किडनी फेल्योर के लिए आयुर्वेदिक दवाएं काफी फायदेमंद साबित हुई हैं। कर्मा आयुर्वेदा भारत के प्रसिद्ध अस्पताल में से एक हैं। जिसमें आयुर्वेदिक दवाओं से लाखों किडनी रोगियों का आयुर्वेदिक इलाज किया है। आयुर्वेदिक दवाएं 100% नेचुरल होती है और उससे कोई साइड इफेक्ट्स नहीं होता हैं। किडनी उपचार केंद्र कर्मा आयुर्वेदा, योग्य आयुर्वेदचार्य डॉ. पुनीत धवन के मार्गदर्शन में किडनी रोग के लिए सबसे ज्यादा सहायता प्रदान की हैं। कर्मा आयुर्वेदा में रोगियों को आयुर्वेदिक दवाओं के साथ डाइट चार्ट की भी सलाह दी जाती है।
किडनी फेल्योर
हमारे शरीर में बहुत से अहम अंग होते है, क्योंकि उनसे ही पूरे शरीर का सिस्टम सुचारू रूप से चलता है और इन्ही अंगों में से एक है किडनी। किडनी जो शरीर के अन्य अंगों की तरह बेहद अहम और नाजुक होती है। कडनी असंतुलित हो जाने पर पूरे शरीर की स्थिति बिगड़ जाती है, इसलिए इनका खास ध्यान रखना बेहद जरूरी है। अब जैसे-जैसे उन्नति होती जा रही है वैसे ही किडनी रोग से पीड़ित लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है, लेकिन बहुत सी छोटी-छोटी बातों को अपनाकर किडनी की बीमारी से बचाव किया जा सकता है।
किडनी का मुख्य कार्य शुद्धिकरण का होता है, लेकिन शरीर में किसी रोग की वजह से जब दोनों किडनी अपना कार्य करने में अक्षम हो जाती है तो इस स्थिति को हम किडनी फेल्योर कहते हैं।
किडनी फेल्योर के कारण
- पेशाब आने पर करने न जाना
- पानी कम मात्रा में पीना
- अधिक नमक का सेवन करना
- शुगर के इलाज में लापरवाही करना
- अधिक मात्रा में मांस काना
- पेन किलर दवाओं का सेवन करना
- हाई ब्लड प्रेशर
- धुम्रपान और शराब का पीना
किडनी फेल्योर के लक्षण
- जी मिचलाना और उल्टी आना
- भूख कम लगना
- थकावट और कमजोरी महसूस होना
- नींद न आना
- पेशाब की मात्रा कम होना
- सोचने-समझने की शक्ति कम होना
- मांसपेशियों में ऐंठन
- हाथ, पैरों और टखनों में सूजन
- शरीर में कमजोरी महसूस होना
- हार्ट में पानी जमा होने से छाती में दर्द होना
- हाई ब्लड प्रेशर जिसे कंट्रोल करना मुश्किल हो
किडनी फेल्योर से बचाव
आप सीकेडी की रोकथाम हमेशा नहीं कर सकते हैं, लेकिन उच्च रक्तचाप और मधुमेह को नियंत्रित करके किडनी रोग के खतरों को कम कर सकते हैं। अगर आपकी किडनी की गंभीर समस्या है तो इसके लिए आपको किडनी की गंभीर समस्या है तो इसके लिए आपको नियमित जांच करवानी चाहिए। सीकेडी का निदान शीघ्र करने पर इसे बढ़ने से रोका जा सकता है।
आहार – पौष्टिक आहार जिसमें बहुत से फल और सब्जियां, साबुत अनाज, बिना चर्बी वाला मांस या मछली शामिल करें। ये उच्च रक्तचाप को कम रखने में मदद करता है।
शारीरिक गतिविधि – नियमित शारीरिक व्यायाम रक्तचाप के लेवल को सामान्य बनाए रखने के लिए आदर्श माना जाता है। ये मधुमेह और ह्रदय रोग जैसी दीर्घकालीन बीमारियों को नियंत्रित करने में भी मदद करता है। प्रत्येक व्यक्ति को चाहिए कि वे अपनी उम्र, वजन और स्वास्थ्य के लिए अनुकूल व्यायाम करें। डॉ. पुनीत धवन से जरूर सलाह लें।
कुछ पदार्थों से बचें – शराब और ड्रग्स का सेवन न करें। लीड जैसी भारी धातुओं के साथ अधिक समय तक संपर्क में आने से बचें।