वर्तमान समय में ऐस्पैरागस भले ही एक अंग्रेजी सब्जी हो, लेकिन यह भारत में शुरुआत से ही पाई जाती है। जहाँ अन्य देशों में इसे रोजाना खाने के लिए प्रयोग में लाया जाता है, वहीं भारत में इसे शुरुआत से ही केवल औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। आयुर्वेद में ऐस्पैरागस को शतावरी के नाम से जाना जाता है, अपने गुणों की वजह से यह औषधि अपना एक खास स्थान रखती है। भारत जहाँ इसे एक उत्तम आयुर्वेदिक औषधि मानता है, वही कई जगह (देशो) में इसे लेकर मतभेद है, क्योंकि कुछ का तर्क है की यह एक सब्जी है और कुछ इसे जंगली खास के रूप में देखते हैं। जो लोग इसे पौधा या सब्जी मानते हैं उनके अनुसार ऐस्पैरागस के तने को इसके फूल के साथ पूरा इस्तेमाल किया जाता है सिवाय जड़ के। अब चाहे जो भी हो ऐस्पैरागस गुणों से भरपूर है, इसलिए इसे विश्वभर में खाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
ऐस्पैरागस (शतावरी) से हमें क्या मिलता है?
ऐस्पैरागस जहां खाने में स्वादिष्ट होती है, वहीं यह कई दैवीय गुणों से भी भरपूर है। ऐस्पैरागस में बहुत से औषधीय गुण मिलते हैं जो कि कई रोगों में आपकी रक्षा करने में मदद करते हैं। ऐस्पैरागस में खनिज और विटामिन भरपूर मात्रा में मिलते हैं। शतावरी यानि ऐस्पैरागस आयरन, प्रोटीन, कैल्शियम, जिंक, फोलेट और फाइबर जैसे पौषक तत्व भरपूर मात्रा में मिलते हैं। इसके अलावा विटमिन ए, विटमिन के, विटमिन इ, विटमिन सी, और विटमिन बी 6 भी काफी अच्छी मात्रा में मिलते हैं।
किडनी के लिए ऐसे लाभकारी है ऐस्पैरागस (शतावरी)
ऐस्पैरागस खाने से आपको कई प्रकार के रोगों से बड़ी आसानी से छुटकारा मिल सकता है। अगर आप अपनी किडनी को स्वस्थ रखना चाहते हैं, तो आपको इसे अपने आहार में जरूर शामिल करना चाहिए। चिकित्सक की सलाह पर आप इसके चूर्ण का भी सेवन कर सकते हैं। यह ना केवल खराब हुई किडनी को पुनः स्वस्थ करता है बल्कि हमें अनेक रोगों से निजात दिलाने में सहायक है। शतावरी आपको कई ऐसे रोगों से दूर रखती है, जिनके होने के कारण भविष्य में आपकी किडनी खराब होने की संभावना बनी रहती है। ऐस्पैरागस आपकी किडनी को निम्नलिखित बीमारियों से बचाता है :-
मूत्र विकार
अगर आप पेशाब से जुड़ी किसी भी समस्या से जूझ रहे हैं, तो आपको ऐस्पैरागस को अपने आहार में जरूर शामिल करना चाहिए, विशेषकर मूत्र पथ पर संक्रमण के दौरान। दरअसल ऐस्पैरागस में एमिनो एसिड मिलता है जो कि मूत्र पथ को साफ करने में सहायक होता है। साथ ही यह प्राकृतिक मुत्रवर्धक औषधि भी है, जिससे आपको पेशाब से जुडी कई समस्याओं से रहत मिलती है। किडनी खराब होने पर अक्सर रोगियों को पेशाब से जुड़ी समस्या हो जाती है, या कई बार मूत्र पथ संक्रमण भी किडनी में समस्या पैदा कर देता है, ऐसे में आपको ऐस्पैरागस का उपयोग करना चाहिए।
मधुमेह कम करे
शतावरी के सेवन से आप अपने बढ़े हुए रक्त शर्करा को काबू में कर सकते हैं। ऐस्पैरागस टाइप 2 मधुमेह रोगियों के लिए काफी लाभकारी माना जाता है। इसमें मधुमेह प्रतिरोधक क्षमता रखने वाले पोषक तत्व मिलते हैं। इसमें फाइबर मिलता है जो कि शर्करा को कम करने में सहायक है। इसे साथ इसमें क्रोमियम नामक खनिज मिलता है जो कि इन्सुलिन बढ़ाने में मदद करता है। इन्सुलिन रक्त में शर्करा की मात्रा को कम करने में मदद करता है। आपको बता दें कि मधुमेह किडनी खराब होने का सबसे बड़ा कारण माना जाता है, इसलिए आपको मधुमेह से बचना चाहिए।
उच्च रक्तचाप
अगर आप उच्च रक्तचाप की समस्या से जूझ रहे हैं, तो आपको ऐस्पैरागस का सेवन करना चाहिए। यह रक्त वाहिकाओं में रक्त को सुचारू रूप से प्रवाह होने में मदद करती है। आप ऐस्पैरागस या शतावरी के चूर्ण या कैप्सूल का इस्तेमाल चिकित्सक की सलाह से इस्तेमाल कर सकते हैं। उच्च रक्तचाप किडनी खराब होने के अन्य सबसे बड़े कारणों में से एक है। यह जहाँ किडनी खराब होने का कारण वहीं यह किडनी खराब होने का एक लक्षण भी है।
पथरी में रहत दिलाएं
