कौन से फलों का सेवन करें किडनी रोगी?

अल्कोहोल और किडनी रोग

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कौन से फलों का सेवन करें किडनी रोगी?

किडनी मनुष्य के शरीर का महत्वपूर्ण अंग है। यह रक्त को शुद्ध कर, अपशिष्ट उत्पादों, अतिरिक्त क्षार और अम्ल को शरीर से बाहर निकालने का विशेष कार्य करती है। किडनी के इस कार्य से शरीर में रसायनों का संतुलन बना रहता है, जिससे शरीर को शारीरिक रूप से बढ़ने में मदद मिलती है। लेकिन किडनी खराब हो जाने पर वह अपने इस कार्य को नहीं कर पाती, लिहाजा व्यक्ति को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। किडनी फेल्योर एक गंभीर समस्या है, अगर रोगी को ठीक समय पर उचित उपचार ना मिले तो, रोगी को गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ता है। किडनी फेल्योर की गंभीर बीमारी को आयुर्वेद की मदद से हराया जा सकता है। आयुर्वेदिक औषधियों के साथ-साथ रोगी को अपने आहर का भी खास ध्यान रखना चाहिए। किडनी रोगी को अपने आहार में फलों को जरूर शामिल करना चाहिए।

इन फलों का सेवन करें किडनी रोगी :-

फल बहुत से पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं, यह रोगों से लड़ने में काफी मदद करते हैं। किडनी रोगी को अपने आहार में फलों का विशेष ख्याल रखना चाहिए। किडनी फेल्योर की बीमारी से जूझ रहें रोगियों को कुछ खास फलों को ही अपने आहार में शामिल करना चाहिए। किडनी रोगी सेब, ब्लूबेरी और कैनबेरी जैसे फलों को अपने आहार में शामिल कर सकते हैं। यह फल किडनी फेल्योर की बीमारी को दूर करने में काफी मदद करते हैं।

सेब –

सेब एक स्वादिष्ट और पौष्टिक फल है, सेब का वैज्ञानिक नाम ‘मेलुस डोमेस्टीसा‘ (Melus Domestica) है। इसकी खेती दुनिया भर में की जाती है। भारत में इसकी खेती सबसे ज्यादा हिमाचल प्रदेश और जम्मू और कश्मीर में की जाती है। सेब की 7,500 से भी ज्यादा नस्ले हमारे बीच मौजूद है।

सेब में पाए जाने वाले पोषक तत्व :

सेब के अंदर बहुत सारे पोषक तत्व होते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य लिए बहुत ही लाभदायक है। सेब विटामिन C से भरपूर होता है। अन्य फलों के मुकाबले सेब में फाइबर प्रचुर मात्रा में मिलता है। फाइबर  पाचन तंत्र को स्वस्थ बनाएं रखने में हमारी मदद करता है। सेब में उपस्थित फाइबर और पॉलीफेनोल की उपलब्धता अच्छी मात्रा में होती है। सेब में पाए जाने वाले पोषक तत्व निम्नलिखित है-

"निम्नलिखित पोषक तत्व प्रति 100 ग्राम सेब के अनुसार है"

  • 86 % पानी
  • 52 कैलोरीज
  • 0।2 ग्राम फैट
  • 10।4 ग्राम शुगर
  • 2।4 ग्राम फाइबर
  • 0।03 ग्राम सैचुरेटेड
  • 0।04 ग्राम ओमेगा-6
  • 13।8 ग्राम कार्बोहाइड्रेट
  • 0।05 ग्राम पॉलीअनसेचुरेटेड
  • 0।3 ग्राम प्रोटीन
  • 0।3 ग्राम विटामिन सी

सेब खाने के फायदें :

सेब खाने से हम कई बीमारियों से खुद को दूर रख सकते हैं। सेब में पाएं जाने वाला एंटीऑक्सीडेंट तत्व रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करते हैं। सेब में जीआई की मात्रा कम होती है और विटामिन ए, कैल्शियम और आयरन से भरपूर होता है। सेब के नियमित सेवन से आप निम्नलिखित बीमारियों से बच सकते हैं -

