किडनी सिस्ट का इलाज, कर्मा आयुर्वेदा

अल्कोहोल और किडनी रोग

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किडनी सिस्ट का इलाज, कर्मा आयुर्वेदा

पोलिसिस्टिक किडनी डिसीज

किडनी रोग में पोलिसिस्टिक किडनी डिसीज सबसे ज्यादा पाए जाने वाला रोग है इस रोग का मुख्य असर किडनी पर होता है। दोनों किडनियों में बड़ी संख्या में सिस्ट (पानी भरा बुलबुला) जैसी रचना बन जाती है। क्रोनिक किडनी बीमारियों के मुख्य कारणों में एक कारण पोलिसिस्टिक किडनी डिसीज भी होता है। किड़नी के अलावा कई मरीजों में ऐसी सिस्ट लीवर, तिल्ली, आंतों और दिमाग की नली में भी दिखाई देती हैं।

पोलिसिस्टिक किडनी डिसीज लक्षण

30 से 40 साल की उम्र तक के मरीजों में कोई लक्षण देखने को नहीं मिलते हैं। उसके बाद देखें लक्षण इस प्रकार के होते हैं:

  • खून के दबाव में वृद्धि होना
  • पेट में दर्द होना, पेट में गांठ का होना, पेट का बढ़ना
  • पेशाब में खून का जाना
  • पेशाब में इंफेक्शन होना
  • किडनी में पथरी
  • रोग के बढ़ने के साथ ही क्रोनिक किडनी फेल्योर के लक्षण दिखाई देने लगते है
  • किडनी कैंसर होने की संभावना में वृद्धि
  • शरीर के अन्य भाग जैसे मस्तिष्क, लिवर, आंत आदि में भी किडनी की तरह सिस्ट हो सकते हैं। इस कारण उन अंगों में भी लक्षण दिखाई दे सकते है। पोलिसिस्टिक किडनी डिजीज के रोगी को एन्यूरिज्म (मस्तिष्क घमनी विस्फार), पेट की दीवार में हर्निया, जिगर में सिस्ट इंफेक्शन, पेट में डाइवर्टीक्यूले या छेद और ह्रदय वाल्व में खराबी जैसी लक्षण हो सकती है।

पोलिसिस्टिक किडनी डिजीज के लगभग 10% मरीजों में धवनी विस्फार को सकता है जिसमें रक्त वाहिका की दीवार के कमजोर होने के कारण उसमें एक उभार आ जाता है। धमनी विस्फार के कारण सिरदर्द हो सकता है। इसका फटना खतरनाक हो सकता है। जिससे स्ट्रोक एंव मृत्यू हो सकती है।

पोलिसिस्टिक किडनी डिसीज के आयुर्वेदिक उपचार

आयुर्वेदिक तन-मन और आत्मा के बीच संतुलन बनाकर स्वास्थ्य में सुधार करता है। आयुर्वेद चिकित्सा में न केवल उपचार होता है बल्कि ये जीवन जीने का ऐसा तरीका सिखाता है जिससे जीवन लंबा और खुशहार होता है। आयुर्वेदिक के अनुसार शरीर में वात, पित्त और कफ जैसे तीनों मूल तत्वों के संतुलन से कोई भी बीमारी आप तक नहीं आ सकती है, लेकिन जब इनका संतुलन बिगड़ता है तो बीमारी शरीर पर हावी होने लगती है और आयुर्वेदिक में इन्ही तीनों तत्वों का संतुलन बनाया जाता है। आयुर्वेद में रोग प्रतिरोधक क्षमता निकसित करने पर बल दिया जाता है, क्योंकि किसी भी प्रकार का रोग न हो। आयुर्वेद में विभिन्न रोगों के इलाज के लिए हर्बल उपचार घरेलू, उपचार, आयुर्वेदिक दवाओं, आहार संशोधन, मालिश और ध्यान का उपयोग किया जाता है।

कर्मा आयुर्वेदा नई दिल्ली के सबसे प्रमाणिक आयुर्वेदिक किडनी उपचार केंद्र हैं। ये 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया है। वे पूर्ण हर्बल और प्राकृतिक उपाचर दवाओं का उपयोग करते है आयुर्वेदिक दवाओं से कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। वे तेजी से वसूली के लिए अपने मरीजों को एक किडनी आहार चार्ट भी प्रदान करते है।

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