रीढ़ की हड्डी के दोनों सिरों पर बीन के आकार के दो अंग होते हैं, जिन्हें किडनी या गुर्दा कहा जाता है। शरीर के रक्त का बड़ा हिस्सा किडनी से होकर गुजरता है। किडनी में मौजूद लाखों नेफ्रोन नलिकाएं रक्त को छानकर शुद्ध करती है। ये रक्त के अशुद्ध भाग को पेशाब के रूप में अलग भेजती है। किडनी रोग के शुरूआती अवस्था में पता नहीं चल पाता और ये इतना खतरनाक होता है कि बढ़कर किडनी फेल्योर का रूप ले लेता है। इसलिए किडनी समस्या के कारण और लक्षण जानना जरूरी है।
किडनी समस्या के कारण
किडनी की समस्या के लिए खासतौर पर दूषित खानपान और वातावरण जिम्मेदार माना जाता है। बहुत बार किडनी में परेशानी का कारण एंटीबायोटिक दवाओं का ज्यादा सेवन भी होता है। मधुमेह रोगियों को किडनी की शिकायत आम लोगों की तुलना में ज्यादा होती है। बढ़ता औद्योगीकरण और शहरीकरण भी किडनी रोग का कारण बन सकता है।
किडनी समस्या के लक्षण
- पेशाब कम या ज्यादा आना
- पेशाब में रक्त आना
- शरीर के कुछ अंगों पर सूजन
- थकान और कमजोरी
- ठंड ज्यादा लगना
- चकत्ते और खुजली
- मतली और उल्टी आना
- छोटी सांसे आना
किडनी फेल्योर को समय से पहचानना बेहद जरूरी होता है। इस रोग को पहचानने में देरी होने पर ये घातक रूप ले लेता है। अन्य किसी भी प्रकार की समस्या से बचे रहने के लिए डॉक्टर पुनीत धवन से जरूरी संपर्क करें।
किडनी फेल्योर उपचार के लिए मेरठ के बेस्ट आयुर्वेदिक उपचार
आयुर्वेद एक प्राकृतिक विज्ञान है जो कि कुछ जड़ी-बूटियों का उपयोग करके मन, शरीर और आत्मा का इलाज करती है। उपचार में प्रयुक्त सबसे आम जड़ी-बूटियों में पुनर्नवा, गोखुर, वरूण और शिरीष है। ये किडनी की बीमारी को ठीक करने और रोग के लक्षणों को खत्म करने में मदद करती है। साथ ही कर्मा आयुर्वेदा एशिका में आयुर्वेदिक केंद्रो में सबसे प्रसिद्ध नामों में से एक हैं।
ये 1937 में शुरू किया गया था। तब से कर्मा आयुर्वेदा द्वारा पूरे विश्व के कई किडनी रोगियों को ठीक कर रहे हैं। उन्होंने सफलतापूर्वक हजारों किडनी रोगियों के साथ अपने संपूर्ण प्राकृतिक और ऑरगेनिक उपचार तकनीक से किडनी इलाज किया है।