पेशेंट रंजीत जो दार्जिलिंग के रहने वाले हैं। वह किडनी फेल्योर की गंभीर समस्या से जूझ रहे थे। एलोपैथी डॉक्टर ने रोगी को डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दे दी थी। साथ ही इंसुलिन दिन में 64 यूनिट होता था। उन्हें इस बीमारी में अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था।
- पैरो में सूजन
- कमजोरी महसूस करना
- इंसुलिन 64 तक होना
- उच्च क्रिएटिनिन स्तर – 9.30
आयुर्वेदिक इलाज के बाद
रोगी के बेटे ने इनती दूर से आकर कर्मा आयुर्वेदा में अपने पिता का इलाज करवाया हैं और उनका यहां आना बेकार नहीं रहा हैं। जी हां, रोगी पहले से बेहतर महसूस कर रहे हैं और अब शारीरिक तौर पर भी फिट हैं। उन्हें डायलिसिस और ट्रांसप्लांट के साथ-साथ इंसुलिन से भी मुक्ति मिल गई।
- पैरों से सूजन
- कमजोरी न होना
- इंसुलिन बंद हो गया
- क्रिएटिनिन स्तर – 6.40
विश्लेषण:
कर्मा आयुर्वेदा में आयुर्वेदिक उपचार से किडनी मरीजों का इलाज किया जाता हैं और बता दें कि, डॉ. पुनीत धवन ने एक बार फिर किडनी मरीज को मौत के मुंह से बाहर निकाला हैं।
किडनी की बीमारी का आयुर्वेदिक उपचार
डायलिसिस खून शोधन यानी ब्लड डिटॉक्सिफाई करने की एक प्रक्रिया हैं। किडनी हमारे शरीर में मौजूद गंदगी को बाहर निकालती हैं। शरीर के अंगों को ठीक से काम करने और शरीर में जरूरी पदार्थ का सामंजस्य बिठाने के लिए किडनी जीवनपर्यंत काम करती हैं। इसके इसी महत्वपूर्ण काम की वजह से प्राकृति ने किडनी को ऐसा बनाया है कि थोड़ी बहुत खराबी आने के बावजूद ये अपना काम करती हैं और मनुष्य को खास परेशानी का अनुभव नहीं होता हैं, लेकिन जब किडनी 70-80% तक खराब हो जाती हैं। तब परेशानी के लक्षण दिखाई देने लगते हैं और अगर किडनी 80-90% तक खराब हो जाए तो डायलिसिस की जरूरत पड़ती हैं। साथ ही पेशाब हमारे शरीर में अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने का महत्वपूर्ण जरिया हैं। किडनी की कार्यक्षमता प्रभावित होने पर कम मात्रा में पेशाब बनता हैं जिसकी वजह से शरीर में तमाम अपशिष्ट पदार्थ जमा होने लगते हैं। इशकी वजह से थकान, सूजन, उल्टी, मतली और सांस संबंधी समस्याएं होने लगती हैं। किडनी डायलिसिस को हेमोडायलिसिस कहते हैं। मनुष्य के शरीर में दो किडनी होती हैं। ज्यादातर एक किडनी के पूरी तरह से फेल हो जाने पर ही हेमोडायलिसिस की जरूरत पड़ती हैं।
आयुर्वेदिक उपचार का किडनी डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट के बिना किडनी का इलाज किया जाता हैं। आयुर्वेदिक प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल करता हैं जो किसी भी रोग को पूरी तरह से ठीक करने के लिए बेहतरीन साबित हुआ हैं। भारत में प्रसिद्ध आयुर्वेद क्लीनिकों में से एक कर्मा आयुर्वेदा हैं। ये 1937 में स्थापित किया गया था। इसके नेतृत्व में एक अनुभवी आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. पुनीत धवन हैं। वह एलोपैथी उपचार के अभ्यास पर विश्वास नहीं करते हैं। यहां मरीजों का प्राकृतिक जड़ी-बूटियों के साथ इलाज किया जाता हैं। डॉ. पुनीत धवन ने 35 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज किया हैं। वो भी सिर्फ कर्मा आयुर्वेदा के आयुर्वेदिक उपचार और डॉ. पुनीत धवन द्वारा उचित आहार की सलाह की मदद से संभव हो पाया हैं।