आप सब जानते हैं कि किडनी हमारे शरीर की महत्वपूर्ण अंग हैं जो खून को साफ करती हैं और शरीर में जमा होने वाले अपशिष्ट पदार्थ जैसे यूरिया, क्रिएटिनिन और कई तरह के अम्लों को मूत्रमार्ग से बाहर निकालने का कार्य करती हैं। हमारे शिरीर में किडनी मुट्ठी के आकार की 2 किडनियां होती हैं। जो बीचों-बीच कमर के आसपास स्थित होती हैं, लेकिन अगर एक किडनी फेल भी हो जाए, तो भी काम नॉर्मल जीवन व्यतीत कर सकता हैं। किडनी फेल होने पर जल्दी से लक्षण दिखाई नहीं देते, लेकिन इसमें रोग बढ़ जाने पर पता चलता हैं। हमारा शरीर किडनी फेल्योर के संकेतो को समझने के लिए कुछ इशारा भी करते हैं। जिससे आपको पता चलता हैं कि आप किडनी रोग से पीड़ित है या नहीं।
किडनी सिस्ट
इन दिनों लोग सिस्ट की बीमारी से अधिक परेशान हैं, खासकर महिलाएं। शरीर के अंदर पाई जाने वाली सिस्ट जिस रो मैडिकल भाषा में इकाइनोकोकस ग्रैनुलोसस के नाम से जाना जाता हैं। इसे हाइडेटिड सिस्ट भी कहते हैं। यह एक विशेष कीड़े का अंडा होता हैं। जिस के ऊपर कवच चढ़ा होता हैं। ये अंडा शरीर के जिस भी अंग में पहुंच जाता हैं। वहां धीरे-धीरे आकार में बड़ा होना शुरू हो जाता हैं। सिस्ट शरीर के अंदर सब से प्रिय निवास स्थान या तो फेफड़ा होता है, किडनी या फिर लिवर। इस के अलावा मस्तिष्क, दिल, हाथ व पैर की मांसपेशियों और कभी-कभी शरीर की हड्डियों के अंदर भी पाई जाती हैं।
किडनी की सतह से पर किडनी के अंदर बढ़ने वाले एक पुटी को किडनी पुटी या किडनी की छाल के रूप में जाना जाता हैं। ये अल्सर द्रव से भरे हुए थैले के रूप में वर्णित किया जा सकता हैं जो किडनी को बड़ा कर देता हैं।
किडनी सिस्ट के लक्षण
- कमर में सुस्त पीड़ा
- अस्पष्ट पेट दर्द
- लगातार पेशाब आना
- पेशाब में रक्त आना
- उनींदापन
किडनी सिस्ट के अन्य लक्षण
- एनीमिया – मध्यम से गंभीर
- उच्च रक्तचाप
- पेप्शन पेट पर
- बढ़े हुए अनियमित किडनी
- बड़े हुए पॉलिसिस्टिक यकृत (50% मामलें)
किडनी सिस्ट का आयुर्वेदिक इलाज
कर्मा आयुर्वेदा भारत के जाने-माने अस्पतालों में से एक हैं जो किडनी रोगियों का आयुर्वेदिक इलाज करते हैं। ये 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया था और इसके नेतृत्व में डॉ. पुनीत धवन हैं। डॉ. पुनीत 35 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज कर चुके हैं। वो भी डायलिसिस और प्रत्यारोपण के बिना। कर्मा आयुर्वेदा द्वारा पूरे विश्व के कई किडनी रोगियों को ठीक किया गया था। उन्होंने सफलतापूर्वक हजारों किडनी रोगियों के साथ अपने संपूर्ण प्राकृतिक और ऑरगेनिक उपचार तकनीक से इलाज किया हैं।
आयुर्वेदिक प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का उपयोग करके मन, शरीर और आत्मा का इलाज करती हैं। उपचार में प्रयुक्त सबसे आम जड़ी-बूटियों में पुनर्नवा, गोखुर, वरूण और शिरीष शामिल हैं। ये किडनी की बीमारी को ठीक करने और रोग के लक्षणों को ठीक करती हैं। आयुर्वेदिक प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और तकनीकों के उपयोग के साथ सभी प्रकार की शारीरिक बीमारियों के इलाज के लिए एक प्राचीन प्रथा माना जाता हैं। आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां किडनी को मजबूत बनाती हैं।