मधुमेह - मधुमेह एक जानलेवा बीमारी है। सेब के नियमित सेवन से हमारे रक्त में शुगर की मात्रा नियंत्रण में रहती है। सेब के सेवन से शरीर में इन्सुलिन की मात्रा बढ़ने लगती हैं, जिससे रक्त शर्करा काबू में आने लगता है। सेब टाइप 2 मधुमेह रोगियों के लिए काफी फायदेमंद होता है। एक शोध के मुताबिक, नियमित रूप से सुबह नाश्ते में एक सेब खाने से टाइप 2 मधुमेह का खतरा 29% तक कम हो जाता है। सेब शरीर में एंज़ाइम को स्टार्च में बदलने की बजाय शुगर में बदलता है, जिससे शरीर को काम करने की ऊर्जा मिलती है, जिसके कारण शुगर की खपत हो जाती है। एक बार किसी को मधुमेह हो जाएं तो उसके साथ अनेक रोग भी होने लगते हैं। मधुमेह के कारण होने वाली सबसे खतरनाक बीमारी है ‘किडनी फेल्योर’। किडनी फेल्योर जैसी गंभीर समस्या से बचने के लिए आप अपने रक्त शर्करा को नियंत्रण में रखें। किडनी रोगी के लिए सेब काफी लाभकारी फल है।

मोटापा – सेब के अंदर काफी मात्रा में फाइबर पाया जाता है, जो वजन कम करने में काफी मदद करता है। रोजाना सुबह एक सेब खाने से मोटापा जल्दी कम होता है। यदि आप दूध या दही के साथ नाश्ते में सेब खाते हैं, तो यह काफी असरदार साबित होता है। एक मध्यम आकार के सेब में 4 ग्राम फाइबर पाया जाता है। सेब का सिरका भी मोटापा कम करने के काफी फायदेमंद होता है। वजन कम करने में लिए 1 गिलास गर्म पानी में 2 चम्मच सेब का सिरका मिलाकर खाली पेट पीएं, इससे आपका वजन जल्दी ही कम होने लगेगा। सेब का सिरका किडनी साफ करने का भी कार्य करता है। किडनी रोगी को सेब का सिरके के सेवन की सलाह दी जाती है।

कोलेस्ट्रॉल - सेब खाने से हमारा कोलेस्ट्रॉल भी नियंत्रण में रहता है। जिसके कारण हृदय से जुड़ी बीमारियां नहीं होती। कोलेस्ट्रोल कम होने के कारण शरीर में रक्तसंचार सुचारु रूप से होता है। सेब में पाए जाने वाले कई प्रकार के फायटो न्यूट्रियन्ट्स (Phyto Nutrients) हृदय की रक्षा करने में सक्षम होते हैं। कोलेस्ट्रोल कम होने के चलते उच्च रक्तचाप की समस्या भी नहीं होती।

सेब के नुकसान :

सेब खाने के फायदें तो होते ही है, लेकिन इसके सेवन से कुछ नुकसान भी होते हैं। इसलिए सेब के सेवन के दौरान निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए -

  1. सेब को खाने से पहले हमेशा अच्छे से धोना चाहिए। क्योंकि बाजार में सेब को सुंदर और चमकता हुआ दिखाने के लिए उस पर मोम की एक पतली परत चढ़ाई जाती है। जो सेहत के लिए हानिकारक है।
  2. सेब खाने से पहले उसके बीजों को निकाल देना चाहिए। क्योंकि उसके बीच में एक किस्म का जहर होता है, जिसके सेवन से आपकी तबियत बिगड़ सकती है। सेब के बीजों को अधिक मात्रा में एक साथ खाने से ही इसका नुकसान शरीर में दिखाई देता है।
  3. सेब में अम्ल की मात्रा ज्यादा होती है। यह अम्ल कार्बन युक्त पेय पदार्थों से चार गुना ज्यादा हानिकारक प्रभाव छोड़ सकता है।

