किडनी फेल्योर के लिए लखनऊ के बेस्ट डॉक्टर और अस्पताल

अल्कोहोल और किडनी रोग

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किडनी फेल्योर के लिए लखनऊ के बेस्ट डॉक्टर और अस्पताल

दिल्ली के प्रमुख किडनी सेंटर में से एक कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल है। जो कानपुर से लखनऊ तक के किडनी रोगियों को ठिक किया है। साथ ही कर्मा आयुर्वेदा 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया था। आयुर्वेदिक दवा 100% नेचुरल और प्राकृतिक होती है। जिससे हमें कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है ये एकदम प्राकृतिक इलाज है। किडनी फेल्योर के लिए लखनऊ के बेस्ट डॉक्टर और अस्पताल

किडनी फेल्योर

हमारी किडनी शरीर में संतुलन बने रखने के कई कार्यों का निष्पादन करती है। वे अपशिष्ट उत्पादों को फिल्टर करके पेशाब द्वारा बाहर निकल जाते है और निष्कासन करते हैं। वे शरीर में पानी की मात्रा, सोडियम, पोटेशियम और कैल्शियम की मात्रा को संतुलित करते हैं। वह अतिरिक्त अम्ल एंव क्षार निकालने में मदद करती है जिससे शरीर में एसिड और क्षार का संतुलन बना रहता है।

शरीर में किडनी का मुख्य कार्य खून का शुद्धिकरण करना है। जब बीमारी के कारण दोनों किडनी अपना सामान्य कार्य नहीं कर सके, तो किडनी की कार्यक्षमता कम हो जाती है। जिसे हम किडनी फेल्योर कहते हैं। किडनी फेल्योर के लिए लखनऊ के बेस्ट डॉक्टर और अस्पताल

किडनी फेल्योर का निदान

रक्त में क्रिएटिनिन और यूरिया की मात्रा की जांच से किडनी की कार्यक्षमता की जानकारी मिलती है, क्योंकि किडनी की कार्यक्षमता शरीर की आवश्यकता से अधिक होता है। इसलिए अगर किडनी की बीमारी से थोड़ा नुकसान हो जाए, तो भी खून के परिक्षण में कई त्रुटि देखने को नहीं मिलती है, लेकिन जब रोगों के कारण दोनों किडनी 50% से अधिक खराब हो गई हो, तभी रक्त में क्रिएटिनिन और यूरिया की मात्रा सामान्य से अधिक पाई जाती है। “किडनी फेल्योर के लिए लखनऊ के बेस्ट डॉक्टर और अस्पताल”

किडनी खराब होने से किडनी फेल्योर हो सकता है

किसी व्यक्ति की दोनों स्वस्थ किडनी में से एक किडनी खराब हो गई हो या उसे शरीर से किसी कारणवश निकाल दिया गया हो तो भी दूसरी किडनी अपनी कार्यक्षमता को बढ़ाते हुए शरीर का कार्य पूर्ण रूप से कर सकती है। किडनी फेल्योर के लिए लखनऊ के बेस्ट डॉक्टर और अस्पताल

किडनी फेल्योर के दो मुख्य प्रकार है।

एक्यूट किडनी फेल्योर और क्रोनिक किडनी फेल्योर। इन दो प्रकार की किडनी फेल्योर के बीच का अंतर स्पष्ट मालूम होना चाहिए।

एक्यूट किडनी फेल्योर

एक्यूट किडनी फेल्योर में सामान्य रूप से काम करती दोनों किडनी के खराब होने पर ही किडनी फेल्योर हो सकता है। विभिन्न रोगों के कारण नुकसान होने के बाद अल्प अवधि में ही काम करना कम या बंद कर देती है। अगर इस रोग का तुरन्त सही इलाज किया जाए, तो थोड़े समय में ही किडनी संपूर्ण रूप से काम करने लगती है और बाद में मरीज को दवाई या परहेज की बिल्कुल जरूरत नहीं रहती है। एक्यूट किडनी फेल्योर के सभी मरीजों का उपचार दवा और परहेज द्वारा किया जाता है। कुछ मरीजों में अल्प डायलिसिस की आवश्यकता होती है।  “किडनी फेल्योर के लिए लखनऊ के बेस्ट डॉक्टर और अस्पताल”

क्रोनिक किडनी फेल्योर

क्रोनिक किडनी फेल्योर में अनेक प्रकार के रोगों के कारण किडनी की कार्यक्षमता महीनों या वर्षो में कम होने लगती है और दोनों किडनी धीरे-धीरे काम करना बंद कर देती है। वर्तमान चिकित्सा विज्ञान में क्रोनिक किडनी फेल्योर को ठीक संपूर्ण नियंत्रण करने की कोई दवा उपलब्ध नहीं है। साथ ही क्रोनिक किडनी फेल्योर के सभी मरीजों का उपचार दवा, परहेज और नियमित परिक्षण द्वारा किया जाता है। शुरू में उपचार हैतु कमजोर किडनी की कार्यक्षमता को बचाए रखना, किडनी फेल्योर के लक्षणों को काबू में रखना और संभावित खतरों की रोकथाम करना है। उपचार का उद्देश्य मरीज के स्वास्थ्य को संतोषजनक रखते हुए डायलिसिस की अवस्था को यथासंभव टालना है। किडनी ज्यादा खराब होने पर सही उपचार के बावजूद रोग के लक्षण बढ़ते जाते हैं और रक्त की जांच में क्रिएटिनिन और यूरिया की मात्रा अधिक बढ़ जाती है, ऐसे मरीजों में सफल उपचार के विकल्प सिर्फ डायलिसिस और किडना प्रत्यारोपण है। जब दोनों किडनी 50% से अधिक खराब हो गई हो, तब ही किडनी फेल्योर का निदान हो सकता है।  जूझ रहे हैं क्रोनिक किडनी डिजीज से तो करवाए आयुर्वेदिक इलाज। “किडनी फेल्योर के लिए लखनऊ के बेस्ट डॉक्टर और अस्पताल”

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