स्ट्रॉबेरी का हर कोई दीवाना है, हर उम्र के लोग स्ट्रॉबेरी खाना पसंद करते हैं। स्ट्रॉबेरी का नाम सुनते ही सबके मुँह में पानी आने लगता है। स्ट्रॉबेरी का सेवन कई रूपों में किया जा सकता है, आप इसे सीधा ही खा सकते हैं, सलाद के रूप में ले सकते हैं, जूस के रूप में सेवन कर सकते हैं, दूध के साथ शेक बना सकते हैं, आइसक्रीम बना सकते हैं, केक या कूकीज में डालकर बेक कर सकते हैं। स्ट्रॉबेरी का इस्तेमाल दवाओं के निर्माण में भी किया जाता है। यह देखने में भले ही छोटी होती है लेकिन यह बहुत ही गुणकारी है।
स्ट्रॉबेरी के पोषक तत्व :-
स्ट्रॉबेरी के अंदर बहुत से पोषक तत्व होते हैं, जो हमारे शरीर के लिए बहुत ही उपयोगी है। इसके सेवन से हमें गठिया, कैंसर, दिल संबंधी रोग, पीलिया जैसी कई बीमारियों से छुटकारा मिलता है। साथ ही स्ट्रॉबेरी रक्त को शुद्ध कर चयापचय (Metabolism) को ठीक करने में मदद करती है। इसमें काफी पोषक तत्व होते हैं, जो हमारे शरीर के विकास के लिए काफी महत्वपूर्ण है। स्ट्रॉबेरी में पाए जाने वाले गुण निम्नलिखित है। नीचे बताए गए स्ट्रॉबेरी के गुण, एक कप स्ट्रॉबेरी यानि 166 ग्राम्स के आधार पर है -
- कैलोरीज : 53
- प्रोटीन : 1.11 ग्राम
- कार्बोहाइड्रेट्स : 12.75 ग्राम
- डाइटरी फाइबर : 3.3 ग्राम
- कैल्शियम : 27 एमजी
- आयरन : 0.68 एमजी
- मैग्नीशियम : 22 एमजी
- फॉस्फोरस : 40 एमजी
- पोटेशियम : 254 एमजी
- विटामिन C: 97.6 एमजी
- फोलेट : 40 मइक्रोग्राम्स
- विटामिन A : 20 इंटरनेशनल यूनिट्स
स्ट्रॉबेरी रखें रोगों से दूर :-
स्ट्रॉबेरी हमें कई रोगों से दूर रखती है। इसके पोषक तत्व आपको कुछ ऐसे रोगों से बचा कर रखते हैं, जिनकी चपेट में आने से किडनी फेल्योर जैसी गंभीर बीमारी होने का खतरा रहता है। स्ट्रॉबेरी आपको निम्नलिखित बीमारियों से बचा कर रखती है, जिनके होने से किडनी खराब हो सकती है-
मधुमेह –
स्ट्रॉबेरी मधुमेह के रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद है। स्ट्रॉबेरी का ग्लाइसेमिक इंडेक्स 40 होता है, इसलिए मधुमेह रोगी इसे अपने आहार में शामिल कर सकते हैं। स्ट्रॉबेरी, मधुमेह रोगी के रक्त शर्करा स्तर और लिपिड प्रोफाइल स्तर को नियंत्रित करने में सहायता करती है। स्ट्रॉबेरी में एंटीआक्सीडेंट तत्व और एलेगिक एसिड पाया है, जो स्टार्च युक्त आहार को पचाने में मदद करते है। स्ट्रॉबेरी टाइप 2 मधुमेह रोगियों के लिए लाभदायक है, साथ ही यह टाइप 2 मधुमेह होने के खतरे को भी कम करती है।
उच्च रक्तचाप -
स्ट्रॉबेरी उच्च रक्तचाप की समस्या से निदान दिलाने में सहायता करती है। इसके अंदर निम्न मात्रा में पोटेशियम मिलता है जो सोडियम की मात्रा को कम कर रक्त प्रवाह को सुचारू बनाता है। रक्त प्रवाह दुरुस्त होने से व्यक्ति को उच्च रक्तचाप की समस्या से राहत मिलती है. बिना रूकावट रक्त प्रवाह होने से व्यक्ति को दिल से जुड़ी बीमारी होने का भी खतरा नहीं रहता. उच्च रक्तचाप की समस्या रहने से किडनी पर दबाव पड़ता है, जिससे किडनी के खराब होने का खतरा रहता है.
हृदय -
स्ट्रॉबेरी के नियमित सेवन से दिल स्वस्थ रहता है. स्ट्रॉबेरी में काफी मात्रा में फाइबर और बहुत कम मात्रा में पोटेशियम मिलता है, यह दोनों तत्व मिलकर कोलेस्ट्रोल की समस्या को दूर करने में सहायता करते हैं. पोटेशियम रक्त वाहिकाओं में जमे खराब कोलेस्ट्रोल को हटाने में सहायता करता है. फाइबर आहार को ठीक से पचाने और वसा को कम करने मदद करता है. इन दोनों समस्याओं से निदान पाने के बाद दिल से जुड़ी बीमारी होने का खतरा कम हो जाता है. स्ट्रॉबेरी में एंथोसायनिन नामक एक खास यौगिक तत्व मिलता है, जो दिल के दौरे के खतरे को कम करता है. एक शोध में यह साबित हुआ है, जो महिलाए नियमित रूप से 5 से 8 स्ट्रॉबेरी का सेवन करती है उन्हें दिल से जुड़ी समस्याए नहीं होती.
