रोगी का नाम श्री. एन.के. जैन जो रोहिणी दिल्ली के रहने वाले हैं। वह किडनी फेल्योर की गंभीर स्थिति से जूझ रहे थे। उनका क्रिएटिनिन लेवल लगातार बढ़ता जा रहा था। रोगी को नेफ्रोलॉजिस्ट डॉक्टर ने कह दिया था कि क्रिएटिनिन कभी कम नहीं होगा, बढ़ता ही चला जाएंगा। इसके 1 महीने बाद आपको डायलिसिस करवाना ही पड़ेगा।
इलाज से पहले
- स्किन पर खुजली होना
- कमजोरी आना
- हाई क्रिएटिनिन लेवल – 5.23
- हाई यूरिया लेवल – 66
आयुर्वेदिक इलाज के बाद
कर्मा आयुर्वेदा के आयुर्वेदिक उपचार के बारे में पता चलते ही रोगी ने तुरंत अपना इलाज शुरू कर दिया और आज रोगी बिल्कुल ठीक हैं। वह अपना हर काम करने भी सक्षम हैं। साथ ही रोगी अब शारीरिक तौर पर भी फिट हैं।
- खुलजी खत्म हुई
- कोमजोरी न होना
- क्रिएटिनिन लेवल – 3.64
- यूरिया लेवल – 45
विश्लेषण:
रोगी काफी अच्छे लगकर आयुर्वेदिक किडनी उपचार का पालन किया हैं जैसे डॉ. पुनीत धवन ने बताया था वैसे ही आहार चार्ट के साथ-साथ योगा का भी पालन किया हैं। जिसकी वजह से रोगी में बेहद जल्दी से सुधार आ रहा हैं।
एटिनिन लेवल कम करने के लिए आयुर्वेदिक उपचार
क्रिएटिनिन एक मेटाबोलिक पदार्थ हैं। ये भोजन को ऊर्जा में बदलने के लिए सहायता करता हैं और टूट कर क्रिएटिनिन में बदल जाता हैं। दूसरे शब्दों में कहा जाए को जब मेटाबोलिज्म प्रक्रिया द्वारा भोजन उर्जा में बदलता हैं जो एक अन्य पदार्थ का क्रिएटिन का निर्माण होता हैं। ये क्रिएटीन विघटित होकर क्रिएटिनिन में बदल जाता हैं और तब किडनी इसे रक्त में छानकर यूरिन के माध्यम से बाहर निकाल देते हैं। किडनी कियेटिनन को छानकर रक्त से बाहर निकल जाता हैं, लेकिन हई क्रिएटिनिन लेवल होने पर ये प्रक्रिया बाधित हो जाती हैं और ये किडनी के समस्याग्रस्त होने के संकेत हो सकता हैं।
एक स्वस्थ आहार के साथ आयुर्वेदिक क्रिएटिनिन दवाओं और उपचार का दिर्घकालिक प्रभाव हो सकता हैं। वे आयुर्वेदिक क्रिएटिनिन दवाओं और प्राकृतिक तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं जो पूर्व-एसिहासिक रूप से जांच की जाती हैं। एशिया में सबसे अच्छे केंद्रो में से एक हैं जो किडनी फेल्योर के लिए आयुर्वेदिक उपचार प्रदान करते हैं वो कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल हैं। ये 1937 में किडनी और यकृत रोगियों का इलाज करते आ रहे हैं। क्लिनिक में सभी मरीजों का अपर्याप्त जड़ी-बूटियों और कार्बनितद खुराक से बनी दवाओं के साथ अच्छी तरह से स्वस्थ कर देते हैं।