किडनी रोग के संबंध में गलत धारणाएं

अल्कोहोल और किडनी रोग

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किडनी शरीर के बहुत ही जरूरी अंग हैं जो रक्त करती हैं और फिल्टर पदार्थ को पेशाब में बदलती हैं। किडनी के सही से काम न करने पर शरीर रोग ग्रसित हो जाता हैं। किडनी रीढ़ की हड्डी के दोनों सिरों पर फैली होती हैं ये दो अंग होते हैं। हमारे शरीर रक्त में मौजूद विकारों को छानकर साफ करती हैं और शरीर को स्वच्छ रखती हैं।

रक्त को साफ कर पेशाब बनाने का कार्य भी किडनी के द्वारा ही पूरा होता हैं। किडनी रक्त में उपस्थित अनावश्यक कचरे को पेशाबमार्ग से शरीर से बाहर निकाल देती हैं। फिल्टर पेशाब के माध्यम से शरीर की किडनी और हानिकारक पदार्थ जैसे यूरिया क्रिएटिनिन और अन्क प्रकार के अम्ल निकल जाते हैं।

किडनी लाखों छलनियों तथा लगभग 140 लंबी नलिकाओं से बनी होती हैं। किडनी में उपस्थित नलिकाएं छने हुए द्रव्य में से जरूरी चीजों जैसे सोडियम, पोटेशियम, कैल्शियम आदि को दोबारा सोख लेती हैं और बाकी अनावश्यक पदार्थों को पेशाब के रूप में बाहर निकाल देती हैं। किसी खराबी की वजह से अगर एक किडनी का कार्य करना बंद कर देती हैं तो उस स्थिति में दूसरी किडनी पूरा कार्य संभाल लेती हैं।

इन लक्षणों को न करें नज़रअंदाज

किडनी रोग के लक्षण ज्यादातर गैर विशिष्ट और जीवनशैली संबंधित होती हैं जिसकी वजह से लोगों का इनपर ध्यान ही नहीं जाता हैं। इसके लक्षण तब दिखाई देते हैं जब रोग गंभीर रूप धारण कर लेते हैं। उन लक्षणों की पहचान न होने के कारण इसके निदान में देरी हो जाती हैं, इसलिए समय पर इस समस्या से निपटने के लिए एक व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य के बारे में पका होना चाहिए। ऐसी समस्याओं से लड़ने के लिए पर्याप्त समय देना चाहिए और समय पर जांच करने के लिए सुधारात्मक कदम उठाने चाहिए, तो चलिए जानते हैं इन लक्षणों के बारे में।

  • भूख का कम होना
  • अचानक वजन का घटना
  • हाथ, पैर और टखनों में सूजन
  • यूरिन में रक्त या प्रोटीन का आना
  • थकान और सांस की तकलीफ
  • बार-बार यूरिन करना
  • त्वचा पर खुजली होना
  • मांसपेशियों में ऐंठन
  • उच्च रक्तचाप
  • मतली व उल्टी आना
  • चक्कर आना

अन्य टेस्ट – किडनी रोग होने पर खून में क्रएटिनिन के स्तर का पता लगाने के लिए साधारण सी जांच की जाती हैं। इसमें किडनी की कार्यक्षमता का अंदाजा लगाया जा सकता हैं। इसके अलावा पेशाब और स्क्रीनिंग के द्वारा भी किडनी के रोग की जांच की जा सकती हैं। पेशाब में क्रिएटिनिन और एलब्युमिन के लिए जांच की जाती हैं और जो लोग किडनी रोगों के उच्चतम जोखिम पर हैं, उन्हें स्क्रीनिंग जरूर करवाना चाहिए।

किडनी से जुड़ी गलत धारणाएं को सुधारे:

  • अधिक पानी पिएं - किडनी हमारे शरीर में रक्त को साफ करके शरीर से अपशिष्ट पदार्थ को बाहर निकालने का काम करती हैं। जब आप पूरी मात्रा में पानी नहीं पीते, तो यही विषैले तत्व शरीर में इकट्ठे शुरू हो जाते हैं जो कि शरीर को कई बीमारियां देते हैं।
  • नमक कम लें – बॉडी को ठीक से काम करने के लिए नमक या सोडियम की जरूरत होती हैं, लेकिन कुछ लोग बहुत ज्यादा नमक खाते हैं जिससे ब्लड-प्रेशर बढ़ जाता हैं और उसका सीधा असर हमारी किडनी पर होता हैँ। रोज़ हमें अपनी डाइट में 5 ग्राम नमक से ज्यादा नहीं लेना चाहिए।
  • शुगर की मात्रा कम करें – अपनी रोज़ के आहार में 2 या इससे भी ज्यादा चीनी मिले ड्रिंक लेते हैं, जिससे उनके यूरिन लेवल में प्रोटीन की मात्रा अधिक हो जाती हैं, लेकिन ये संकेत होता है कि हमारी किडनी अपना काम अच्छे से नहीं कर पाती हैं।
  • पेनकिलर दवाओं का अधिक सेवन – कुछ लोग छोटे मोटे दर्द के लिए दर्द निवारक दवाओं का बहुत सेवन करते हैं, लेकिन ये सब दवाएं हमारी किडनी को पूरी तरह खराब कर देती हैं।
  • शराब का सेवन – दिनों दिनों में एक गिलास शराब लेने में कोई नुकसान नहीं हैं, लेकिन कुछ लोग एक ड्रिंक के बाद नहीं रूकते और अधिक शराब का सेवन किडनी और लीवर दोनों को खराब कर देती हैं।
  • बाथरूम रोककर रखना – बहुत से लोग जब बाहर जाते हैं तो पब्लिक बाथरूम यूज नहीं करते और बाथरूम यूज नहीं करते हैं, जो किडनी खराब होने का एक बड़ा कारण बन सकता हैं। इससे किडनी पर दबाव पड़ता हैं, इसलिए पेशाब को बिलकुल ना रोकें।

किडनी रोग का आयुर्वेदिक उपचार

आयुर्वेद प्राकृतिक उपचार हैं जो किडनी के मरीजों का जड़ी-बूटियों के साथ इलाज करते हैं। ये रोग को जड़ से खत्म करने में मदद करती हैं और इससे कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होता हैं। एलोपैथी में किडनी इलाज संभंव नहीं हैं, लेकिन भारत एकमात्र किडनी उपचार केंद्र कर्मा आयुर्वेदा ने साबित कर दिखाया हैं कि डायलिसिस और ट्रांसप्लांट के बिना किडनी का इलाज संभव है। ये दिल्ली में 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया था और इसमें एक अनुभवी आयूर्वेद चिकित्सक हैं जिन्हें अब तक करियर में हजारों किडनी रोगियों का इलाज किया हैं। जी हां, डॉ. पुनीत धवन ने आयुर्वेदिक की मदद से सफलतापूर्वक 35 हजार से भी ज्यादा  म रीजों का इलाज कर चुके हैं।

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