क्रैनबेरी –

क्रैनबेरी को हिंदी में करौंदा कहा जाता है। क्रैनबेरी का वैज्ञानिक नाम वैक्सीनियम मैक्रोकारन (Vaccinium Macrocarpon) है। यह एक छोटा सा फल होता है, जो खाने में खट्टा और पूरी तरह से पक जाने के बाद मीठा हो जाता है। यह देखने में हलके गुलाबी या गहरे गुलाबी रंग का होता है।

क्रैनबेरी के पोषक तत्व :

क्रैनबेरी कई पोषक तत्वों से भरपूर होता है, इसके पोषक तत्व कई रोगों से लड़ने में मदद करते हैं। क्रैनबेरी के पोषक तत्व निम्नलिखित है -

  • कैलोरीज
  • फैट
  • कोलेस्ट्रॉल
  • सोडियम
  • पोटैशियम
  • कार्बोहायड्रेट
  • प्रोटीन
  • विटामिन
  • कैल्शियम
  • मिनरल्स

क्रैनबेरी खाने के फायदें :

करौंदा हमें कई जानलेवा बीमारियों से भी बचा कर रखता है, जिससे हमारा शरीर स्वस्थ बना रहता है। क्रैनबेरी आपको कुछ ऐसी बीमारियों से बचा कर रखता है, जिनके हो जाने के कारण किडनी खराब होने का खतरा रहता है। क्रैनबेरी निम्नलिखित रोगों से बचाता है –

यूरिन इंफेक्शन - यूरिन की जांच से हमारे पुरे शरीर की जानकारी मिलती है। यूरिन में आने वाली किसी भी प्रकार की कोई भी खामी किडनी में दिक्कत होने की तरफ इशारा करती है। कभी-कभी हमें यूरिन इंफेक्शन का सामना करना पड़ता है। यूरिन इंफेक्शन एक गंभीर समस्या है, इस समस्या के कारण किडनी खराब होने का खतरा रहता है। यूरिन इंफेक्शन किडनी खराब होने के मुख्य कारणों में से एक हैं। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए आप करौंदे के जूस का सेवन कर सकते हैं। करौंदे के जूस से हमें ना केवल मूत्र प्रणाली के रोगों में राहत मिलती है, बल्कि इसके सेवन से पाचन शक्ति बढ़ने में भी मदद मिलती है। करौंदे के सेवन से यूरिन के साथ बैक्टीरिया शरीर से बाहर निकल जाते हैं। करौंदे के जूस में विटामिन-सी, एंटीऑक्सीडेंट और सेलीसायलिक एसिड होता है, जो मूत्रपथ संक्रमण से निदान दिलाते हैं। क्रैनबेरी जूस में प्रोएंथोसायनेडिंस होते हैं, जो ब्लैडर की वॉल पर बैक्टीरिया और कोशिकाओं को मिलने से रोकते हैं।

दिल - करौंदे के सेवन से हम दिल की बीमारियों से दूरी बना सकते हैं।  इसका सेवन कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम कर दिल संबंधी रोगों से बचाता है। रोज 1 गिलास लोकैलरी क्रैनबेरी जूस पीने से दिल की बीमारियों का खतरा 10 फीसदी तक कम हो जाता है।

कोलेस्ट्रॉल -  करौंदे के जूस से हम अपने अंदर बनने वाले बैड कोलेस्ट्रॉल को खत्म कर सकते हैं। क्रैनबेरी में मौजूद पोलीफेनॉल्स तत्व रक्तचाप को कम करने में मदद करता है, जिससे हृदय रोग का खतरा कम हो जाता है। क्रैनबेरी में मौजूद पॉलफिनॉल हमारे शरीर को बीमारियों से बचाने वाले सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद करते हैं।

