किडनी पेशेंट अनीता रावत जी - कर्मा आयुर्वेदा

अल्कोहोल और किडनी रोग

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किडनी पेशेंट अनीता रावत जी - कर्मा आयुर्वेदा

मरीज का नाम अनीता रावत (उम्र 23) है। वह किडनी फेल्योर की गंभीर बीमारी से जूझ रही थी। रोगी की हालत इतनी गंभीर हो गई थी कि उन्हें किडनी ट्रांसप्लांट के लिए बोल दिया गया था।

आयुर्वेदिक इलाज के बाद

रोगी ने जब कर्मा आयुर्वेदा से आयुर्वेदिक इलाज शुरू किया था तब उनकी हालत बेहद नाजुक थी, लेकिन अब आयुर्वेदिक इलाज प्राप्त करने के बाद वह बिल्कुल स्वस्थ महसूस कर रही हैं। बता दें कि, कर्मा आयुर्वेदा में आने से पहले रोगी का क्रिएटिनिन लेवल – 7.5mg/dl  था लेकिन आयुर्वेदिक इलाज के बाद उनका क्रिएटिनिन लेवल घटकर – 2.47mg/dl पर पंहुच गया है। साथ ही रोगी को किडनी ट्रांसप्लांट से भी मुक्ति मिल गई है।

किडनी ट्रांसप्लांट के बाद भी आयुर्वेदिक उपचार

अक्सर हमें किडनी ट्रांसप्लांट से जुड़े असफल केस सुनने में आते हैं। किडनी डोनेशन, डायलिसिस, किडनी मैच न होना और कभी-कभी ऑपरेशन फेल होने जैसी समस्याएं काफी देखने को मिलती है। पिछले कुछ सालों में किडनी से जुड़ी बीमारियों से होने वाली मौतों में काफी इजाफा हुआ है। मुश्किल यह है कि, लोग किडनी से जुडी समस्याओं के लक्षण समझ नहीं पाते हैं और डॉक्टर के पास तब जाते हैं जब समस्या बहुत अधिक बढ़ चुकी होती है। जिससे बचने के अवसर बिल्कुल कम हो चुके होते है। हर साल हमारे देश में लाखों की संख्या में मरीज किडनी फेल्योर की समस्या से जूझ रहे हैं।

बता दें कि, आयुर्वेद एकमात्र ऐसा उपचार है जिसमें डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट के बिना इलाज किया जाता है। आयुर्वेदा 5 हजार वर्ष पहले भारत में शुरू हुआ था। आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति लंबे जीवन का विज्ञान है और दुनिया में स्वास्थ्य की देखभाल की सबसे पुरानी प्रणाली है जिसमें औषधि और दर्शन शास्त्र दोनों शामिल है। आयुर्वेद आपके शरीर का सही संतुलन प्राप्त करने के लिए वात, पित्त और कफ को सिमित करने पर निर्भर करता है। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों में पुनर्नवा, गोखरू, वरूण, कासनी और शिरीष जैसी आयुर्वेदिक दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है, जो कि किडनी मरीजों के स्वस्थ को ठीक करने में बहुत सहायता करती है। कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल में सिर्फ आयुर्वेदिक उपचार से किडनी रोगियों का इलाज किया जाता है।

भारत का प्रसिद्ध किडनी उपचार केंद्र कर्मा आयुर्वेदा, जहां किडनी की बीमारियों का आयुर्वेदिक इलाज किया जाता है। यह सन् 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया था और आज इसका नेतृत्व डॉ. पुनीत धवन कर रहे हैं। कर्मा आयुर्वेदा में सिर्फ आयुर्वेदिक उपचार पर भरोसा किया जाता है। साथ ही डॉ. पुनीत धवन ने सफलतापूर्वक और आयुर्वेदिक उपचार की मदद से 35 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज करके उन्हें रोग मुक्त किया है, वो भी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना। आयुर्वेदिक उपचार में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है जैसे पुनर्नवा, शिरीष, पलाश, कासनी, लाइसोरिस रूट और गोखरू आदि। यह जड़ी-बूटियां रोग को जड़ से खत्म करने में मदद करती है।

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