टिहरी (उत्तराखंड) से आई रोगी का नाम श्रीमती सुरेश राणा है। वह क्रोनिक किडनी फेल्योर की बीमारी से पीड़ित थी। उन्हें इस बीमारी में कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। उनका ब्लड प्रेशर भी हाई था और बढ़ते क्रिएटिनिन के चलते उन्हें डायलिसिस करवाना पड़ रहा था।
आयुर्वेदिक इलाज के बाद
मात्र 1 महीने पहले रोगी ने कर्मा आयुर्वेदा से आयुर्वेदिक इलाज शुरू किया था और आज वह बिल्कुल स्वस्थ महसूस कर रही हैं। आयुर्वेदिक इलाज करवाने से पहले उनका क्रिएटिनिन स्तर – 8mg/dl था और अब इलाज के बाद क्रिएटिनिन स्तर घटकर – 6.05mg/dl पर पंहुच गया है। साथ ही रोगी डायलिसिस की दर्द भरी प्रक्रिया से भी बाहर है।
विश्लेषण:
श्रीमती सुरेश जी ने मात्र 1 महीने पहले कर्मा आयुर्वेदा से आयुर्वेदिक इलाज शुरू किया था और आज वह बिल्कुल स्वस्थ हैं। ऐसा सिर्फ कर्मा आयुर्वेदा की आयुर्वेदिक दवाओं और डॉ. पुनीत धवन द्वारा दिए गए आहार चार्ट का पालन करने से संभव हो पाया है।
क्रोनिक किडनी डिजीज का आयुर्वेदिक उपचार
किडनी मानव शरीर का एक अहम अंग है, किडनी की खराबी किसी गंभीर बीमारी या मौत का करण भी बन सकती है। किडनी की रचना बड़ी अटपटी है और इसके कार्य भी अत्यंत जटिल है। किडनी के दो प्रमुख कार्य हैं- रक्त का शुद्धिकरण करना और शरीर से हानिकारक अपशिष्ट उत्पादों को बाहर निकालना। साथ ही किडनी शरीर में तरल पदार्थ और खनिजों का संतुलन बनाए रखती है।
क्रोनिक किडनी डिजीज यानी सी.के.डी ऐसी किडनी की बीमारी है जिसमें दोनों किडनियों को खराब होने में महीनों या सालों तक का समय लगता हैं। शुरुआत में दोनों किडनियों की कार्यक्षमता धीरे-धीरे कम होती जाती है, जिसके कारण इस बीमारी के लक्षण नजर नहीं आते। लेकिन जैसे-जैसे किडनी ज्यादा खराब होने लगती है, वैसे-वैसे ही मरीज की तकलीफ भी बढ़ती जाती है।
कर्मा आयुर्वेदा भारत के प्रसिद्ध किडनी उपचार केंद्रो में से एक है। यह सन् 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया था और आज इसका नेतृत्व डॉ. पुनीत धवन द्वारा किया जा रहा है। कर्मा आयुर्वेदा में सिर्फ आयुर्वेदिक उपचार का इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही डॉ. पुनीत धवन ने सफलतापूर्वक और आयुर्वेद की मदद से 35 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज करके उन्हें रोग मुक्त किया है, वो भी डायलिसिस और ट्रांसप्लात के बिना। कर्मा आयुर्वेदा में आयुर्वेदिक दवाओं के साथ आहार चार्ट और योग करने की सलाह भी दी जाती है।