किडनी रोगी उच्च रक्तचाप को कैसे करें काबू?

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किडनी रोगी उच्च रक्तचाप को कैसे करें काबू?

उच्च रक्तचाप क्या है?

उच्च रक्तचाप एक गंभीर समस्या है, इस समस्या को हाइपरटेंशन या हाई ब्लड प्रेशर के नाम से भी जाना जाता है। हमारा दिल धड़कते समय धमनियों के जरिए पूरे शरीर में रक्त संचार करता है, उस दौरान रक्त जिस दबाव के साथ रक्त वाहिकाओं (Vessels) की दीवारों से टकराता है, उस दबाव को रक्तचाप या हाइपरटेंशन कहा जाता है। जब हमारा दिल रक्त रक्त प्रवाह करने के लिए सिकुड़ता है, उस समय रक्त प्रवाह का दबाव सबसे ज्यादा होता है, इस दबाव के माप को प्रंकूचक (सिस्टोलिक) दबाव कहा जाता है। जब दिल रक्त प्रवाह करने के बाद आराम की स्थिति में आता है, उस समय रक्त का दबाव बहुत कम होता है, इस रक्त दबाव माप को प्रसारक (डायस्टोलिक) दबाव कहा जाता है। वयस्कों के लिए सामान्य रक्तचाप 120/80 mmHg माना जाता है। आम तौर पर 140/90 mmHg से अधिक रक्तचाप को वयस्कों के लिए उच्च माना जाता है और 90/60 mmHg को कम। वर्तमान समय में खराब दिनचर्या के कारण लोगो को उच्च रक्तचाप की समस्या होना आम बात होती जा रही है। उच्च रक्तचाप की समस्या कोई आम बात नहीं है, इसके कारण आपकी किडनी भी खराब हो सकती है।

उच्च रक्तचाप होने के कारण

उच्च रक्तचाप की समस्या आपकी गलत आदतों के कारण होती है, इसके होने के पीछे कोई खास कारण नहीं है। बढ़ती उम्र के साथ-साथ भी उच्च रक्तचाप की समस्या हो जाती है, जो वर्तमान समय में आम बात हो चली है। उच्च रक्तचाप होने के पीछे निम्नलिखित कारण माने जाते हैं -

  • धूम्रपान करना
  • मोटापा या लगातार वजन बढ़ता
  • शारीरिक गतिविधियां ना करना
  • आहार में नमक अधिक मात्रा
  • शराब का अधिक करना
  • मानसिक और शारीरिक तनाव
  • बढ़ती उम्र
  • रक्त से जुडी कोई अन्य समस्या
  • वंशानुगत
  • किडनी से जुड़ी कोई समस्या
  • किडनी फेल्योर

उच्च रक्तचाप से ऐसे होती है ‘किडनी खराब’

उच्च रक्तचाप के कारण वैसे तो बहुत सी समस्याएं उत्पन्न हो सकती है, लेकिन इसके कारण “किडनी खराब” होना सबसे गंभीर समस्या है। किडनी खराब होने के वैसे तो बहुत से कारण होते हैं, लेकिन उच्च रक्तचाप किडनी खराब होने का सबसे बड़ा कारण हैं। उच्च रक्तचाप की समस्या होने पर रक्त में सोडियम की मात्रा अधिक हो जाती है, जिससे रक्त में दबाव बढ़ने लगता है। सोडियम युक्त रक्त को शुद्ध करने के दौरान किडनी पर दबाव पड़ता है, जिससे उसके फिल्टर्स खराब हो जाते हैं। किडनी के फिल्टर्स खराब हो जाने के कारण रक्त में विषाक्त तत्वों की मात्रा बढ़ने लगती है, जिससे किडनी पर और अधिक दबाव पड़ने लगता है और परिणामस्वरूप किडनी खराब हो जाती है।

किडनी रोगी इस प्रकार करें, उच्च रक्तचाप को नियंत्रित

किडनी रोगी को हमेशा अपने रक्तचाप को काबू में रखना चाहिए, क्योंकि रक्तचाप बढ़ने के कारण रोगी को गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ सकता हैं। उच्च रक्तचाप को काबू में करने के लिए किडनी रोगी इन घरेलु उपायों को अपना सकते हैं। हाँ, निम्नलिखित उपायों को अपनाने से पहले आप चिकित्सक की सलाह जरूर लें।

