क्या आयुर्वेद द्वारा खराब किडनी को ठीक किया जा सकता है?

अल्कोहोल और किडनी रोग

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क्या आयुर्वेद द्वारा खराब किडनी को ठीक किया जा सकता है?

एक मनुष्य के शरीर में बहुत सारे अंग होते हैं जो शरीर के सुचारू रूप से काम करने में मदद करते हैं। सभी अंगों में अगर सबसे खास अंग की बात कि जाए तो वह शायद किडनी होगी। क्योंकि किडनी हमारे शरीर में सभी रसायनों के बीच संतुलन बनाने का काम करती है, जिससे शरीर का विकास ठीक रूप से हो पाता है। किडनी मूल रूप से हमारे शरीर में बहने वाले रक्त को साफ करने का काम करती है। किडनी रक्त में मौजुद सोडियम, एसिड, अतिरिक्त शर्करा, पोटेशियम, और बाकी अन्य अपशिष्ट उत्पादों को रक्त से अलग कर उन्हें पेशाब के जरिये शरीर से बाहर निकाल देती है। किडनी के इस कार्य से शरीर में साफ रक्त का प्रवाह होता है। किडनी रक्त शोधन के अलावा शरीर में पानी के संतुलन को बनाने का काम भी करती है और यहाँ तक कि हड्डियों को मजबूत करने का काम भी करती है।

लेकिन किडनी अपने यह सभी जरूरी काम तभी कर पाती है जब तक वह स्वस्थ होती है। किडनी के खराब हो जाने के कारण वह अपने इन सभी कार्यों को करने में असमर्थ हो जाती है जिसके कारण व्यक्ति को कई साड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता था। अगर किडनी को सही समय पर ठीक ना किया जाए तो व्यक्ति को कई गंभीर स्थितियों का सामना करना पड़ता है। आज इस लेख में हम इसी विषय में चर्चा करेंगे कि किडनी फेल्योर किस प्रकार गंभीर है और इसे कैसे ठिक किया जा सकता है?

किडनी कैसे खराब हो जाती है?

कोई भी चीज़ अपने आप कभी खराब नही होती ठीक उसी प्रकार किडनी भी कभी अपने आप खराब नहीं होती। किडनी खराब होने के पीछे हमेशा कोई न कोई कारण होता है। कुछ खास कारणों के चलते किडनी अचानक खराब जरूर हो सकती है, जैसे – अंदरूनी चोट, किसी दवा का नकारात्मक प्रभाव सीधा किडनी पर पड़ने से आदि। किडनी खराब होने के वैसे तो कई कारण हो सकते हैं, लेकिन इसके पीछे कुछ मुख्य कारण निम्नलिखित है –

  • उच्च रक्तचाप की समस्या - यदि कोई ब्यक्ति लम्बे समय से उच्च रक्तचाप की समस्या से जूझ रहा है तो उसके किडनी खराब होने की समस्या हो सकती है। रक्त में सोडियम की अधिक मात्रा होने के कारण उच्च रक्तचाप की समस्या होती है, जिसके कारण किडनी के नेफ्रोन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और किडनी खराब होना शुरू हो जाती है।
  • मधुमेह की समस्या - एक बार मधुमेह होने के बाद व्यक्ति को पूरी उम्र इस समस्या के साथ जीना पड़ता है। मधुमेह होने पर व्यक्ति का शरीर बीमारियों का घर बन जाता, जिसमे किडनी की बीमारी सबसे खतरनाक है। मधुमेह होने पर रक्त में शर्करा की मात्रा अधिक हो जाती है, शर्करा युक्त रक्त को शुद्ध करने पर किडनी के नेफ्रोन क्षतिग्रस्त हो जाते हैं और यही स्थिति रहने पर किडनी भी खराब हो जाती है।
  • मूत्र विकार - पेशाब से जुड़ी सभी समस्याएं सीधे किडनी से जुड़ी हुई हैं। पेशाब कम आना या पेशाब ज्यादा आना दोनों किडनी में समस्या की तरह इशारा करते हैं। इसके आलावा पेशाब का रंग बदला, जलन होना, गंध आना यह सभी मूत्र संक्रमण की इशारा करते हैं। सही समय पर उचाप ना मिलने पर इस बीमारी के कारण किडनी खराब हो जाती है।

क्या किडनी खराब होने पर इसके कोई लक्षण भी दिखाई देते हैं?

किडनी खराब होने में एक लंबा समय लगता है, हाँ, कुछ विशेष स्थितिओं में किडनी अचानक खराब हो सकती है जिसे एक्यूट किडनी फेल्योर के नाम से जाना जाता है। आम तौर पर एक किडनी खराब होने एक लंबा समय लगता है, जिसमे महीनों से लेकर सालों तक का समय लग सकता है। किडनी खराब होने के बारे में जब तक रोगी को पता चलता है तब तक काफी देर हो चुकी होती है। जब रोगी को अपनी खराब किडनी की खबर मिलती है, उस समय पीड़ित की किडनी 60-65% तक खराब हो चुकी होती है। किडनी खराब होने की स्थिति में रोगी के शरीर में इसके कई लक्षण दिखाई देते हैं। जिसकी पहचान कर हम इस जानलेवा बीमारी से मुक्ति पा सकते हैं। लेकिन जागरूकता कम होने के कारण हमें इस बारे में पता ही नहीं चल पता। जब किसी व्यक्ति की किडनी खराब होती है तो उसके शरीर में निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं :-