हड्डियों को करे मजबूत -
स्ट्रॉबेरी के सेवन से हमारी हड्डियां मजबूत होती है। बढ़ते बच्चों और जिन लोगों की हड्डियां कमजोर है, उन लोगों के लिए स्ट्रॉबेरी काफी उपयोगी है। स्ट्रॉबेरी में मैग्नीशियम, कैल्शियम और विटामिन K अच्छी मात्रा में मिलते है. यह सभी पोषक तत्व हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करते हैं. स्ट्रॉबेरी विशेषकर दाँतों के लिए काफी उपयोगी होती है. 30 की उम्र के बाद महिलाओं में बोन डेंसिटी की समस्या सामने आने लगती है, इसलिए महिलाओं को स्ट्रॉबेरी का नियमित सेवन करना चाहिए। आपको बता दें कि किडनी हड्डियों को मजबूत करने का भी विशेष कार्य करती है.
वजन –
बढ़ता मोटापा कई बीमारियों को बुलावा देता है। स्ट्रॉबेरी बढ़ते वजन को कम करने में मदद करती है। स्ट्रॉबेरी के अंदर फाइबर भरपूर मात्रा में होता है, साथ ही इसमें कैलोरी की मात्रा काफी कम होती है. फाइबर खाना पचाने और वसा को घटाने में मदद करता है. कम कैलोरी और फाइबर भूख को भी नियंत्रण में रखता है। इसके अलावा इसमें बाकी सभी फलों की तुलना में वसा की बहुत कम मात्रा होती है। बढ़ता हुआ वजन किडनी की बीमारी को बढ़ा सकता है.
सूजन –
स्ट्रॉबेरी में विटामिन सी अच्छी मात्रा में मिलता है. विटामिन सी सूजन को रोकने और गठिया के लक्षणों को कम करने में मदद करता है। शरीर में “सी प्रतिक्रियाशील प्रोटीन” (CRP) की अधिक मात्रा, शरीर में सूजन ला सकती है। अध्यनों में पाया गया है कि जो महिलाए स्ट्रॉबेरी का सेवन करती है, उनमें इस प्रोटीन के बढ़ने की संभावना कम होती है। किडनी खराब होने के दौरान शरीर के कुछ हिस्सों में सूजन आ जाती है. शरीर में लगातार सूजन आना, किडनी खराब होने का एक आम लक्षण है. अगर आप किडनी खराब होने के कारण आई हुई सूजन से निजात पाना चाहते हैं, तो आप चिकित्सक की सलाह से स्ट्रॉबेरी का सेवन कर सकते हैं.
कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार :-
मानव शरीर का निर्माण अनेक अंगों के मेल से हुआ है, सभी अंग अपने-अपने स्थान पर महत्वपूर्ण है। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण अंग की बात की जाए तो निश्चित ही वो “किडनी” है। किडनी हमारे शरीर का वो अभिन्न अंग है जिसके बिना मानव शरीर कार्य करने में असमर्थ होता है। किडनी हमारे शरीर में रसायनों का संतुलन बनाएं रखने का अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य करती है। आकार में राजमा की भांति दिखाई देने वाली किडनियां शरीर से अपशिष्ट उत्पादों, क्षार और अम्ल जैसे तत्वों को शरीर बाहर निकाल कर शरीर में संतुलन बनाएं रखती है। लेकिन कुछ कारणों के चलते जब किडनी अपने इस मत्वपूर्ण कार्य को अंजाम देने में समर्थ नहीं होती तब व्यक्ति का शरीर अनेक समस्यों से घिर जाता है।
आयुर्वेद की मदद से किडनी फेल्योर की जानलेवा बीमारी से आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है। आयुर्वेद में इस रोग को हमेशा के लिए खत्म करने की ताक़त मौजूद है। जबकि अंग्रेजी दवाओं में बीमारी से कुछ समय के लिए राहत भर ही मिलती है। लेकिन आयुर्वेद में बीमारी को खत्म किया जाता है। आयुर्वेद की मदद से किडनी फेल्योर जैसी जानलेवा बीमारी से निदान पाया जा सकता है। आज के समय में “कर्मा आयुर्वेदा” प्राचीन आयुर्वेद के जरिए “किडनी फेल्योर” जैसी गंभीर बीमारी का सफल इलाज कर रहा है। कर्मा आयुर्वेद पूर्णतः प्राचीन भारतीय आयुर्वेद के सहारे से किडनी फेल्योर का इलाज कर रहा है।
वैसे तो आपके आस-पास भी काफी आयुर्वेदिक उपचार केंद्र होने लेकिन कर्मा आयुर्वेद ऐसा क्या खास है? आपको बता दें की कर्मा आयुर्वेदा साल 1937 से किडनी रोगियों का इलाज करते आ रहे हैं। वर्ष 1937 में धवन परिवार द्वारा कर्मा आयुर्वेद की स्थापना की गयी थी। वर्तमान समय में डॉ. पुनीत धवन कर्मा आयुर्वेद को संभाल रहे है। डॉ. पुनीत धवन ने केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता हैं।जिससे हमारे शरीर में कोई साइड इफेक्ट नहीं होता हैं। साथ ही आपको बता दें की डॉ. पुनीत धवन ने 35 हजार से भी ज्यादा किडनी मरीजों को रोग से मुक्त किया हैं। वो भी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना।