आज लगभग 15 प्रतिशत अमेरीकी लोगों को क्रोनिक किडनी की बीमारियां हैं। प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और अवयवों के कम उपयोग के कारण दुनिया भर में संख्याएं बढ़ रही हैं। आज लोग एक प्रदूषित वातावरण में रह रहे हैं और ये एक अपर्याप्त जीवनशैली है जो किडनी से संबंधित बीमारियों के प्रमुख कारण के रूप में काम करती है। साथ ही मधुमेह और उच्च रक्तचार की तीव्र वृद्धि कर क्रोनिक किडनी की बीमारी वाले रोगियों की संख्य़ा को भी बढ़ावा दे रही है। अब बात आती है कि इसके लिए समाधान क्या है? विशेषज्ञों द्वारा पता चला है कि एकमात्र समाधान समय पर आपके स्वास्थ्य से जूड़े परिवर्तन का पता लगाने और किसी भी बदलाव को ध्यान में रखते हुए उचिक किडनी डाग्नोस्टिक परिक्षण करने के लिए है। आगे हम किडनी फेल्योर और उससे संबंधित परिक्षण की चर्चा करेगें। “किडनी डायग्नोस्टिक टेस्ट”
किडनी डायग्नोस्टिक परिक्षण:
आपकी रीढ़ की हड्डी के दोनों ओर स्थित दो किडनी आपके शरीर से अवांछिक सामग्री को खत्म करने के लिए काम करती है। कुछ बीमारियों और अपर्याप्त जीवनशैली या गलत खान-पान की आदतों के कारण किडनी का ये मुख्य कार्य असंतुलित हो सकता है। “किडनी डायग्नोस्टिक टेस्ट”
ये असंतुलन किडनी की क्षति के रूप में दर्शाया जाता है जो बाद में किडनी फेल्योर में बदल सकता है। जैसे की ऊपर बताया गया है कि किसी भी बदलाव को ध्यान में रखते हुए, आपको उचिक किडनी डायग्नोस्टिक परिक्षणों के लिए जाना होगा। अब सवाल ये उठता है कि ऐसा करने का सही समय क्या होगा? यदि आप वही सोच रहे हैं तो यहां जवाब है। नीचे उल्लिखित संकेतों या लक्षणों को ध्यान में रखते हुए सही उपचार और केडीटी के लिए जाएं।
लक्षण
- लगातार पेशाब आना
- उच्च रक्तचाप
- पेशाब में रक्त आना
- पेशाब के दौरान जलन या कठिनाई होना
- पेशाब के दौरान दर्द
- हाथों, पैरों या किसी अन्य हिस्से में सूजन “किडनी डायग्नोस्टिक टेस्ट”
किडनी डायग्नोस्टिक के प्रकार और वे कैसे सहायक होते हैं?
खून की जांच
खून की जांच, क्रिएटिनिन के स्तर को पता लगाने में मदद करता हैं जो निस्पंदन प्रक्रिया के दौरान किडनी से समाप्त हो होता है। क्रिएटिनिन का स्तर उम्र, जाति, ऊंचाई और वजन के हिसाब से भिन्न होता है। रक्त में क्रिएटिनिन का उच्च स्तर को इंगित करता है कि किडनी को नुकसान पहंचा है या नहीं।
इमेजिंग परिक्षण
इमेजिंग टेस्ट में किडनी के आकार और स्थिति में आसामान्याताओं का पता लगाने के लिए अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैन शामिल होते हैं। ये जांच पत्थरों या ट्यूमर का पता लगाने में भी मदद करते हैं जो आपकी किडनी के कामकाज को प्रभानित करने के लिए काम करते हैं। “किडनी डायग्नोस्टिक टेस्ट”
किडनी बायोप्सी
किडनी बायोप्सी में स्वास्थ्य विशेषज्ञ आपके किडनी के सेल का मुद्रीकरण करते हैं। ये परिक्षण आपकी किडनी के काम को प्रभावित करने विशिष्ट बीमारी का पता लगाने में दद करता है। ये नुकसान के स्तर को चिह्नित करने में भी मदद करता है। जांच के लिए किडनी बायोप्सी में किडनी से ऊतकों को लिया जाता है।
पेशाब की जांच
किडनी पेशाब के माध्यम से अपशिष्ट को समाप्त करती है। पेशाब की जांच से ये पता चला है कि यदि आपकी किडनी ठीक से काम कर रही है या नहीं। किडनी डायग्नोस्टिक टेस्ट में पेशाब का परिक्षण शामिल होता है जो प्रोटीन और क्रिएटिनिन के स्तर को जानने में मदद करता है। पेशाब में उच्च स्तर की प्रोटीन और क्रिएटिनिन का निम्न स्तर क्षतिग्रस्त किडनी का प्रतीक है। ऊपर वर्णित सभी जांच क्रोनिक किडनी डिजीज के समय पर और प्रांरभिक पहचान के लिए मदद करता है। सही उपचार का चयन करने से आपकी किडनी को पुनर्जीवित और बहार करने में मदद मिलेगी। अब क्रोनिक किडनी रोगों के लिए सही किडनी डायग्नोस्टिक परिक्षण और उपचार पर चर्चा करना महत्वपूर्ण है। “किडनी डायग्नोस्टिक टेस्ट”
ये उपचार आपको डायलिसिस और किडनी प्रत्यारोपण से दूर रखता है:
लोग अक्सर सोचते हैं कि किडनी फेल्योर का इलाज केवल किडनी प्रत्यारोपण या डायलिसिस जैसे उपचार से किया जा सकता है। ये स्थायी समाधान के रूप में काम नहीं करेगा। प्रमुख सर्जरी से जुड़े कई अन्य जटिलाताएं हैं। कर्मा आयुर्वेदा आपकी किडनी की क्षति या किड़नी फेल्योर के इलाज के लिए स्थायी और पर्याप्त समाधान प्रदान करता है। डॉ. पुनीत धवन शुद्ध प्राकृतिर उपचार प्रदान करेंगे जो बीमारी के गहरे कारण पर काम करते हैं और आपकी किडनी को स्थायी रूप से ठीक कर देंगे। “किडनी डायग्नोस्टिक टेस्ट”