किडनी उपचार केंद्र कर्मा आयुर्वेदा जो आयुर्वेदिक दवाओं से किडनी रोगियों इलाज करते आ रहे हैं। आयुर्वेद प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और तकनीकों के उपयोग के साथ सभी प्रकार की शारीरिक बीमारियों के इलाज के लिए एक प्राचीन प्रथा माना जाता है। आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां किडनी को मजबूद बनाती है। आयुर्वेदिक इलाज में उपयोग किए जाने वाले सबसे सामान्य जड़ी-बूटियों में मिल्क, थिस्टल, एस्ट्रगुलस, लाइसोरिस रूट, पुनर्नवा, गोकशुर, वरुण, कासनी और शिरिष जड़ी-बूटियों में शामिल हैं। ये असभ्य जड़ी-बूटियों है और किडनी की कोशिकाओं को पुर्नर्जीनित करने और किडनी के विकास के प्रतिबंधित करने के लिए बड़े पैमाने पर काम करती है। एलोपैथिक दवाओं के विपरित आयुर्वेदिक दवाओं से किसी भी प्रकार का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। “किडनी फेल्योर उपचार के लिए पिंपरी और चिंचवड के बेस्ट डॉक्टर अस्पताल”
आयुर्वेदिक उपचार केंद्रो में से एक है पिंपरी और चिंचवड के बेस्ट किडनी उपचार केंद्र कर्मा आयुर्वेदा। ये 1937 में स्थापित किया गया था और आज इसते नेतृत्व में डॉ. पुनीत धवन हैं। जो डायलिसिस और किडनी प्रत्यारोपण के बिना किडनी रोगियों को ठीक करके रोग को जड़ से खत्म करते हैं। “किडनी फेल्योर उपचार के लिए पिंपरी और चिंचवड के बेस्ट डॉक्टर और अस्पताल”
किडनी फेल्योर
किडनी अतिरिक्त तरल पदार्थ, खनिज और कचरे को हटाने के द्वारा आपके खून को साफ करती हैं। ये भी हार्मोन बनाते हैं कि आपकी हड्डियों को मजबूत और आपको खून को स्वस्थ रख सकें, लेकिन अगर किडनी क्षतिगस्त हो रहे हैं। वो ठीक से काम नहीं करते। हानिकारक कचरा आपके शरीर में निर्माण कर सकते हैं। आपका रक्तचाप बढ़ सकता है। अपने शरीर को अतिरिक्त तरल पदार्थ रख सकता है और काफी लाल रक्त कोशिकाओं को नहीं बनाते हैं। इसे किडनी फेल्योर कहा जाता है। “किडनी फेल्योर उपचार के लिए पिंपरी और चिंचवड के बेस्ट डॉक्टर अस्पताल”
किडनी फेल्योर होने के लक्षण
- पेशाब उत्पादन कम हुआ
- तरल अवरोधन
- तंद्रा
- सांसों की कमी
- थकान
- जी मिचलाना
- सीने में दर्द या दबाव “किडनी फेल्योर उपचार के लिए पिंपरी और चिंचवड के बेस्ट डॉक्टर और अस्पताल”
किडनी फेल्योर के सामान्य कारण
- किडनी में रक्त प्रवाह बिगड़ा हुआ
- किडनी को नुकसान
- किडनी में पेशाब अवरोधन
- मधुमेह
- उच्च रक्तचाप
- ह्रदय को रूक जाना
- किडनी रोग
- यकृत रोग “किडनी फेल्योर उपचार के लिए पिंपरी और चिंचवड के बेस्ट डॉक्टर और अस्पताल”
किडनी रोगी का आहार और परहेज
- खाने में नमक का उपयोग कम से कम करें। नमक खाने से किडनी की बीमारी और ज्यादा बढ़ जाती है।
- खाने-पीने की चीजों में सफाई का पूरा ध्यान रखे। खुले में रखी सब्जिया या फलो को पहले अच्छे से धोये।
- मीट और नॉन वेज का सेवन कम से कम करे। मीट खाने वालो में किडनी रोग होने की संभावना अधिक होती है।
- सिगरेट या बीड़ी पीना बिल्कुल बंद कर दे। धुम्रपान करने से किडनी पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
- विटामिन-सी युक्त खाने और तरल पदार्थों का सेवन ज्यादा करे। लहसून और प्याज को सब्जियों में उपयोग जरूर करेँ। साथ ही उन्हें आप सलाद के रूप में भी खा सकते हैं। “किडनी फेल्योर उपचार के लिए पिंपरी और चिंचवड के बेस्ट डॉक्टर और अस्पताल”