सेवन से पहले ध्यान दें :-

करौंदे के सेवन से भले ही हमें कई रोगों से मुक्ति मिलने में सहायता मिलती हो, लेकिन अभी चिकित्सीय कारणों के चलते इसके सेवन से पड़ने वाले बुरे प्रभावों की पूरी जानकारी नहीं है। इसी कारण यदि आप गर्भवती या स्तनपान कराती हैं, तो आपको करौंदे के सेवन से बचना चाहिए। साथ ही आपको बता दें कि क्रैनबेरी में सॅलिसीलिक एसिड बहुत अधिक मात्रा में होता है। सॅलिसीलिक एसिड एस्पिरिन के समान होता है। यदि आपको एस्पिरिन से एलर्जी है, तो क्रैनबेरी रस के सेवन से बचें।

ब्लूबेरी -  ब्लूबेरी एक स्वादिष्ट फल होने के साथ-साथ कई पोषक तत्वों से भरा हुआ होता है। ब्लूबेरी के पोषक तत्व आपको स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी समस्‍याओं से निजात दिलाने में मदद करते हैं। ब्लूबेरी एंटीऑक्‍सीडेंट और फाइटोन्‍यूट्रिएंट्स का एक अच्छा स्रोत माना जाता है। ब्लूबेरी आपको कई रोगों से बचा कर रखती हैं, यह किडनी रोगी के लिए काफी लाभकारी फल है।

ब्लूबेरी खाने के फायदें :

अगर आप किडनी फेल्योर की समस्या से जूझ रहे हैं, तो आप इस फल को अपने आहार में शामिल कर सकते हैं। ब्लूबेरी आपको निम्नलिखित समस्याओं से बचाता है -

वजन – ब्लूबेरी में फाइबर अच्छी मात्रा में पाया जाता है, जो पाचन दुरुस्त करने में मदद करता है। ब्लूबेरी में घुलनशील फाइबर प्रचुर मात्रा में होता है, जो कि फाइबर का एक प्रकार है यह पानी में घुल जाता है। घुलनशील फाइबर पाचन की प्रक्रिया को धीमा कर देते हैं, जिससे आपको जल्दी भूख नहीं लगती और आप बार-बार खाने से बच जाते हैं। इसके आलवा इसमें कैलोरी बहुत कम मात्रा में होती है, जिसके कारण आपका वजन नहीं बढ़ता।

मधुमेह – ब्लेबेरी मधुमेह को बढ़ने से रोकने में मदद करती है। इसके सेवन से शरीर में इन्सुलिन की मात्रा बढ़ती है, जिससे रक्त शर्करा का स्तर गिरना शुरू हो जाता है। लेकिन अभी इस बात को लेकर वैज्ञानिकों में मतभेद हैं। आप चिकित्सक की सलाह से मधुमेह में इसका सेवन कर सकते हैं।

उच्च रक्तचाप – ब्लूबेरी के नियमित सेवन से आप उच्च रक्तचाप की समस्या से निजात पा सकते हैं। इसमें मौजूद सभी पोषक तत्व और खनिज पदार्थ स्‍वस्‍थ रक्‍तचाप को बनाए रखने में सहायक होते हैं। ब्‍लूबेरी में पोटेशियम, कैल्शियम और मैग्नीशियम की अच्‍छी मात्रा होती है, यह सभी पोषक तत्व उच्च रक्तचाप को नियंत्रण में रखने मदद करते हैं। पोटेशियम रक्त धमनियों से सोडियम को हटा कर धमनियों शांत कर, रक्त वाहिकाओं को फैलने में मदद करता है। जिससे रक्त संचार ठीक होता है। रक्त संचार सुचारू होने और सोडियम हटने से उच्च रक्तचाप की समस्या दूर हो जाती है। उच्च रक्तचाप किडनी खराब होने का सबसे बड़ा कारण है।

सूजन कम करें - ब्लूबेरी सूजन कम करने में मदद करती हैं। ब्‍लूबेरी में एंटीऑक्‍सीडेंट और एंटी-इंफ्लामेटरी गुण होते हैं। जिसके कारण यह सूजन संबंधी समस्‍याओं को दूर करने में प्रभावी माना जाता है। ब्‍लूबेरी में विटामिन ए और सी ऐसे घटक हैं जो एंटीऑक्‍सीडेंट के रूप में कार्य करते हैं। जिससे सूजन संबंधी लक्षणों को दूर करने में मदद मिलती है। किडनी खराब होने के कारण शरीर में सूजन आ जाती है, जिसके चलते रोगी को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

