जनकपुर (नेपाल) से आई मरीज का नाम रतन देवी शा है। वह किडनी फेल्योर की गंभीर स्थिति से जूझ रही थी। उनका क्रिएटिनिन लेवल लगातार बढ़ता जा रहा था और उन्हें किडनी की बीमारी के गंभीर लक्षणों का सामना करना पड़ रहा था जैसे –
- शरीर के कुछ हिस्सों में सूजन रहना
- शरीर में कमजोरी महसूस करना
- लगातार क्रिएटिनिन लेवल का बढ़ना
आयुर्वेदिक इलाज के बाद
कर्मा आयुर्वेदा से आयुर्वेदिक इलाज शुरू करने के बाद रोगी में बहुत से सुधार देखने को मिले हैं। वह पहले से स्वस्थ व तंदुरूस्त महसूस कर रहे हैं। साथ ही जहां उनका क्रिएटिनिन लेवल बेहद हाई था वहीं अब क्रिएटिनिन लेवल सामान्य पर आना शुरू हो गया है।
- शरीर की सूजन खत्म हुई
- कमजोरी महसूस न होना
- सामान्य क्रिएटिनिन लेवल – 1.17mg/dl
विश्लेषण:
कर्मा आयुर्वेदा ने एक बार फिर सिद्ध किया है कि आयुर्वेद की मदद से इस गंभीर बीमारी से जीता जा सकता है, क्रिएटिनिन लेवल को कम किया जा सकता है, डायलिसिस से छुटकारा पाया जा सकता है और किडनी की गंभीर बीमारी को खत्म किया जा सकता है।
किडनी की बीमारी में रोगी क्या खाएं –
शरीर के बाहर और अंदर से तंदुरूस्त रहना बेहद जरूरी है। शरीर के अंदरूनी हिस्से हर समय अपना काम करते रहते हैं। इनमें से किसी एक में जरासी भी खराबी आने पर सेहत बिगड़ने लगती है। वैसे हमारे शरीर में किडनी बेहद जरूरी अंग है। किडनी शरीर में विषैले पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने का काम करती है। यदि इसमें कोई गड़बड़ आ जाए, तो यह हानिकारक पदार्थ शरीर से बाहर नहीं निकल पाते हैं और जिसका असर सीधा लिवर और दिल पर भी पड़ता है। किडनी को स्वस्थ रखने और इससे जुड़ी परेशानियों को जल्दी ही ठीक करने के लिए आयुर्वेदिक उपचार और सही आहार की जरूरत पड़ती है। किडनी की बीमारी में रोगी को इन आहार का सेवन करना चाहिए जैसे -
- हर रोज आहार में सेब को जरूर शामिल करें, क्योंकि सेब फाइबर युक्त होता है और किडनी के लिए बेहद फायदेमंद है।
- दिन में एक बार अदरक की चाय पीने से किडनी को लाभ होता है।
- खाने के साथ प्याज का स्लाद लेना किडनी के लिए अच्छा होता है।
- लाल शिमला मिर्च भी किडनी के लिए फायदो से भरपूर होती है।
- दही का सेवन करने से किडनी में इंफेक्शन होने का खतरा दूर रहता है।
कर्मा आयुर्वेदा भारत का प्रसिद्ध किडनी उपचार केंद्र है। यहां किडनी की बीमारियों का आयुर्वेदिक इलाज किया जाता है। यह सन् 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया था और आज इसका नेतृत्व डॉ. पुनीत धवन कर रहे हैं। साथ ही डॉ. पुनीत धवन ने सफलतापूर्वक और आयुर्वेदिक उपचार की मदद से 35 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज करके उन्हें रोग मुक्त किया है, वो भी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना। आयुर्वेदिक उपचार में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है जैसे पुनर्नवा, शिरीष, पलाश, कासनी, लाइसोरिस रूट और गोखुर आदि शामिल है। यह जड़ी-बूटियां रोग को जड़ से खत्म करने में मदद करती है।