किडनी रोगी को क्या-क्या परहेज रखने चाहिए?

अल्कोहोल और किडनी रोग

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किडनी रोगी को क्या-क्या परहेज रखने चाहिए?

जब कोई व्यक्ति बीमार होता है तो उसके लिए सबसे मुश्किल होता है उस बीमारी से जल्दी छुटकारा पाने के लिए परहेज करना। दवाओं के साथ-साथ परहेज करना भी बहुत जरूरी होता है क्योंकि परहेज करने से ही रोगी जल्द से जल्द ठीक हो पाता है। यह रोगी को रोग से लड़ने में मदद करते हैं और शरीर को रोग प्रतिरोधक बनाने में मदद करते हैं। वैसे तो हर रोग के दौरान परहेज करने आवयश्क होते हैं लेकिन किडनी से जुड़े रोग होने पर रोगी को खासा परहेज करने की आवयश्कता होती है। किडनी खराब होने पर किडनी रोगी को आयुर्वेदिक उपचार ही लेना चाहिए, लेकिन रोगी को उपचार के साथ-साथ परहेज करने भी बहुत जरूरी होते हैं। क्योंकि औषधियों के साथ परहेज रोगी को जल्द ठीक होने में मदद करते हैं।

किडनी रोगी इन बातों का रखे विशेष ख्याल

किडनी खराब होना किसी बुरे सपने से कम नहीं है, क्योंकि एक बार किडनी खराब हो जाती है तो उसे ठीक कर पाना काफी मुश्किल है। ऐसे में किडनी रोगी को हमेशा कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए जो कि किडनी खराब होने के जोखिम कारक होते है, ताकि यह जानलेवा बीमारी आगे ना बढ़ सके। किडनी रोगी को निम्न वर्णित बातों का खासा ध्यान रखना चाहिए :-

मधुमेह   एक बार मधुमेह होने के बाद इससे बच पाना मुश्किल होता है। मधुमेह के कारण हमारे शरीर में और भी कई प्रकार की बीमारियां होना शुरू हो जाती है। यह किडनी खराब होने का सबसे बड़ा कारण माना जाता है। ऐसे में किडनी रोगी को अपने रक्त में शर्करा के स्तर को काबू में रखना चाहिए, ताकि उसकी किडनी और ज्यादा खराब ना हो सके।

उच्च रक्तचाप   हमेशा उच्च रक्तचाप रहने के कारण से भी किडनी खराब हो सकती है। उच्च रक्तचाप के कारण शरीर में रक्त प्रवाह में समस्या होती है, साथ ही अधिक क्षार युक्त रक्त को बार बार शुद्ध करने के कारण किडनी पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और किडनी खराब हो जाती है। ऐसे में किडनी रोगी को अपने रक्तचाप को काबू में रखने की कोशिश करनी चाहिए ताकि किडनी जल्द स्वस्थ हो सके और उसकी किडनी ज्यादा खराब ना हो।

शराब ना पियें – किडनी रोगी को शराब का सेवन बिलकुल भी नहीं करना चाहिए, क्योंकि शराब का ज्यादा सेवन करने से किडनी खराब होने की आशंका काफी बढ़ जाती है।

एंटीबायोटिक का सेवन ना करे – किडनी खराब होने के कई कारणों में से एक कारण हैं “एंटीबायोटिक दवाओं” का अधिक सेवन करना। लंबे समय तक दवाओं का अधिक सेवन करने के कारण किडनी खराब हो सकती है। किडनी को नुकसान पहुंचाने वाली दवाओं को नेफ्रोटॉक्सिक दवाओं के नाम से जाना जाता है। अगर आप पहले से ही किडनी से जुड़ी समस्या से जूझ रहे हैं, तो आपको इबुप्रोफेन जैसे एंटीबायोटिक्स का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि यह एंटीबायोटिक किडनी को और अधिक नुकसान पहुंचा सकती है।

किडनी रोगी इन चीजों का रखे परहेज

किडनी रोगी को जोखिम कारकों को काबू में रखने के अलावा निम्न वर्णित चीजों का खास परहेज रखना चाहिए, ताकि वह जल्द से जल्द स्वस्थ हो सके :-

