किडनी ख़राब होने से बचाएं कमल ककड़ी

अल्कोहोल और किडनी रोग

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किडनी ख़राब होने से बचाएं कमल ककड़ी

भारतीय परमपराओं में कमल के फूल का बड़ा महत्व है। यह भारत में लोगो की धार्मिक आस्थाओं से जुड़ा हुआ है। ठीक इसी प्रकार कमल का तना यानि कमल ककड़ी का आयुर्वेद में खास महत्व है। कमल ककड़ी कमल के फूल का तना होता है जिसका प्रयोग ना केवल घर में व्यंजन बनाने में होता है बल्कि आयुर्वेद में इसका प्रयोग औषधि के तौर पर रोगों से उपचार के लिए होता है।

कमल ककड़ी परिचय :-

कमल का पौधा नदी, तालाब, झील आदि में उगता है (विशेषकर दलदली जमीन में)। इसकी जड़े गहरे पानी में लगभग 5 फीट नीचे तक जा सकती है। इसके फूल और पत्ते पानी की सतह के ऊपर तैरते रहते है। कमल के फूल का प्रयोग जहां पूजा में किया जाता है वहीं इसकी जड़ अथवा तने का प्रयोग आयुर्वेदिक औषधि बनाने के साथ – साथ सब्जी, अचार, चिप्स आदि बनाने के लिए होता है। देखने में यह लगभग आलू के रंग की की होती है और खाने में सख्त और जा हल्की मीठी होती है। भारत में यह शुरुआत से ही पाई जा रही है। चीन में इसका प्रयोग बड़े स्तर पर किया जाता है।

कमल ककड़ी के पोषक तत्व :-

कमल ककड़ी जहां खाने में स्वादिष्ट होती वहीं यह कई पोषक तत्वों से भरपूर भी होती है, जो हमें कई रोगों से हमारी रक्षा करते है। कमल ककड़ी में विशेष रूप से कई प्रकार के विटामिन्स और खनिज पाएं जाते है। कमल ककड़ी में मैगनीज, आयरन, तांबा, पोटेशियम, फास्फोरस के अलावा थियामिन, विटामिन बी 6, विटामिन दी और , पैंटोफेनीक एसिड मिलता है। साथ ही इसमें फाइबर और प्रोटीन अच्छी मात्रा में मिलता है।

कमल ककड़ी रोगों से बचाएं :-

ऊपर लिखे आलेख में आप कमल ककड़ी की विशेषता के बारे में तो जान ही चुके हो, तो अब जानते है की यह हमें कौन कौन से रोगों से बचा कर रखती है। आपको बता दें की कमल ककड़ी हमारी किडनी के लिए बहुत उपयोगी है। यह हमारी किडनी को ख़राब होने से बचाती है। दरअसल कमल ककड़ी हमे कुछ ऐसे रोगों से मुक्त करने में सक्षम है जिनके होने से हमारी किडनी बड़ी आसानी से ख़राब हो सकती है। कमल ककड़ी हमें निम्नलिखित रोगों से बचाती है –

उच्च रक्तचाप –

कमल ककड़ी आपके उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में काफी लाभदायक है। इसमें पोटेशियम काफी मात्रा में पाया जाता है। पोटेशियम सोडियम को कम करने में काफी असरदार होता है। यह रक्तप्रवाह के दौरान उसमे सोडियम की मात्रा को काफी हद तक कम करता है। बता दें की रक्त में सोडियम की अधिक मात्रा होने के कारण ही रक्तचाप उच्च होता है। इसके साथ कमल ककड़ी रक्त वाहिकाओं को आराम देने का भी कार्य करती है। जिसके चलते रक्त रक्तवहिकारों से बिना किसी रुकवात के प्रवाहित होता है।

पथरी से निदान –

ककड़ी के नियमित सेवन किसी भी प्रकार की पथरी होने की आशंका ना के बराबर हो जाती है। यह पथरी होने से दो प्रकार से मदद करती है। पहला, यह आपके शरीर में टोक्सिन दूर करती है जो पथरी होने का मुख्य कारण माना जाता है। दूसरा यह मूत्र विकार को दूर कर मूत्र वर्धक के रूप में कार्य करती है। जिससे किडनी में कोई अपशिष्ट उत्पाद जमा नहीं हो पाते और आपको किडनी स्टोन नहीं होता।

मूत्र विकार –

ककड़ी की मदद से आप तमाम मूत्र विकारों से आसानी से छुटकारा पा सकते हो। इसके लिए आप ककड़ी से बने रस में शक्कर या फिर धागे वाली मिश्री मिलाकर दिन दो बार इसका सेवन करे। यदि आप मूत्र विकार की कोई दवा लें रहे है तो दवा और इसके सेवन में कुछ घंटों का अन्तराल रखे।