  • जब आपको हाइपरटेंशन की समस्या हो तो, आप आधा गिलास मामूली गर्म पानी में एक चम्मच काली मिर्च पाउडर एक चम्मच घोलकर 2-2 घंटे के अंतराल पर पिये।
  • तरबूज के बीज के अंदर का हिस्सा और खसखस अलग-अलग पीसकर बराबर मात्रा में मिलाकर रख लें। उच्च रक्तचाप रोगी तैयार इस चूर्ण का रोज सुबह एक चम्मीच सेवन करें।
  • उच्च रक्तचाप को जल्दी नियंत्रित करने के लिए आप आधा गिलास पानी में आधा नींबू निचोड़कर 2-2 घंटे के अंतर से पीते रहें, इससे आपका उच्च रक्तचाप जल्द ही काबू में आने लगेगा।
  • पांच तुलसी के पत्ते तथा दो नीम की पत्तियों को पीसकर 20 ग्राम पानी में घोलकर खाली पेट सुबह पिएं। 15 दिन में लाभ नजर आने लगेगा।
  • इस गंभीर समस्या से जूझने वाले व्यक्ति को चोकर युक्त आटे का सेवन करना चाहिए। इसके लिए आप गेहूं व चने के आटे को बराबर मात्रा में लेकर बनाई गई रोटी खूब चबा-चबाकर खाएं, आटे से चोकर न निकालें।
  • उच्च रक्तचाप होने पर सिर्फ ब्राउन चावल का ही सेवन करना चाहिए। इस चावल में नमक और कोलेस्ट्रोल की मात्रा बहुत कम होती है। यह हाई ब्लड प्रेशर रोगी के काफी फायदेमंद हैं
  • लहसुन के सेवन से उच्च रक्तचाप के डायलोस्टिक और सिस्टोलिक सिस्टम में राहत मिलती है। इसलिए उच्च रक्तचाप रोगी को रोजाना खाली पेट एक लहसुन की कली निगलनी चाहिए। इसके अलावा लहसुन में एलिसीन होता है, जो नाइट्रिक ऑक्साइड के उत्पादन को बढ़ाता है और मांसपेशियों को आराम पहुंचाता है।
  • आंवला में विटामिन सी होता है। यह रक्त संचार को दुरुस्त करने में मदद करता हैं साथ ही कोलेस्ट्रॉल को भी कंट्रोल में रखता है।
  • मूली एक साधारण सब्जी है, पर इसे खाने से ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है। इसे पकाकर या कच्चा खाने से बॉडी को मिनरल्स व सही मात्रा में पोटेशियम मिलता है, जो रक्त से सोडियम निकालने में मदद करता है। मूली के सेवन से रक्तचाप नियंत्रण में रहता है। मूली किडनी रोगी के लिए काफी मददगार होती है। यह किडनी को साफ़ करती है, साथ ही यह किडनी स्टोन से भी रहत दिलाती है।
  • तिल का तेल और चावल की भूसी को एक साथ खाने से उच्च रक्तचाप नियंत्रण में रहता है। यह हाइपरटेंशन के मरीजों के लिए भी लाभदायक होता है। माना जाता है कि यह ब्लड प्रेशर कम करने वाली अन्य औषधियों से ज्यादा बेहतर होता है।
  • अलसी में एल्फा लिनोनेलिक एसिड काफी मात्रा में पाया जाता है। यह एक प्रकार का महत्वपूर्ण ओमेगा - 3 फैटी एसिड है। कई स्टडीज में भी पता चला है कि जिन लोगों को हाइपरटेंशन की शिकायत होती है, उन्हें अपने भोजन में अलसी का इस्तेमाल शुरू करना चाहिए। इसमें कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम होती है और इसे खाने से ब्लड प्रेशर भी कम हो जाता है
  • इलाइची का नियमित सेवन करने से से ब्लड प्रेशर प्रभावी ढंग से कम होता है। इसे खाने से शरीर को एंटीऑक्सीडेंट मिलते हैं। साथ ही, यह रक्त संचार को दुरुस्त करता है।
  • नियमित प्याज खाने से कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण में रहता है। इसमें क्योरसेटिन होता है। यह एक ऐसा ऑक्सीडेंट फ्लेवेनॉल है, जो दिल को बीमारियों से बचाता है। कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण नियंत्रण में होने से उच्च रक्तचाप की समस्या कम होने लगती है।
  • दालचीनी के सेवन से ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है। दालचीनी में एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है यह ब्लड सर्कुलेशन को सुचारू रखता है।
  • सौंफ, जीरा, शक्‍कर तीनों बराबर मात्रा में लेकर पाउडर बना लें। एक गिलास पानी में एक चम्मच मिश्रण घोलकर सुबह-शाम पिने से रक्तचाप काबू में रहेगा।
  • नमक उच्च रक्तचाप बढाने वाला प्रमुख कारण होता है। इसलिए आपको नामक का सेवन बहुत कम करना चाहिए, आप सेंधा नमक का सेवन कर सकते हैं।
  • उच्च रक्तचाप रोगियों के लिए पपीता भी बहुत लाभ करता है, इसे प्रतिदिन खाली पेट चबा-चबाकर खाएं।
  • उच्च रक्तचाप का एक प्रमुख कारण होता है रक्त का गाढ़ा होना। रक्त गाढ़ा होने से उसका प्रवाह धीमा हो जाता है। इससे धमनियों और शिराओं में दवाब बढ जाता है। इस समस्या से निजात पाने के लिए आप लहसुन का सेवन कर सकते हैं।
  • समाज में तुलसी और नीम का स्थान सबसे अलग है। एक तरफ जहाँ तुलती पूजनीय है और नीम सभी बिमारियों के लिए रामबाण है, यह दोनों मिलकर उच्च रक्तचाप की समस्या से निदान दिलाते हैं। कुछ तुलसी के पत्ते और दो नीम की पत्तियों को पीसकर 20 ग्राम पानी में घोलकर खाली पेट सुबह पिएं। 15 दिन में ही आपका रक्तचाप नियंत्रण में आने लगेगा।
  • खराब कोलेस्ट्रोल धमनियों की दीवारों पर प्लेक यानी कि कैल्शियम युक्त मैल पैदा करता है, जिससे रक्त के प्रवाह में अवरोध उत्पन्न हो जाता है, जिससे उच्च रक्तचाप की समस्या होने लगती है। अदरक में बहुत हीं ताकतवर एंटीओक्सीडेट्स होते हैं जो कि बुरे कोलेस्ट्रोल को नीचे लाने में काफी असरदार होते हैं। अदरक से आपके रक्तसंचार में भी सुधार होता है, धमनियों के आसपास की मांसपेशियों को भी आराम मिलता है जिससे कि उच्च रक्तचाप नीचे आ जाता है।

