च रक्तचाप
  • रक्तल्पता या एनीमिया
  • शरीर में कमजोरी आना
  • बार-बार यूरिन आने का अहसास होना
  • यूरिन पास करते समय जलन या दर्द होना
  • यूरिन में पर कठिनाई होना

अन्य लक्षण – पीठ के निचले हिस्से में दर्द, शरीर में दर्द, खुजली और पैरों में ऐंठन किडनी की बीमारियों की सामान्य शिकायतें हैं। मंद विकास, छोटे कद और पैर की हड्डियों का झुकना आदि। किडनी की खराबी वाले बच्चों में आम तौर पर देखा जाता है।

किडनी को बीमारी से मुक्त रखने के लिए आयुर्वेदिक उपचार

दिल्ली का प्रसिद्ध आयुर्वेदिक उपचार केंद्र कर्मा आयुर्वेदा है। यह सन् 1937 में धवन परिवार द्वारा दिल्ली में स्थापित किया गया था और इसका नेतृत्व डॉ. पुनीत धवन कर रहे हैं। कर्मा आयुर्वेदा में आयुर्वेदिक दवाओं का इस्तेमाल किया जाता हैं। डॉ. पुनीत धवन ने सफलतापूर्वक 35 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज करके उन्हें रोग मुक्त किया हैं, वो भी डायलिसिस और ट्रांसप्लांट के बिना। साथ ही कर्मा आयुर्वेदा में आयुर्वेदिक दवाओं के साथ आहार चार्ट और योग करने की सलाह दी जाती है।

आपको बता दें कि, आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां किडनी को मजबूत बनाती हैं। आयुर्वेदिक इलाज में उपयोग की जाने वाली सबसे सामान्य जड़ी-बूटियों में पुनर्नवा, शरीश, कासनी, गोखरू, पलाश और चंद्रप्रभा वटी आदि आदि शामिल है। यह किडनी की कोशिकाओं को पुनर्जीवित करने और किडनी के विकास को प्रतिबंधित करने के लिए बड़े पैमाने पर काम करती हैं। एलोपैथी दवाओं के विपरित आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से किसी भी प्रकार का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है।

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