कैसे करें प्राकृतिक रूप से किडनी को साफ़ ?

अल्कोहोल और किडनी रोग

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कैसे करें प्राकृतिक रूप से किडनी को साफ़ ?

भारत में पिछले 15 सालों में किडनी रोगों में दोगुना वृद्धि हुई है। आजकल की बिगड़ती लाइफस्टाइल और गलत खान-पान इसकी सबसे बड़ी वजह है। शरीर से अपशिष्ट पदार्थो को बाहर निकालने की जिम्मेदारी किडनी की है और किडनी को साफ रखने की जिम्मेदारी हमारी होती है। हम रोज प्राकृतिक तरीकों को अपनाकर किडनी को स्वस्थ रख सकते हैं।

बता दें कि, किडनी शरीर से बेकार चीजों को बाहर निकालने के लिए किडनी बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। साथ ही किडनी शरीर से इलेक्ट्रोलाइट्स को संतुलित रखती है और हार्मोन बनने की प्रक्रिया में भी मदद करती है। किडनी शरीर में सीने की हड्डियों के नीचे रीढ़ के दोनों ओर दो छोटे से अंग है। वैसे अधिकतर अच्छा आहार लेने और पर्याप्त पानी पीने से आपकी किडनी ठीक रहती है। स्वस्थ किडनी रक्त को साफ करती है और बेकार पदार्थों को यूरिन के जरिए शरीर से बाहर निकालती है। अगर किडनी अपने इन कार्य को सही से न करें, तो शरीर में कई समस्याएं पैदा हो सकती है जैसे – किडनी स्टोन, इंफेक्शन, सिस्ट, ट्यूमर आदि होना और किडनी अपना काम करना बंद कर देती है। इसलिए आपको  अपनी किडनी को डिटॉक्स रखने के बारे में जानना बेहद जरूरी है।

प्राकृतिक रूप से  किडनी को साफ़ करें

  • अधिक पानी पिएं - पानी का योग्य पर्याप्त मात्रा में सेवन करने से आपकी किडनी से जुड़ी कई समस्याओं से बचा जा सकता है। इसलिए हर रोज 7 से 8 गिलास पानी पीना जरूरी होता है। अधिक पानी पीने से आपको पसीना और पेशाब अधिक आता है, जो कि टॉक्सिन्स की सफाई करता है।
  • कैफीन और एल्कोहल का सेवन न करें – किडनी के स्वास्थ्य के लिए एल्कोहल का सेवन करना बिल्कुल अच्छा नहीं होता है, इसलिए एल्कोहल का सेवन जितनी जल्दी हो सके तो छोड़ दे। साथ ही कैफीन भी आपके स्वास्थ्य के लिए उचित तत्व नहीं हैं, इसलिए इसका सेवन सीमित में करें।
  • प्रोटीन का सेवन कम करें – हाई प्रोटीन फूड्स आपकी किडनी के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। इनके सेवन से आपको किडनी से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, इसलिए किडनी को डिटॉक्स करने के लिए अपनी डाइट में हाई प्रोटीन युक्त आहारों को शामिल न करें या नियंत्रित मात्रा में ही इनका सेवन करें।
  • एप्पल साइडर विनेगर – भोजन करने से पहले आधा कप पानी में 4 से 6 चम्मच एप्पल साइडर विनेगर मिलाकर सेवन करें। एप्पल साइडर विनेगर में मौजूद एसिडिटी आपकी किडनी को डिटॉक्स करने में मदद करती है।
  • रोज योग करें – प्रतिदिन योग करने से आपका शरीर फीट रहता है और आप कई तरह की बीमारियों से बचे रहते हैं। किडनी को डिटॉक्स करने के लिए भी योग करना बेहद जरूरी है। योग करने से किडनी समेत आपके सभी अंगों तक ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है। इससे टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद मिलती है।
  • हर सब्जियों को डाइट में शामिल करें – हरी सब्जियां पोषण से भरपूर होती है। साथ ही इसके सेवन से आपके शरीर में ऑक्सलेट का स्तर कम होता है, क्योंकि हरी सब्जियों में मैग्नीशियम और कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है। इससे आपको किडनी को डिटॉक्स करने में मदद मिलती है।
  • ग्रीन टी पिएं – बाजार में किडनी साफ करने वाली चाय उपलब्ध है। इसका नियमित रूप से सेवन करना किडनी को ठीक करता है। नेटल चाय, डैनडेलियन चाय और तुलसी चाय यह कुछ ऑर्गेनिक चाय है, जो कि आपकी किडनी को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करती है। नियमित रूप से ग्रीन टी का सेवन शरीर से जहरीले तत्वों को बाहर करने में मदद करती है। आप दिनभर में दो कप ग्रीन टी ले सकते हैं, लेकिन डॉक्टर की सलाह के अनुसार।
  • चेरी और क्रैनबेरी का सेवन करें – चेरी और क्रैनबेरी का स्वाद सभी को पसंद होता है। आप विभिन्न तरीकों से उन्हें अपने आहार में शामिल कर सकते हैं। दो हफ्ते तक चेरी और क्रैनबेरी रोजाना लेने से यूटीआई के लक्षणों को कम किया जा सकता है। आप इन्हें किसी भी रूप में सूखा या ताजा खा सकते हैं। साथ ही उन्हें अपने सलाद में जोड़ें या केवल उन्हें उसी तरह खाएं। चेरी और क्रैनबेरी आपको पर्याप्त मात्रा में एंटीऑक्सिडेंट भी प्रदान करेंगे, जो कि कई बीमारियों को भी दूर रखेंगे।