  • प्रोटीन वैसे तो शरीर के लिए बहुत जरुरी होता है, लेकिन प्रोटीन का अधिक सेवन करने से किडनी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। शरीर में अधिक मात्रा में प्रोटीन होने पर किडनी के फिल्टर्स पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और किडनी खराब होना शुरू हो जाती है। इसी कारण किडनी रोगी को प्रोटीन युक्त आहार का ज्यादा सेवन नहीं करना चाहिए।
  • किडनी रोगी को अपने आहार में कम नमक का इस्तेमाल करना चाहिए। ज्यादा नमक के सेवन से उच्च रक्तचाप की समस्या होती है, जिससे किडनी पर दबाव पड़ता है।
  • किडनी खराब होने के दौरान किडनी रोगी धुम्रपान ना करे, क्योंकि इसके सेवन से शरीर में जहरीले तत्वों की मात्रा बढती है। जिसके कारण जीएफआर का स्तर गिर सकता है।
  • पोटेशियम युक्त आहार का सेवन संतुलित मात्रा में ही करना चाहिए। आपको आम, केला, सेब, चीकू, खजूर और अंगूर जैसे फलों का सेवन बिलकुल भी नहीं नहीं करना चाहिए, इन फलों में पोटेशियम अधिक मात्रा में होता है।
  • किडनी रोगी को अंडे के पीले भाग यानि अंडे की जर्दी का सेवन बिलकुल भी नहीं करना चाहिए। अंडे की जर्दी में उच्च मात्रा मे फॉस्फोरस होता है जो किडनी रोगी के लिए नुकसानदेह होता है। अंडे की जर्दी में पोटेशियम की अच्छी मात्रा होती है, जो कि क्रोनिक किडनी रोगी के लिए समस्या पैदा कर सकता है इसलिए किडनी रोगी को अंडे की जर्दी का सेवन नहीं करना चाहिए। अंडे के पीले भाग में ट्राइमेथिलमाइन एन-ऑक्साइड (Trim ethylamine N-oxide) नाम का एक खास योगिक तत्व मिलता है जो क्रोनिक किडनी रोगी के लिए नुकसानदायक होता है। यह तत्व किडनी के कार्य को धीमा कर देता है, जिससे किडनी अपना काम करने में ज्यादा समय लगाती है।
  • सोयाबीन की दाल हमें भले ही स्वस्थ रखने में मदद करती है, लेकिन किडनी रोगी को इसके अधिक सेवन से दुष्प्रभावों का भी सामना करना पड़ सकता है। इसके अंदर बहुत अधिक मात्रा में प्रोटीन होता है जो कि किडनी पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। इसके अलावा इसमें फॉस्फोरस भी मिलता है जिसकी अधिकता से ना केवन किडनी प्रभावित होती है बल्कि और भी कई शारीरिक दुष्प्रभाव हो सकते हैं। प्रोटीन की अधिकता होने पर किडनी में पत्थरी की समस्या हो सकती है और किडनी बिल्कुल खराब भी हो सकती है।
  • कॉफी का सेवन करना सभी लोग पसंद करते हैं, लेकिन किडनी रोगी को इसका सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि कॉफी के अंदर कैफीन नाम का एक तत्व मिलता है, जो स्वास्थ के लिए हानिकारक होता है। कैफीन के अधिक सेवन से शरीर में पोटेशियम की मात्रा बढ़ने लगती है। शरीर में पोटेशियम की अधिक मात्रा होने के कारण किडनी पर दबाव बढ़ता है और पहले से खराब हुई किडनी और ज्यादा खराब होने लगती है। इसके आलवा कैफीन से रक्तचाप बढ़ता है।
  • अगर किडनी रोगी ग्रीन टी का सेवन करेगा तो उसकी पहले से खराब किडनी में पथरी बनने का खतरा काफी बढ़ जाता है। ग्रीन टी में ऑक्जेलिक एसिड पाया जाता है, यह किडनी में पथरी बनने का कारण बन सकता है। इसमें कैल्शि‍यम, यूरिक एसिड, अमीनो एसिड और फास्फेट भी पाया जाता है। यह ऑक्जेलिक एसिड के साथ मिलकर किडनी में पथरी का कारण बनता है। ग्रीन टी का अधि‍क सेवन आपकी भूख को कम कर सकता है। ग्रीन टी में कैफीन की मात्रा कॉफी की अपेक्षा बहुत कम होती है। लेकिन दिनभर में ग्रीन टी का अत्यधि‍क सेवन करने से, कई खतरनाक बीमारियां होने का खतरा बढ़ सकता है।

कर्मा आयुर्वेदा भारत का श्रेष्ट किडनी आयुर्वेदिक उपचार केंद्र

कर्मा आयुर्वेदा बीते कई दशकों से किडनी फेल्योर जैसी जानलेवा बीमारी का आयुर्वेद द्वारा सफल उपचार कर रहा है। वर्ष 1937 में धवन परिवार द्वारा कर्मा आयुर्वेदा की स्थापना की गयी थी। इस समय कर्मा आयुर्वेदा की बागड़ोर डॉ. पुनीत धवन संभाल रहे हैं। यह धवन परिवार की पांचवी पीढ़ी है जो कि कर्मा आयुर्वेद का नेतृत्व कर रही है। डॉ. पुनीत धवन एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक चिकित्सक है, जिन्होंने अब तक 48 हज़ार से भी ज्यादा लोगो की किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज किया है। आपको बता दें की कर्मा आयुर्वेद में किडनी डायलिसिस का आयुर्वेदिक इलाज और किडनी प्रत्यारोपण के बिना ही किडनी रोगियों का इलाज किया जाता है

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