उच्च रक्तचाप होने पर इन बातों का भी रखें ध्यान

  • वजन कम करें
  • आहार में नमक की मात्रा कम करें
  • योग अपनाएं
  • शारीरिक गतिविधियाँ करें
  • शराब का सेवन ना करें
  • धुम्रपान से बचें
  • तनाव ना लें
  • खानपान का खास ख्याल रखें

इन सब्जियों का करें सेवन

  • काले
  • शलजम
  • पालक
  • चुकंदर
  • स्विस चर्ड
  • लौकी
  • कच्चा पपीता
  • शकरकंद
  • पत्ता गोभी
  • फूलगोभी
  • गाजर
  • लहसुन

इन फलों का करें सेवन

  • सेब
  • पपीता
  • नाशपाती
  • अमरूद
  • ब्लूबेरी
  • केला
  • ब्लूबेरी

इन चीजों का ना करें सेवन

  • रेड मीट
  • उच्च नमक
  • फ्रोज़न खाना
  • अचार
  • डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ
  • चीनी
  • समुद्री आहार (sea food)
  • प्रोस्सेड फूड
  • शराब
  • सूअर का मांस
  • पैक सूप
  • पनीर
  • कॉफ़ी
  • शीतल पेय
  • सॉस
  • सोडा

कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार

किडनी खराब होने पर उसे पहले की तरह ठीक करना बहुत ही मुश्किल काम होता है। आयुर्वेद की सहायता से खराब किडनी को फिर से ठीक किया जा सकता है। आयुर्वेद किसी चमत्कार से कम नहीं है जो काम एलोपैथी उपचार नहीं कर सकता उसे आयुर्वेद बड़ी आसानी से करने की ताक़त रखता है। “कर्मा आयुर्वेदा” किडनी फेल्योर का आयुर्वेद की मदद से सफल उपचार करता है। कर्मा आयुर्वेदा बिना किसी डायलिसिस और बिना किडनी ट्रांसप्लांट के ही खराब किडनी को ठीक करता है।

वर्ष 1937 में कर्मा आयुर्वेदा की नीव धवन परिवार द्वारा रखी गयी थी तभी से कर्मा आयुर्वेदा किडनी फेल्योर के रोगियों को इस जानलेवा बीमारी से छुटकारा दिलाता आ रहा है। वर्तमान समय में डॉ. पुनीत धवन कर्मा आयुर्वेद की बागडोर को संभाल रहे है। डॉ. पुनीत धवन पुर्णतः आयुर्वेद पर ही विश्वास करते हैं और आयुर्वेद की मदद से किडनी से जुड़ी बीमारी का निदान करते है। डॉ. पुनीत ने अभी तक 35 हजार से भी ज्यादा रोगियों को किडनी फेल्योर की जानलेवा बीमारी से छुटकारा दिलवाया है, वो भी बिना डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट किये।

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