मूत्र पथ संक्रमण दूर करें -  मूत्र पथ संक्रमण एक गंभीर समस्या है, सही समय पर उपचार ना किये जाने पर यह समस्या किडनी फेल्योर का कारण बन सकती है। ब्लूबेरी के सेवन से मूत्र पथ संक्रमण की समस्या दूर होती है। ब्‍लूबेरी में ऐसे घटक मौजूद होते हैं जो मूत्र पथ में मौजूद बैक्‍टीरिया को प्रभावी रूप से दूर कर सकते हैं। मूत्र पथ संक्रमण होने के दौरान ब्‍लूबेरी का सेवन कर आप मूत्र संबंधी संक्रमण और अन्‍य समस्‍याओं से छुटकारा पा सकते हैं।

हड्डियों को करें मजबूत - ब्लूबेरी हड्डियों को मजबूत करने में मदद करती है। इसके अंदर कैल्शियम, मैग्नीशियम, मैंगनीज, जस्ता जैसे पोषक तत्व मिलते हैं, जो हड्डियों को मजबूत करने में सहायक होते हैं। किडनी रक्त शोधन के अलावा हड्डियों को मजबूत करने का भी कार्य करती है, लेकिन किडनी खराब होने चलते किडनी हड्डियों को मजबूत करने में असमर्थ होती है।

कोलेस्ट्रोल कम करें – ब्लूबेरी के सेवन से कोलेस्ट्रोल के स्तर को कम किया जा सकता है। कोलेस्ट्रोल कम होने के कारण दिल से जुड़ी बीमारी होने का खतरा काफी कम हो जाता है। इसके अंदर पेटेरोस्टिलबेन (Pterostilbene) नामक एक यौगिक होता है, जो कोशिकाओं द्वारा कोलेस्ट्रॉल को तोड़ने में मदद करता है।

 आप बताए गए फलों का सेवन आयुर्वेदिक औषधियों के साथ कर किडनी फेल्योर की गंभीर बीमारी से छुटकारा पा सकते हैं।

 कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार

कर्मा आयुर्वेदा में केवल आयुर्वेद द्वारा ही रोग का निवारण किया जाता है। कर्मा आयुर्वेदा काफी लंबे समय से किडनी की बीमारी से लोगो को मुक्त कर रहा है। कर्मा आयुर्वेदा सिर्फ आयुर्वेदिक दवाओं से किडनी फेल्योर का सफल इलाज कर रहा है। किडनी की बीमारी से जीने की आस छोड़ चूके रोगियों को कर्मा आयुर्वेदा ने नया जीवन प्रदान किया है। क्योंकि वह किडनी फेल्योर जैसी खतरनाक बीमारी से पीड़ित थे। कर्मा आयुर्वेद में प्राचीन भारतीय आयुर्वेद की मदद से किडनी फेल्योर का इलाज किया जाता है। कर्मा आयुर्वेद की स्थापना 1937 में धवन परिवार द्वारा की गयी थी। वर्तमान में इसकी बागडौर डॉ. पुनीत धवन संभाल रहे है।

आपको बता दें कि कर्मा आयुर्वेदा में डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट के बिना किडनी की इलाज किया जाता है। कर्मा आयुर्वेदा पीड़ित को बिना डायलिसिस और किडनी ट्रांस्पलेंट के ही पुनः स्वस्थ करता है। कर्मा आयुर्वेद बीते कई वर्षो से इस क्षेत्र में किडनी पीड़ितों की मदद कर रहा है। डॉ. पुनीत धवन ने केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है। साथ ही डॉ. पुनीत धवन ने 35 हजार से भी ज्यादा किडनी मरीजों को रोग से मुक्त किया हैं। वो भी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना।

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