ऐस्पैरागस एक प्राकृतिक मूत्रवर्धक है, यह आपको किडनी की पथरी होने की आशंका से दूर रखता है। यह पेशाब के जरीये आपके शरीर से अतिरिक्त नमक और हानिकारक उत्पादों को बहार निकाल देता है। जिससे व्यक्ति को किडनी में पथरी होने की आशंका कम हो जाती है, वहीं कुछ लोगो का तर्क है कि यह ना केवल किडनी की पथरी बल्कि, पित्त की पथरी में भी राहत दिलाता है। अगर आप किडनी में हुई पथरी से राहत पाने के लिए इसका सेवन करते हैं, तो पथरी पेशाब के साथ शरीर से बाहर निकल आयगी। आप इसका सेवन करने से पहले अपने चिकित्सक की सलाह जरूर लें।
दिल को करे दुरुस्त
अगर आप अपने दिल को जवां रखना चाहते हैं, तो आप ऐस्पैरागस का सेवन शुरू कर दीजिये। ऐस्पैरागस में विटामिन बी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। विटामिन बी की अच्छी मौजूदगी दिल में होमोसिस्टिन को नियंत्रित करने में मदद करता है। जिससे आपकी रक्त वाहिकाओं को किसी भी प्रकार की हानि का खतरा नहीं रहता। लेकिन ध्यान दें कि ऐस्पैरागस का सेवन अधिक मात्रा में ना करे। बता दें कि होमोसिस्टिन की मात्रा दिल में बढ़ने से आपको दिल के दौरे के साथ रक्त धमनियों के रोगग्रस्त होने का खतरा रहता है। दिल में समस्या आने पर किडनी पर इसका सीधा प्रभाव पड़ता है, ऐसा होने पर किडनी में खून की कमी होने की आशंका बन जाती है, जिसकी वजह से किडनी जा आकार कम होने लगता है।
पाचन को ठीक करे
अगर आप अपने बिगड़े हुए पाचन तन्त्र को ठीक करना चाहते हैं, तो आप ऐस्पैरागस को सलाद के रूप में आहार में जरूर शामिल करे। इसकी मदद से आपका पाचन तन्त्र ना केवल ठीक होगा बल्कि यह पाचन को मजबूती प्रदान करने में भी सहायता करती है। इसके अंदर इन्युलिन पाया जाता है जो कि एक किस्म का कार्बोहाइड्रेट होता है। कार्बोहाइड्रेट पेट में मौजूद अच्छे जीवाश्मों को पोषण देने का काम करता है और अच्छे जीवाश्म आपके पेट को स्वस्थ रखते हैं। खराब पाचन तन्त्र आपको कई बीमारियों की चपेट में ला सकता है, जिसमे किडनी से जुडी समस्या भी शामिल है।
अनिद्रा
पूरी नींद ना आने से आप कई प्रकार के रोगों से घिर जाते हैं। इससे आपकी किडनी खराब होने तक का खतरा भी रहता है। क्योंकि जा आप सोते हैं तो किडनी अपनी क्षतिग्रस्त हुई कोशिकाओं और ऊतको की मरम्मत करने का काम करती है, जिससे किडनी स्वस्थ बनी रही है। इसलिए किडनी को स्वस्थ रखने और अच्छी नींद के लिए आप शतावरी के चूर्ण का सेवन करे। इसके लिए आप ऐस्पैरागस यानि शतावरी के चूर्ण को 10 से 15 ग्राम की मात्रा में रात को सोते समय घी या दूध में डाल कर सेवन करे, ऐसा करने से आपको अच्छी निंद आने लगेगी।
ऐस्पैरागस से क्या कोई नुकसान भी हो सकते हैं?
ऐस्पैरागस या शतावरी एक उत्तम श्रेणी की आयुर्वेदिक औषधि है, वर्तमान समय तक इसके सेवन से किसी प्रकार की कोई हानी नहीं देखि गई। इसलिए आप बिना किसी चिंता के इसका सेवन कर सकते हैं। हाँ, अगर आप इसके चूर्ण का सेवन करते हैं तो चिकित्सक की सलाह जरुर लें। लेकिन आपको इसका सेवन करने के दौरान कुछ बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए जैसे की –
- अगर आप गर्भवती हैं तो इसका सेवन ना करे।
- दिल से जुडी समस्या होने पर चिकित्सक की सलाह जरूर लें।
- किडनी खराब होने पर भी चिकित्सक की सलाह से ही इसका सेवन करें।
कर्मा आयुर्वेदा भारत का श्रेष्ठ किडनी आयुर्वेदिक उपचार केंद्र
कर्मा आयुर्वेदा बीते कई दशकों से किडनी फेल्योर जैसी जानलेवा बीमारी का आयुर्वेद द्वारा सफल उपचार कर रहा है। वर्ष 1937 में धवन परिवार द्वारा कर्मा आयुर्वेदा की स्थापना की गयी थी। इस समय कर्मा आयुर्वेदा की बागड़ोर डॉ. पुनीत धवन संभाल रहे हैं। यह धवन परिवार की पांचवी पीढ़ी है जो कि कर्मा आयुर्वेद का नेतृत्व कर रही है। डॉ. पुनीत धवन एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक चिकित्सक है, जिन्होंने अब तक 48 हज़ार से भी ज्यादा लोगो की खराब किडनी रोगियों का इलाज किया है। आपको बता दें की कर्मा आयुर्वेद में बिना किडनी डायलिसिस और किडनी प्रत्यारोपण के बिना ही रोगी की किडनी ठीक की जाती है।