  • सांस लेने में तकलीफ
  • बार-बार उल्टी आना
  • पेशाब करने में दिक्कत होना
  • शरीर के कुछ हिस्सों में सूजन
  • आंखों के नीचे सूजन
  • कंपकंपी के साथ बुखार होना
  • पेट में दर्द
  • पेशाब में रक्त और प्रोटीन का आना
  • बेहोश हो जाना
  • पेशाब में प्रोटीन आना
  • गंधदार पेशाब आना
  • पेशाब में खून आना
  • अचानक कमजोरी आना
  • पेट में दाई या बाई ओर असहनीय दर्द होना
  • नींद आना
  • कमर दर्द होना

इन आयुर्वेदिक औषधियों की मदद से होगी खराब किडनी स्वस्थ

किडनी खराब होने पर उसे पहले की तरह ठीक करना बहुत ही मुश्किल काम होता है। आयुर्वेद की सहायता से खराब किडनी को फिर से ठीक किया जा सकता है। आयुर्वेद किसी चमत्कार से कम नहीं है जो काम एलोपैथी उपचार नहीं कर सकता उसे आयुर्वेद बड़ी आसानी से करने की ताक़त रखता है।  आयुर्वेद भारतीय उपमहाद्वीप पर उत्पन्न हुई एक प्राचीन चिकत्सा प्रणाली है, बाकि चिकित्सा प्रणालियों के विपरीत, आयुर्वेद रोगों के उपचार की बजाय एक स्वस्थ जीवनशैली की तरह ज्यादा ध्यान केन्द्रित करता है। किडनी खराब हो जाने पर निम्न वर्णित आयुर्वेदिक औषधियों की सहायता से खराब हुई किडनी को स्वस्थ किया जा सकता है :-

  • गोखरू - किडनी को स्वस्थ रखने के लिए सबसे उत्तम आयुर्वेदिक औषधि है। गोखरू की तासीर बहुत गर्म होती है, इसलिए इसका प्रयोग सर्दियों में करने की सलाह दी जाती है। गोखरू क्रिएटिएन कम करने, यूरिया स्तर सुधारने में, सूजन दूर करने में, मूत्र विकार दूर करने में, किडनी से पथरी निकलने में सहायता करता है। गोखरू के पत्ते, फल और इसका तना तीनों रूपो में उपयोग किया जाता है, इसके फल पर कांटे लगे होते हैं। किडनी के लिए गोखरू किसी वरदान से कम नहीं है।
  • गिलोय - गिलोय की बेल की तुलना अमृत से की जाए तो गलत नहीं होगा। इस बेल के हर कण में औषधीय तत्व मौजूद है। यह किडनी की सफाई करने में भी काफी लाभदायक मानी जाती है। यह स्वाद में कड़वी लेकिन त्रिदोषनाशक होती है। इस बेल के तने, पत्ते और जड़ का रस निकालकर या सत्व निकालकर प्रयोग किया जाता है। इसका खास प्रयोग गठिया, वातरक्त (गाउट), प्रमेह, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, तेज़ बुखार, रक्त विकार, मूत्र विकार, डेंगू, मलेरिया जैसे गंभीर रोगों के उपचार में किया जाता है। किसी कारण रक्त के अधिक बह जाने या रक्त का स्तर अचानक गिर जाने पर गिलोय का खास प्रयोग किया जाता है।
  • पुनर्नवा – पुनर्नवा जड़ी-बूटी का नाम दो शब्दों के मेल से बना है - पुना और नवा से प्राप्त किया गया है। पुना का मतलब फिर से नवा का मतलब नया और एक साथ वह अंग का नवीकरण कार्य करने में सहायता करते हैं जो उनका इलाज करते हैं। यह जड़ीबूटी किसी भी साइड इफेक्ट के बिना सूजन को कम करके गुर्दे में अतिरिक्त तरल पदार्थ को फ्लश करने में मदद करती है। यह जड़ीबूटी मूल रूप से एक प्रकार का हॉगवीड है।

कर्मा आयुर्वेदा द्वारा किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार

कर्मा आयुर्वेदा की स्थापना वर्ष 1937 में धवन परिवार द्वारा की गयी थी। वर्तमान में इसकी बागडौर डॉ. पुनीत धवन संभाल रहे हैं। आपको बता दें कि कर्मा आयुर्वेदा में किडनी डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट के बिना आयुर्वेदिक किडनी उपचार किया जाता है। कर्मा आयुर्वेद पीड़ित को बिना डायलिसिस और किडनी ट्रांस्पलेंट के ही पुनः स्वस्थ करता है। कर्मा आयुर्वेद बीते कई वर्षो से इस क्षेत्र में किडनी पीड़ितों की मदद कर रहा है। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। जिससे हमारे शरीर में कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। डॉ. पुनीत धवन ने केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्वभर में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज आयुर्वेद द्वारा किया है। साथ ही डॉ. पुनीत धवन ने 35 हजार से भी ज्यादा किडनी मरीजों को रोग से मुक्त किया है। वो भी डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के बिना।

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