कर्मा आयुर्वेदा दिल्ली के प्रसिद्ध आयुर्वेदिक उपचार केंद्र में से एक हैं। ये 1937 से धवन परिवार द्वारा किडनी रोगियों का आयुर्वेदिक इलाज किया जाता है। आज इसे 5 पीढ़ी चला रही है यानी डॉ. पुनीत धवन इसके नेतृत्व में हैं। डॉ. पुनीत हर साल 30000 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज कर चुके हैं। साथ ही किडनी के मरीजों को आयुर्वेदिक दवाओं और प्राकृतिक जड़ू-बूटियों से किडनी मरीजों को ठीक किया जाता है। वो भी डायलिसिस और किडनी प्रत्यारोपण के सलाह दिए बिना।
किडनी फेल्योर
किडनी हमारे शरीर के बहुत से अहम काम करती है। वे शरीर का संतुलन बनाए रखती है अपशिष्ट पदार्थ और अतिरिक्त पानी को निकालती है। लाल रक्त कोशिकाओं को बनाने में मदद करती है और रक्तचाप को नियंत्रण करने में मदद करती है। जब किडनी फेल्योर होता है तो इसका मतलब है कि आपके किडनी क्षतिग्रस्त है। तब किडनी किसी भी महत्वपूर्ण कार्य को अच्छी तरह से नहीं कर सकती है। किडनी फेल्योर होने का मतलब है कि
- किडनी समारोह का 85-90% जाना
- किडनी को जिंदा रखने के लिए पर्याप्त काम नहीं करना
किडनी फेल्योर के लिए कोई इलाज नहीं है, लेकिन उपचार के साथ लंबा जीवन जीना संभव है। किडनी फेल्योर होने से और सही इलाज न मिलने से इंसान की मौत भी हो सकती है। किडनी फेल्योर के लोग काफी मुश्किल और दर्द के साथ जीवन जीते हैं।
कारण
किडनी में चोट, मधुमेह, उच्च रक्तचाप या अन्य विकार से किडनी क्षतिग्रस्त हो सकती है। हाई बल्ड प्रेशर और मधुमेह किडनी फेल्योर का सबसे बड़ा कारण है। वैसे किडनी फेल्योर रातोंरात नहीं होता है।
लक्षण
किडनी रोग आमतौर पर धीरे-धीरे खराब होता जाता हैं और इसके लक्षण तब तक दिखाई नहीं देते जब तक आपकी किडनी बुरी से तरह क्षतिग्रस्त न हो जाए। इस रोग के आखिरी स्टेज में रोग बढ़ जाता है। इसलिए लक्षणों की पहचान करना जरूरी होता है जैसे –
- मांसपेशियों में ऐंठन
- त्वचा पर खुजली
- मतली और उल्टी आना
- भूख न लगना
- पैरों और एडियों सूजन
- सांसों में कमी आना
- नींद न आना
- पेट दर्द
- पीठ दर्द
- दस्त
- बुखार
- लाल चकत्ते
इन लक्षणों में से एक या अधिक होने से किडनी की समस्या गंभीर हो सकती है। अगर आपके शरीर में ये लक्षणों दिखते हैं तो तुरंत डॉ. पुनीत धवन से इलाज शुरू करें।
आयुर्वेदिक उपचार
आयुर्वेद तन-मन और आत्मा के बीच का संतुलन बनाकर स्वास्थ्य में सुधार करता है। आयुर्वेद में न केवल उपचार होता बल्कि ये जीवन जीने का ऐसा तरीका सिखाता है जिसमें जीवन लंबा और खुशहाल होता है। आयुर्वेद के अनुसार शरीर में वात, पित्त और कफ जैसे तीनों मूल तत्वों के संतुलन से कोई भी बीमारी आप तक नहीं आ सकती है, लेकिन जब इनका संतुलन बिगड़ता है तो बीमारी शरीर पर हावी होने लगती है और आयुर्वेद में इन्ही तीनों तत्वों का संतुलन बनाया जाता है। साथ ही आयुर्वेद में रोग प्रतिरोध क्षमता विकसित करने पर बल दिया जाता है, क्योंकि ये किसी भी प्रकार का रोग न हो। आयुर्वेदिक दवाओं से किडनी की बीमारी के नीर्माण में प्रयुक्त सबसे आम जड़ी-बूटियों में पुनर्नवा, गोखुर, वरूण, कासनी और शिरीष जैसी किडनी की आयुर्वेदिक दवाईयों का इस्तेमाल किया जाता है। इन जड़ी-बूटियों में उच्च उपचार गुण है जो लक्षणों को कम करने और किडनी की बीमारी में बदलाव आते है। साथ ही आयुर्वेदिक दवाओं से कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है।