हमारी किडनी शरीर में संतुलन बनाए रखने के बहुत से कार्यों का निष्पादन करती हैँ। वे अपशिष्ट उत्पादों को फिल्टर करके पेशाब से बाहर निकालती हैं और निष्कासन करती हैं। वे शरीर में पानी की मात्रा, सोडियम, पोटेशियम और कैल्शियम की मात्रा को संतुलित करती हैं। वह अतिरिक्त अम्ल और क्षार निकालने में मदद करती हैं जिससे शरीर में एसिड और क्षार का संतुलन बना रहता हैं। ये शरीर में रक्त का शुद्धिकरण भी करती हैं। जब रोग की वजह से दोनों किडनी अपना सामान्य कार्य नहीं कर सके, तो किडनी की कार्यक्षमता कम हो जाती हैं, जिसे हम किडनी फेल्योर कहते हैं।
एक्यूट किडनी फेल्योर – एक्यूट किडनी फेल्योर में सामान्य रूप से काम करती हैं दोनों किडी के खराब होने पर ही किडनी फेल्योर हो सकता हैं। विभिन्न रोगों के कारण नुकसान होने के बाद अल्प अवधि में ही काम करना कम या बंद कर देती हैं। अगर इस रोग का तुरंत उचित उपचार किया जाए, तो थोड़े समय में ही किडनी संपूर्ण रूप से पुन काम करने लगती हैं और बाद में मरीज को दवाइ या परहेज की बिलकुल जरूरत नहीं रहती हैं। एक्यूट किडनी फेल्योर के सभी मरीजों का उपचार दवा और परहेज द्वारा किया जाता हैं। कुछ मरीजों में अल्प डायलिसिस की आवश्यकता होती हैं।
क्रोनिक किडनी डिजीज – क्रोनिक किडनी फेल्योर में अनेक प्रकार के रोगों की वजह से किडनी की कार्यक्षमता क्रमश: महीनों या वर्षों में कम होने लगती हैं और दोनों किडनी धीरे-धीरे काम करना बंद कर देती हैं। वर्तमान चिकित्सा विज्ञान में क्रोनिक किडनी फेल्योर को ठीक या संपूर्ण नियंत्रण करने की कोई दवा उपलब्ध नहीं हैं।
किडनी ट्रांसप्लांट में ब्लड ग्रुप का महत्व
ऐसा भ्रम माना जाता हैं कि सिर्फ परिवार के सदस्य ही किडनी डोनेट कर सकते हैं, वह भी उस स्थिति में जब उसका व मरीज का ब्लड ग्रुप एक हो, लेकिन अब स्थिति बदल चुकी हैं। आज एक ग्रुप वाले बी ग्रुप वाले व्यक्ति को भी किडनी डोनेट कर सकते हैं। सही और साफ शब्दों में कहा जाए तो किसी भी बल्ड ग्रुप का व्यक्ति अब किडनी डोनेट कर सकता हैं। बता दें कि, डोनर के ब्लड ग्रुप वाले प्लाजमा सैल मरीज के शरीर में फिल्टर के जरिए प्लाज्मा परवर्तिक कर दिया जाता हैं जिसके बाद किडनी ट्रांसप्लांट हो सकती हैं, लेकिन इस प्रक्रिया में काफी खर्च आ जाता हैं जो आम व्यक्ति नहीं कर पाते हैं।आज चिकित्सा इतनी उन्नति कर चुके हैं कि दिमाल को छोड़कर शरीर के किसी अंग का ट्रांसप्लांट किया जा सकता हैं, बस शर्ते ये है कि डोनर उपलब्ध हो। उन्होंने बताया कि हाथ पांव से लेकर चेहरे तक का ट्रांसप्लांट संभव हैं, जिसके माध्यम से किसी वजह से बिगड़े हुए चेहरे को नया रूप दिया जा सकता हैं।
भारत में किडनी या अन्य अंगों के ट्रांसप्लांट के लिए सिर्फ डोनर ही नहीं पैसा भी बड़ी बाधा हैं, कई मामलों में परिवार के सदस्य किडनी या कोई दूसरा अंग डोनेट करने को तैयार हो जाते हैं, लेकिन जब ट्रांसप्लांट के खर्च और उसके बाद दवाओं के खर्च की बात आती हैं तो मरीज सर्जरी से इंकार कर देती हैं। साथ ही 80 से 85% मरीजों की ट्रांसप्लांट सर्जरी वित्तीय वजह से नहीं हो पाती और वह मौत के मुंह में चले जाचे हैं।
ट्रांसप्लांट के बिना किडनी का आयुर्वेदिक उपचार
कर्मा आयुर्वेदा भारत का प्रसिद्ध किडनी उपचार केंद्र हैं। सन् 1937 ये यहां किडनी के मरीजों का इलाज किया जा रहा हैं और आज इसे धवन परिवार की 5वीं पीढ़ी यानि डॉ. पुनीत धवन चला रहे हैं। कर्मा आयुर्वेदा में सिर्फ आयुर्वेदिक दवाओं से किडनी मरीजों को ठीक किया जाता हैं। वो भी डायलिसिस और ट्रांसप्लांट की सलाह के बिना। यह भारत के साथ-साथ एशिया के भी बेस्ट किडनी उपचार केंद्रो में माना जाता हैं। साथ ही डॉ. पुनीत धवन सफलतापूर्वक 35 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज कर चुके हैं।