पाचन –

ख़राब पाचन कई बिमारियों को जन्म देता है। यदि आपका पाचन तन्त्र ख़राब हो चूका है तो आप कमल ककड़ी का सेवन करना शुरू कर दें। इसमें काफी मात्रा मे फाइबर मिलता है जो खाना पचाने में आपकी मदद करता है। इसके सेवन से कब्ज होने की आशंका काफी कम हो जाती है। फाइबर पेट में जमा अतिरिक वसा को भी कम करने में मददगार होता है।

वजन –

ककड़ी में फाइबर उच्च मात्रा में मिलता है और कैलरी ना के बराबर होती है। फाइबर खाना पचाने में काफी मददगार होता है और पेट में जमा अतिरिक्त वसा को घटा वजन को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा इसमें कुछ ऐसे पोषक तत्व भी मौजूद होते है जो पेट को थोड़े भोजन में ही भरे होने का संकेत मस्तिक्ष को देता है। जिसके चलते हमारी और अधिक खाने की इच्छा नहीं होती।

रक्त प्रवाह वृधि –

कमल ककड़ी के नियमित सेवन से हमारे शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं में वृधि होने लगती है। पोटाशियम के कारण रक्त वाहिकाओं में होने वाली रुकावट भी दूर हो जाती है। जिसके चलते रक्त आराम से प्रवाह होता है। इसके साथ ककड़ी के सेवन से रक्त के द्वारा शरीर के सभी अंगों में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ने लगती है, जिसके चलते शरीर में आलस की कमी होती है और कार्यक्षमता के साथ उर्जा बढ़ने लगती है। इस क्रिया में ककड़ी में मौजूद खनिज आयरन आयर तंबा मदद करते है।

कोलेस्ट्रोल –

यदि आपका कोलेस्ट्रोल बढ़ा हुआ है तो आपको कमल ककड़ी का सेवन जरुर करना चाहिए। इसमें पोटाशियम होता है जो रक्त विकार दूर करने में मदद करता है। साथ ही फाइबर रक्त में वसा को को कम करने में मदद करता है। जिसके चलते शरीर में ख़राब कोलेस्ट्रोल की मत्रा कम हो जाती है।

मधुमेह –

कुछ शोधो के बाद कमल ककड़ी को मधुमेह के रोगियों के लिए उत्तम भोजन माना गया है। ककड़ी में उछ मात्रा में घुलनशील फाइबर होता है जो कार्बोहाइड्रेट की पाचन क्रिया को कम करता है। परिणामस्वरुप इससे शरीर में शर्करा के अवशोषण की गति काफी धीमी हो जाती है। इसके अलावा यह शरीर में इन्सुलिन वृधि में भी मददगार है, जो रक्त में शर्करा की मात्रा को कम करने में सहायक होते है।

कमल ककड़ी से नुकसान :-

ऐसी बहुत ही कम औषधि होती है जिनका शरीर पर किसी प्रकार का कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता। इसी श्रेणी में कमल ककड़ी भी आती है। इसके सेवन से हमारे शरीर को किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं पहुँचता। हाँ, इसे हमेशा अच्छे से पका कर ही खाना चाहिए। इसे कच्चा खाना शरीर के लिए नुकसानदेह हो सकता है। क्योंकि यह गहरे और रुके हुए जल में उगती है, जिससे इसमें कुछ जीवाश्म हो सकते है जो दस्त और उल्टी जैसी समस्या पैदा कर सकते है। साथ ही अगर कोई अज्ञात संक्रमण है तो इसका सेवन कम मात्रा में ही करे।

कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार :-

कर्मा आयुर्वेदा में हर प्रकार के किडनी रोग को जड़ से ख़त्म किया जाता है। वो भी बिना डायलिसिस और बिना किडनी ट्रांसप्लांट के। कर्मा आयुर्वेदा में सिर्फ आयुर्वेदिक किडनी उपचार से ही इलाज किया जाता है।  कर्मा आयुर्वेदा की स्थापना सन 1937 में धवन परिवार द्वारा की गयी थी। जिसके बाद से लेकर अब धवन परिवार की पांचवी पीढ़ी इस क्षेत्र में काम कर रही है।

वर्तमान में कर्मा आयुर्वेदा को डॉ. पुनीत धवन संभाल रहे है। डॉ.पुनीत धवन आयुर्वेदिक दुनिया में एक जानेमाने चिकित्सक है। इन्होने आयुर्वेद की मदद से किडनी जैसे हानिकारक रोग को जड़ से खत्म अपना लोहा मनवाया है।  डॉ. पुनीत धवन ने  केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता हैं। जिससे हमारे शरीर में कोई साइड इफेक्ट नहीं होता हैं।

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