अन्य चीजों से किडनी को डिटॉक्स करें - किडनी को डिटॉक्स रखना बेहद जरूरी है, क्योंकि किसी प्रकार की कोई समस्या न आएं। ऐसे में आप अपनी डाइट में ऑलिव ऑयल, हल्दी, प्याज, टमाटर, पत्ता गोभी और रेस्पबेरी आदि। यह आपको कई स्वास्थ्य लाभ भी प्रदान करेंगे।

किडनी की बीमारी का होना

खराब दिनचर्या, जीवनशैली में बदलाव और खानपान की गलत आदतों की वजह से भारत में किडनी के मरीजों की संख्या हर साल बढ़ती जा रही है। यदि आप शारीरिक रूप से मोटे है, धूम्रपान करते हैं, डायबिटीज अथवा हाई ब्लड प्रेशर के मरीज हैं, तो ऐसे में आपको अपनी किडनी को स्वास्थ्य की जांच एक बार अवश्य करवा लें। क्योंकि आप स्वस्थ किडनी को खराब होने से बचा सकते हैं। अगर समय रहते किडनी के स्वास्थ्य के बारे में जांच करा ली जाएं, तो अनेक गंभीर बीमारियों से अपने शरीर को बचा सकती हैं। विश्व स्तर पर आज मनुष्य के स्वास्थ्य को संक्रामक रोगों कि, अपेक्षा से हाई ब्लड प्रेशर, ह्रदय रोग, डायबिटीज व किडनी की बीमारियों से अधिक खतरा है। आज प्रत्येक 10 में से 1 वयस्क व्यक्ति किडनी की किसी न किसी बीमारी से ग्रस्त है।

किडनी की बीमारी होने के मुख्य कारण

  • पेशाब आने पर करने न जाना
  • पानी कम मात्रा में पीना
  • बहुत ज्यादा नमक खाना
  • अगर आपको हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है और उसके इलाज में लापरवाही करते है तो उसका सीधा असर आपकी किडनी पर होता है
  • शुगर के इलाज में लापरवाही करना
  • अधिक मात्रा में मांस खाना
  • लगातार दर्द नाशक दवाएं लेना
  • ज्यादा शराब पीने से लिवर के साथ-साथ किडनी भी खराब होने लगती है
  • काम के बाद जरूरी मात्रा में आराम नहीं करना
  • अधिक मात्रा में सॉफ्ट ड्रिंक्स और सोडा पीना

किडनी की बीमारी के लक्षण

अगर आपकी किडनी खराब होने लगी है तो, यूरिन पास करते समय दर्द होता है और रक्त भी आता है। इसके अलावा किडनी रोग में और भी बहुत से लक्षण दिखाई देते हैं जैसे –

  • गर्म मौसम में ठंड लगना
  • भूख कम लगना
  • हाथ और पैरों में सूजन आना
  • थकान और कमजोरी महूसस होना
  • पेशाब में प्रोटीन अधिक आना
  • पेशाब करते समय जलन होना
  • हाई ब्लड प्रेशर
  • त्वचा पर चक्कते पड़ना और खुजली होना
  • मुंह का स्वाद खराब होना और मुंह से बदबू आना

