किडनी हमें स्वस्थ रखने के लिए क्या-क्या काम करती है?

अल्कोहोल और किडनी रोग

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किडनी हमें स्वस्थ रखने के लिए क्या-क्या काम करती है?

हम सभी इस बात को जानते हैं कि किडनी हमारे शरीर में बहने वाले खून को साफ़ करने का काम करती है, जिसकी वजह से इसे शरीर के सबसे खास अंग की संज्ञा दी गई गई. किडनी आकार में भले ही छोटी होती है लेकिन यह हमारे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए कई जरूरी कार्यों को अंजाम देती है. यह मानव शरीर का सबसे संवेदनशील अंग माना जाता है, जोकि मानव शरीर के शारीरिक और मानसिक विकास में अहम भूमिका अदा करता हैं।

किडनी में आई थोड़ी सी  भी खराबी के कारण व्यक्ति को कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। अगर किडनी में समस्याएँ बढ़ जाए तो किडनी विफल होने की आशंका रहती है, जिससे व्यक्ति की मौत भी हो सकती है। इसलिए हमें अपनी किडनी को हमेशा स्वस्थ रखना चाहिए, ताकि हमारा शरीर हमेशा स्वस्थ बना रहे।

किडनी को स्वस्थ रखने से पहले हमें किडनी को और उसके कार्यों को अच्छे से जान लेना चाहिए, ताकि हम इसकी अच्छे से देखभाल कर सके। आज के इस लेख हम इसी विषय पर चर्चा करेंगे कि आखिर किडनी हमे स्वस्थ रखने के लिए क्या-क्या काम करती है.

किडनी हमारे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए निम्न वर्णित कई जरूरी कार्य करती है

रक्त को साफ करना

किडनी बिना रूके शरीर में बनने वाले अनावश्यक जहरीले अपशिष्ट उत्पादों को हटाकर उन्हें पेशाब द्वारा बाहर निकाल कर रक्त साफ करने का काम करती है।

अपशिष्ट उत्पादों को निकलना

किडनी खून साफ करने का सबसे जरूरी काम करती है, खून साफ करने के दौरन किडनी खून में मिलने वाले सारे अपशिष्ट उत्पादों को पेशाब के जरिये शरीर से बाहर निकाल देती है। इन अपशिष्ट उत्पादों में पोटेशियम, सोडियम, यूरिया, यूरिक एसिड, शर्करा जैसे कई उत्पाद होते हैं। इन अपशिष्ट उत्पादों का हमारे शरीर के अंदर जमा होना शरीर के भीतर जहर को रखने के समान है। बताएं गये अपशिष्ट उत्पादों के मुकाबले क्रिएटिनिन और यूरिया दो महत्वपूर्ण अपशिष्ट उत्पाद हैं। रक्त में जब इन दोनों अपशिष्ट उत्पादों मात्रा बढती है तो किडनी कार्यक्षमता कम होने लगती है।

शरीर में पानी का संतुलन

रक्त शुद्ध करने के बाद किडनी का दूसरा मुख्य कार्य होता है, शरीर में पानी की मात्रा को संतुलन में बनाएं रखना। जब शरीर में पानी की मात्रा अधिक हो जाती है, तो पेशाब का निर्माण अधिक होता है और वहीं कम पानी पीने के कारण शरीर में निर्जलीकरण की समस्या उत्पन्न होती है और पेशाब कम आता है। अथवा पसीना अधिक निकलने पर मूत्र की मात्रा घट जाती है, तात्पर्य यह कि किडनी शरीर में जल की मात्रा को सन्तुलित करने का कार्य करते हैं। जब किडनी खराब हो जाती हैं तो किडनी अतिरिक्त पानी को शरीर से बाहर नहीं निकाल पाती जिसके कारण  शरीर में अतिरिक्त पानी एकत्रित होने के चलते’ शरीर में सूजन हो जाती है।

अम्ल एवं क्षार का संतुलन

किडनी शरीर में अम्ल और क्षार का सन्तुलन बनाने का कार्य करती है। अधिक मात्रा में अम्लीय पदार्थो को ग्रहण करने पर अनावश्यक तत्वों को किडनी पेशाब के रुप में शरीर से उत्सर्जित कर देते हैं जबकि क्षारीय शरीर तत्वों की अधिकता होने पर इन तत्वों को रक्त से छानकर किडनी पेशाब के साथ उत्सर्जित कर देते हैं।

रक्तकणों के उत्पादन में सहायता

किडनी शरीर में खून बनाने का भी कम करती है। किडनी के भीतर ERYOTHROIETIC नाम का एक HORMONE मिलता है जो कि खून बनाने का काम करता है। एरिथ्रोपोएटीन किडनी में बनता है किडनी के फेल होने की स्थिति में यह पदार्थ कम या बिल्कुल ही बनना बंद हो जाता है, जिससे लाल रक्तकणों का उत्पादन कम हो जाता है और खून में फीकापन आ जाता है, जिसे एनीमिया (खून की कमी का रोग) कहते हैं।

हडिड्यों की मजबूती बनाएं

हड्डियों को मजबूत करने के लिए किडनी विटामिन के और डी का निर्माण करती है। जोकि भोजन से कैल्सियम के अवशोषण, हडिड्यों और दांतों के विकास और हडिड्यों को मजबूत और स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक होता है।

कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार

कर्मा आयुर्वेदा साल 1937 से किडनी रोगियों का इलाज करता आ रहा है। वर्ष 1937 में धवन परिवार द्वारा कर्मा आयुर्वेदा की स्थापना की गयी थी। वर्तमान समय में डॉ. पुनीत धवन कर्मा आयुर्वेदा को संभाल रहे है। डॉ. पुनीत धवन ने केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता हैं। जिससे हमारे शरीर में कोई साइड इफेक्ट नहीं होता हैं। साथ ही डॉ. पुनीत धवन ने 48 हजार से भी ज्यादा किडनी मरीजों को रोग से मुक्त किया है। कर्मा आयुर्वेदा किडनी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना पूर्णतः प्राचीन भारतीय आयुर्वेद के सहारे से किडनी फेल्योर का इलाज कर रहा है।

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