किडनी पेशेंट अनीता रावत - कर्मा आयुर्वेदा

अल्कोहोल और किडनी रोग

dr.Puneet
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मरीज अनीता रावत जो नैनीताल की निवासी हैं। वह किडनी फेल्योर की गंभीर स्थिति से पीड़ित थी। अनीता को इस बीमारी में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था और रोगी का क्रिएटिनिन भी लगातार बढ़ता जा रहा था।

इलाज से पहले

  • उच्च क्रिएटिनिन स्तर – 7.04

आयुर्वेदिक इलाज के बाद

रोगी ने 2 महीने पेहले ही आयुर्वेदिक इलाज शुरू किया था और इन कुछ महीनों में ही उनमे काफी सुधार आने लगा। अब वह अपना हर काम करने में सक्षम हैं और शारीरिक तौर पर स्वस्थ महसूस कर रही हैं।

  • क्रिएटिनिन स्तर – 5.30

विश्लेषण:

रोगी बेहद अच्छे से आयुर्वेदिक उपचार का पालन करने के साथ-साथ आहार चार्ट और योगा का भी पालन किया हैं जिससे उनका क्रिएटिनिन स्तर काफी सुधार देखने को मिला हैं।

किडनी की बीमारी का कर्मा आयुर्वेदा से आयुर्वेदिक उपचार

आजकल गलत खान-पान की वजह से किडनी रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही हैं। किडनी की बीमारियां तब होती हैं जब किडनी डैमेज हो जाती हैं या इसे फंक्शन करने में कोई परेशानी आती हैं। वैसे ज्यादातर डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर या अन्य किसी लंबी बीमारी की वजह से किडनियां डैमेज होती हैं। किडनी का रोग होने पर इसका प्रभाव मरीज के दूसरे अंगों पर भी पड़ सकती हैं जैसे – नर्व डैमेज, हड्डियों की कमजोरी, कुपोषण आदि समस्याएं हो सकती हैं। किडनी की बीमारियों का अगर सही समय पर इलाज न किया जाए, तो किडनी पूरी तरह से डैमेज हो जाती हैं और काम करना बंद कर देती है। इस स्थिति में डायलिसिस की जरूरत पड़ती हैं।

कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल भारत में 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया था और तब से इसकी संख्या में वृद्धि होती जा रही हैं। आज इसे धवन परिवार की 5वीं पीढ़ी यानी डॉ. पुनीत धवन चला रहे हैं। हर साल हजारों किडनी रोगियों का इलाज करते हैं आ रहे हैं। कर्मा आयुर्वेदा में सिर्फ आयुर्वेदिक विश्वास करते हैं। साथ ही डॉ. पुनीत ने 35 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज करके उन्हें रोग से मुक्त किया हैं वो भी किडनी डायलिसिस या ट्रांसप्लांट के बिना। यहां किडनी रोगियों को आयुर्वेदिक दवाओं के साथ-साथ आहार चार्ट की सलाह भी दी जाती हैं। ये 100% नेचुरल हैं और इन आयुर्वेदिक दवाओं से कोई दुष्प्रभाव नहीं होता हैं।

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