किडनी की खराबी में करें परहेज

  • वजन नियंत्रित रखें
  • खान-पान की स्वस्थ आदतें अपनाएं
  • धूम्रपान और एल्कोहल का सेवन न करें
  • सक्रिय जीवनशैली अपनाएं
  • रक्तचाप काबू में रखें
  • डायबिटीज और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखें
  • परिवार में किडनी रोगों के इतिहास के बारे में जाने और परहेज करें

आयुर्वेद की मदद से करें किडनी को डिटॉक्स

आयुर्वेद भारत की प्रचीन चिकित्सा प्रणाली है। वैसे माना जाता है कि, आयुर्वेद 5 हजार वर्ष पहले भारत में उत्पन्न हुआ था। आयुर्वेद शब्द दो संस्कृत शब्दों (आयुष) जिसका अर्थ जीवन है और (वेद) का अर्थ विज्ञान है, जिसको मिलाकर इसका शाब्दिक अर्थ है (जीवन का विज्ञान)। साथ ही अन्य औषधीय प्रणालियों के विपरीत, आयुर्वेद रोगों के उपचार की बजाय स्वास्थ्य जीवनशैली पर अधिक ध्यान केंद्रित करता है। आयुर्वेद की मुख्य अवधारणा यह है कि, वह उपचारित होने की प्रक्रिया को व्यक्तिगत बनाता है। साथ ही आयुर्वेद के मुताबिक, मानव शरीर चार मूल तत्वों से निर्मित है जैसे –

  • दोष – दोषों के तीन अहम सिद्धांत है वात, पित्त और कफ। जो कि एक साथ अपचयी और उपचय चयापचय को विनियमित और नियंत्रित करते हैं। इन तीन दोषों का मुख्य कार्य है, पूरे शरीर में पचे हुए खाद्य पदार्थों के प्रतिफल को ले जाना। शरीर के ऊतकों के निर्माण में मदद करता है। इन दोषों में कोई भी खराबी या बीमारी का कारण बनती है।
  • धातु – यह शरीर को संबल देता है। इसके रूप में धातु परिभाषित कर सकते हैं। शरीर में सात ऊतक प्रणालियां होती है। रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा और शुक्र जो क्रमश प्लाज्मा, रक्त, वसा, ऊतक, अस्थि, मज्जा और वीर्य का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह धातुएं शरीर के केवल बुनियादी पोषण प्रदान करते हैं और यह मस्तिष्क के विकास और संरचना में मदद करती है।
  • मल – मल का अर्थ है कि, अपशिष्ट उत्पाद या गंदगी। यह शरीर के दोषों और धातु में तीसरा है। मल के तीन मुख्य प्रकार है जैसे – मल, मूत्र और पसीना। मल मुख्य रूप से शरीर से उचित उत्सर्जन आवश्यक है। मल के दो मुख्य पहलू भी है मल और कित्त। मल शरीर के अपशिष्ट पदार्थों के बारे में है, लेकिन कित्त धातुओं के अपशिष्ट उत्पादों के बारे में सब कुछ है।
  • अग्नि – यह शरीर की चयापचय का स्वास्थ्य और रोग में एक परस्पर क्रिया होती है, जिसे अग्नि कहा जाता है। अग्नि को आहार नली, यकृत और ऊतक कोशिकाओं में मौजूद एंजाइम के रूप में कहा जा सकता है।

दिल्ली के प्रसिद्ध आयुर्वेदिक उपचार केंद्र में से एक है कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल। यह अस्पताल सन् 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया था और आज इसका संचालन डॉ. पुनीत धवन कर रहे हैं। यहां आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से किडनी के मरीजों का इलाज किया जाता है। डॉ. पुनीत धवन ने आयुर्वेद की मदद से 35 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज करके, उन्हें रोग से मुक्त किया है वो भी डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट के बिना। कर्मा आयुर्वेदा में आयुर्वेदिक उपचार के साथ आहार चार्ट और योग करने की सलाह दी जाती है जिससे रोगी जल्द स्वस्थ हो सकें।

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